भारत में यूरोपियन शक्तियों का आगमन

  • सत्रहवीं शताब्दी के दौरान भारत विदेशी व्यापार का एक ऐसा आकर्षण केन्द्र बन गया था कि हर विदेशी राष्ट्र व्यापार के माध्यम से उस पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता था। क्योंकि – भारत में अव्यांकित यूरोपियन शक्तियाँ अपने हित साधने हेतु आयी |
  • पुर्तगाल – (1498)
  • डच – (1596)
  • अंग्रेज – (1600)
  • डेनिश – (1616)
  • फ्राँसीसी – (1664)
  • स्वीडिश – (1731)

1. पुर्तगाली

  • प्रथम पुर्तगाली यात्री ‘वास्को -डी जिसने भारत की खोज (1498) की । गामा’ था
  • अब्दुल मनीक नामक गुजराती व्यक्ति उसका मार्गदर्शक था ।
  • वास्को डी गामा पश्चिमी तट के कालीकट बन्दरगाह पर आया था ।
  • कालीकट के जमोरिन (वहाँ का राजा) ने वारको -डी गामा का स्वागत किया ।
  • वास्को – डी – गामा को भारत के साथ व्यापार में 60 गुना फायदा हुआ था ।
  • 1502 में वारको – डी द्वाया । गामा दूसरी बार भारत
  • 24 मई 1524 में वारको – डी – गामा की भारत में ही मृत्यु हो गई।
  • 1961 तक इनका पुर्तगालियों गोवा, दमन व द्वीप पर अधिकार था ।
  • इसके बाद भारत सरकार ने गोवा, दमन, दीव को उनसे पुनः अपने कब्जे में ले लिया ।
  • पेड्रो अल्वारेज केबाल : दूसरा पूर्तगाली यात्री (1500 ई. में)
  • 1503 में पूर्तगालियों ने कोचीन में प्रथम फैक्ट्री की स्थापना की ।
  • पूर्तगालियों का प्रथम गर्वनर फ्रांसिस्को डी अल्मेडा भारत में 1505 में बनाया ।
  • अल्फांसो – डि – अल्बुकर्क : द्वितीय पुर्तगाली गर्वनर 1509 में भारत आया ।
  • यह पूर्तगालियों का भारत में वास्तविक संस्थापक था
  • (1509 में) अल्बुकर्क ने कृष्णदेवराय (विजयनगर) के कहने पर बीजापुर के राजा युसुफ आदिल शाह से गोवा छीन लिया था
  • 1530 में ‘नीनो डि कुन्हा’ ने कोचीन से अपनी राजधानी को गोवा में विस्थापित कर ली थी तथा 1961 तक गोवा पर पुर्तगालियों का शासन रहा ।
नोट :
  • 1542 में जेसुइट संत जेवियर (पादरी), अल्फांसो डी सूजा (गर्वनर) के साथ भारत आया था । नीले समुद्र की नीति एकाधिकार। पूर्तगालियों का समुद्र पर एकाधिकार था ।
पूर्तगालियों का सामुदिक साम्राज्य एस्तादो द इण्डिया कहलाता था ।
  • पूर्तगालियों ने भारत में बडे जहाजों का निर्माण प्रारम्भकिया ।
  • 1556 में गोवा में पहली बार प्रिंटिंग प्रेस (छापाखाना) लगाया गया ।
  • मक्का और तम्बाकू की फसल बाद में पूर्तगालियों ने प्रारम्भ की ।
  • स्थापत्य कला की “गोथिक शैली” प्रारम्भ की । (ऊँची उठी हुई छते)

2. डच

  • कॉर्नेलियन डे हाउटमैन : पहला डच यात्री 1596 में भारत आाया ।
  • 1602 में डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना हुई
  • 1605 में ‘मसूलीपट्टम’ (पूर्वी तट प१) में पहली फैक्ट्री की स्थापना की ।
  • 1653 में चिनसुरा (बंगाल) में फैक्ट्री शुरू की।
    इस फैक्ट्री को गुस्तावास फोर्ट कहा जाता था ।
  • 1759 में अंग्रेजो ने ‘बेदारा के युद्ध’ में ड्चों को हरा दिया था ।
  • ड्यो ने पुलीकट (जो उनका मुख्यालय) था में स्वर्ण सिक्के ‘पैगोडा’ का प्रचलन करवाया था।

3. डेनिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी

  • डेनमार्क की “ईस्ट इण्डिया कम्पनी” की स्थापना 1616 ई. में हुई ।
  • इस कम्पनी ने 1620 में ट्रान्केबार (तमिलनाडु) तथा 1676 में सेरामपुर (बंगाल) में अपनी व्यापारिक कम्पनियाँ स्थापित की ।
  • सेरामपुर ड्चों का प्रमुख केन्द्र था ।
  • 1854 में डों ने अपनी वाणिज्यिक कम्पनी अंग्रेजों को बेच दी ।

