आंग्ल-सिक्ख संघर्ष
पंजाब
- गुरू गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर ने सिखों को संगठित किया था ।
- कपुर सिंह के नेतृत्व में 1448, 1748 ई. में दल ‘खालसा’ की स्थापना हुई ।
- सुश्चकिया मिसल को आधुनिक पंजाब निर्माण का श्रेय दिया जाता है ।
- इन्होने लाहौर में तोप निर्माण का कारखाना स्थापित करवाया था ।
- इन्होने नौकरीशाही सिक्के चलाये थे ।
- बन्दा बहादुर की मृत्यु के बाद सिख 12 मिसलों में विभाजित हो गये थे ।
- रणजीतसिंह सुकश्चकिया मिरुल का था ।
- अफगानिस्तान के राजा जमान शाह ने 1799 में रणजीतसिंह को लाहौर का राजा बना दिया था ।
- (चिनाव में जमान शाह की फंसी हुई तोपे वापस देने के कारण जमान शाह ने खुश होकर राजा बनाया था)
- 1805 में रणजीत सिंह ने अमृतसर पर अधिकार कर लिया ।
अमृतसर की सन्धि : (1809)
- रणजीत सिंह तथा अंग्रेजो के बीच
- उस समय गवर्नर जनरल लॉर्ड मिन्टों प्रथम
- इस संधि में अंग्रेजों का प्रतिनिधि चार्ल्स मेटकॉफ था
- 1809 में अफगानिस्तान का शहजादा शाह शुजा, रणजीतसिंह से सहायता माँगता है तथा उसे कोहिनूर हीरा भेंट करता है।
- लेकिन रणजीत सिंह ने सहायता नहीं की ।
- अंग्रेजो ने शाह शुजा को पेंशन देकर लुधियाना में रखवा दिया ।
- 1838 में त्रिगुट का निर्माण किया गया तथा इसमें शाह शूज्ञा, कम्पनी, रणजीत सिंह थे । (प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध से पहले)
- 1839 में रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई ।
- रणजीत सिंह खालसा के नाम से शासन करता था
- रणजीत सिंह ने गुरु नानक तथा गुरु गोविन्द सिंह नाम के सिक्के चलाये थे ।
- रणजीत सिंह धर्म सहिष्णु शासक था ।
- वह सूफी संतो का आदर करता था।
- इसके वित मंत्री दीनानाथ तथा विदेश मंत्री अजीजुद्दीन था।
रणजीत सिंह ने अपने प्रशासन में अनेक यूरोपीयन को शामिल किया था ।
- वन्तूरा – पैदल सेना प्रमुख
- अलोर्ड – घुडसवार सेना प्रमुख
- कोर्ट/गार्डनर – तोपखाना प्रमुख (इलाहीबख्श भी तोपखाने का प्रमुख था)
- एविटेबल पेशावर का प्रशासक
इसकी सेना एशिया की द्वितीय सबसे शक्तिशाली सेना थी ।
- रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी
- खडग सिंह
- नौनिहाल सिंह
- शेर सिंह
- दलीप सिंह
1. प्रथम आंग्ल – सिक्ख युद्ध (1845-46):-
- इस युद्ध में प्रमुख लडाईयाँ
- 5 युद्ध लडें गए थे
- मुदकी का युद्ध
- फिरोजपुर का युद्ध
- अलीवाल का युद्ध
- बूढ़वाल का युद्ध
- सबरानों का युद्ध – इसमें सिखों की निर्णायक हार हुई । अंग्रेजो ने युद्ध जीत लिया लाहौर की संन्धिः (9 मार्च 1846) भैरीवाल की सन्धि (22 दिसम्बर 1846)
2. द्वितीय आंग्ल – सिख युद्धः (1848-1849) :-
- कारणः मुल्तान के गवर्नर – मूलराज ने विद्रोह कर दिया था। हजारा के गवर्नर – चतर सिंह ने विद्रोह कर दिया था।
- डलहौजी ने सेनापति ‘गफ’ के नेतृत्व में पंजाब पर आक्रमण कर दिया ।
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