4. अंग्रेज

जॉन मिल्डेनहॉल (1599) : प्रथम अंग्रेज यात्री

  • 31 दिसम्बर 1600 की ईस्ट इण्डिया कम्पनी (अंग्रेजी) की स्थापना की गई।
  • यह एक निजी कम्पनी थी ।
  • महारानी ऐलिजाबेथ प्रथम ने कम्पनी को भारत में व्यापार के लिए 15 वर्षों का एकाधिकार दिया । कालान्तर में इसे 20-20 वर्षों के लिए आगे बढाया गया ।
  • 1608 में इंग्लैण्ड के राजा जैम्स प्रथम का राजदूत कैप्टन हॉकिन्स मुगल बादशाह जहाँगीर के दरबार में आया। वह फारसी भाषा का जानकार था ।
  • जहाँगीर ने इसे 400 का मनसब दिया था । लेकिन वह व्यापारिक रियायतें प्राप्त नहीं कर पाया था ।
  • अंग्रेजो ने अपनी प्रथम कंपनी 1611ई. में मसुलीपट्टम में स्थापित की।
  • 1615 में सर टॉमस से भारत आाये (द्वितीय राजदूत भारत भाये) 10 जनवरी 1616 को अजमेर में जहाँगीर से मुलाकात की तथा व्यापारिक रियायते प्राप्त करने में सफल रहा। (लेकिन वास्तव में ये रियायते गुजरात के गवर्नर खुर्रम (शाहजहाँ) ने दी थी)
  • 1608 में सूरत में प्रथम फैक्ट्री की स्थापना की
  • अंग्रेजो ने चन्द्रगिरि के राजा से चैन्ने नामक गाँव खरीदा तथा यहाँ पर 1639 में मदास की स्थापना की। यहाँ पर सेन्ट जॉर्ज नामक किला बनाया गया
  • मदास का संस्थापक: फ्रांसिस डे था।
  • इंग्लैण्ड के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय की शादी पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन के साथ हुई तथा बॉम्बे दहेज में दिया गया । (1661 में)
  • गोलकुण्डा के सुल्तान ने 1632 ई. में अंग्रेजो का सुनहरा फरमान दिया था ।
  • 1651 ई. में बिजमैन ने हुगली में एक कारखाना स्थापित किया ।
  • 1668 में बॉम्बे में फैक्ट्री की स्थापना की ।
  • 1698 में यहाँ कलकत्ता (कलिकाता) में फैक्ट्री की स्थापना की गई। यहाँ पर फोर्ट विलियम बनाया गया

संस्थापक : जॉब चारनाक

5. फ्रांसिसी

  • 1664 में फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की गई।
  • नोटः- यह कम्पनी एक ‘सरकारी कम्पनी’ थी
  • 1668 में सूरत में पहली फैक्ट्री की स्थापना की 
  • संस्थापक : फेंको कैरो
  • 1669 में मसूलीपट्टम में फैक्ट्री की स्थापना की
  • 1673 में पुदुचेरी गाँव खरीदा तथा यहाँ पर पाण्डीचेरी की स्थापना की।
  • 1674 में बंगाल में चन्द्रनगर नामक गाँव खरीदा
  • फ्रांसीसियों ने 1731 ई. मॉरीशस, 1724 ई. में मालाबार में स्थित माही तथा 1739 में कारिकाल पर अधिकार कर लिया था ।
  • 1724 ई. में डुप्ले गवर्नर बना । वह भारत में फ्रांसीसि साम्राज्य स्थापित करना चाहता था ।

अंग्रेज फ्रांसीसी संघर्ष

अंग्रेजो तथा फांसीसीयों के बीच 3 युद्ध हुये थे जिन्हें कर्नाटक युद्ध कहा जाता है।

1. प्रथम कर्नाटक युद्ध : (1746-1748)
  • कारण : ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार
  • ऑक्स ला शैंपेल की सन्धि द्वारा यह युद्ध समाप्त हो गया ।
2. दूसरा कर्नाटक युद्ध : (1749-1754)
  • रियासत      राजा                                             राजा
  • कर्नाटक     अवरूद्‌दीन (सहायक अंग्रेज)      चन्दा साहिब (सहायक फ्रांसीसी)
  • हैदराबाद     नासिर जंग (सहायक अंग्रेज)       मुजफ्फर जंग (सहायक फ्रांसीसी)

अम्बूर का युद्ध 1749

  • फ्रांसिसी, चन्ध साहिब, मुजफफर जंग से मिलकर अनवरूद्‌दीन को मार दिया ।
  • मुजफफरजंग ने डुप्ले को कृष्णा नदी के दक्षिण का भाग दिया तथा बरसी के नेतृत्व में एक सेना (फ्रांसिसी) हैदराबाद में रखी गई ।
  • इस प्रकार भारत में सहायक सन्धि की शुरुआत डुप्ले ने की थी ।
  • कालान्तर में इसे अंग्रेजी गर्वनर जनरल वेलेजली ने बडे तौर पर लागू किया था ।
  • डुप्ले को हराकर गोडेहू को नया फ्रांसिसी गर्वनर बनाया गया ।
  • इस युद्ध में अन्त में अंग्रेजो की जीत हुई थी ।
3. तीसरा कर्नाटक युद्ध : (1756-63)

कारणः कनाडा पर अधिकार करने के लिए इंग्लैण्ड और फ्रांसिसीयों के बीच सात वर्षीय युद्ध

वाण्डीवाश का युद्ध (1760)

अंग्रेज                      अंग्रेज                      फ्रांसिसी

आयरकूट                                               लाली और बुएसी

  • इस युद्ध में फ्रांसिसी निर्णायक रूप से हार गये थे। अंग्रेजो ने पाण्डिचेरी पर भी अधिकार कर लिया था ।
  • पैरिस की संधि द्वारा युद्ध समाप्त हो गये ।
स्वीडिश
  • 1731 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की |

बंगाल

1. मुर्शीद कुली खाँ
  • इसने मुर्शीदाबाद को बंगाल की राजधानी बनाया था ।
2. अली वर्दी खाँ
  • इसने यूरोपियन की तुलना मधुमक्खियों से की थी
3. सिराजु‌द्दौला
  • यह अलीवर्दी खाँ का दोहिता था ।
अलीनगर की संधि (9 फरवरी, 1757) :-
सिराजु‌द्दौला तथा क्लाइव के मध्य ब्लैक हॉल घटना : (कालकोठरी की घटना) (20 जून 1756)
  • ऊंग्रेजी इतिहासकारों के अनुसार नवाब ने कम्पनी के 146 कर्मचारियों को एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया । अगले दिन उनमें से केवल 23 जीवित बचे थे ये घटना अंग्रेज कर्मचारी हॉलवेल द्वारा बताई गई थी ।
  • अंग्रेजो ने पुनः कलकता में अधिकार कर लिया था 9 फरवरी 1757 ई. को अंग्रेजो और नवाब के बीच अलीनगर की संधि हुई ।
प्लासी का युद्ध (23 जून 1757)
क्लाइव वर्सेज सिराजुद्‌दौला
  • सेनापति मीर जाफर (यह क्लाइव से मिल गया था)
  • मीर जाफर ने युद्ध से पहले ही सिराजु‌द्दौला को वापस भेज दिया ।
  • मीर मदान, मोहन लाल तथा फ्रांसिसी नवाब के वफादार थे । उन्होंने युद्ध किया तथा मारे गये ।
  • प्लासी के युद्ध के समय आलमगीरी II मुगल बादशाह था
  • . इस युद्ध में अंग्रेजो कि सेना का नेतृत्व क्लाइव ने किया और नवाब सिराजुद्‌दौला कि सेना का नेतृत्व मीर जाफर, यारलतीफ खाँ और राजा दुर्लभ राय ने किया
  • इस युद्ध में अंग्रेजो की जीत हुईं तथा सिराजु‌द्दौला को मारकर बंगाल का नया नवाब बना दिया गया ।
  • के.एम. पनिक्कर के अनुसार प्लासी का युद्ध, एक युद्ध नहीं बल्कि एक विश्वासघात था
4. मीर जाफर
  • इसे क्लाइव का गींदड कहा जाता था ।
5. मीर कासिम
  • यह अंग्रेजो द्वारा बनाया गया पहला नवाब था ।
  • यह एक अयोग्य शासक था, अंग्रेजो ने अपने खिलाफ षडयंत्र करने का आरोप लगाकर मीर कासिम को बंगाल का नवाब बना दिया ।
  • 1760 में बंगाल के गवर्नर वेन्सिटार्ट ने मीर जाफर को हराकर मीर कासिम को नवाब बना दिया ।
  • मीर कासीम ने बंगाल छोडकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला के यहाँ के यहा शरण ली ।
बक्सर का युद्ध (1764)

मीर कासिम (बंगाल)                            }

शुजाउद्‌दौला (अवध)                           }      – वर्सेज हेक्टर मुनरो (अंग्रेज)

शाह आलम – द्वितीय (मुगल बादशाह) }

  • बीच युद्ध में ही शाह आलम अंग्रेजो से मिल गया था तथा मीर कासिम युद्ध छोड कर भाग गया ।
  • इस युद्ध में अंग्रेजो की जीत हुई थी । 1765 में क्लाइव दुबारा भारत आया तथा उसने शाह आलम द्वितीय तथा शुजाउद्‌दौला के साथ सन्धियाँ की। जिन्हे इलाहाबाद की सन्धियाँ कहा जाता है।
  • इस युद्ध के बाद अंग्रेजो कि भारत में वास्तविक सत्ता स्थापित हुई थी ।
  • लॉर्ड क्लाइव को द्वैध शासन का जनक माना जाता है लेकिन 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल में द्वैध शासन का अंत कर दिया ।
इलाहाबाद की प्रथम सन्धि :
  • (12 अगस्त 1765) क्लाइव तथा मुगल बादशाह शाहकालम के बीच
इलाहाबाद की दूसरी संधि
  • (16 अगस्त 1765) क्लाइव व शुजाउद्‌दौला के बीच अंगेजों ने बंगाल में द्वैध शासन लागू किया

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