भक्ति एवं सूफी आन्दोलन

  • मध्यकाल में सर्वप्रथम दक्षिण के अलवार सन्तों द्वारा भक्ति आन्दोलन की शुरुआत हुई ।
  • उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन प्रारम्भ करने का श्रेय रामानन्द को है।
  • रामानन्द का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था । उन्होंने विष्णु के अवतार के रूप में राम की भक्ति को लोकप्रिय बनाया ।
  • कबीर ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया । उनकी रचनाएँ ‘बीजक’ में संगृहीत है । वे निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि थे ।
  • गुरुनानक का जन्म ननकाना साहब (तलवण्डी) में हुआ था । उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया ।
  • चैतन्य बंगाल में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक थे । उन्होंने संकीर्तन प्रथा को जन्म दिया ।
  • सूरदास कृष्ण भक्ति परम्परा से सम्बन्धित थे । उन्होंने अपने ग्रन्थ ‘सूरसागर’ के राधा-कृष्ण के आदर्श प्रेम को लोकप्रिय बनाया ।
  • गुजरात के संत नरसिंह मेहता राधा-कृष्ण भक्ति से सम्बन्धित थे ।
  • शंकराचार्य के अद्वैतवाद दर्शन के विरोध में दक्षिण में वैष्णव सन्तों द्वारा चार मतों की स्थापना की गई थी, जो इस प्रकार है

विभिन्न सम्प्रदाय एवं वाद

  • श्री सम्प्रदाय >>>>>>> रामानुजाचार्य>>>>> विशिष्टाद्वैतवाद
  • ब्रम्ह सम्प्रदाय>>>>>> माधवाचार्य >>>>>>>द्वैतवाद
  • रुद सम्प्रदाय>>>>>>> विष्णुस्वामी >>>>>>शुद्धा द्वैतवाद
  • सनक सम्प्रदाय >>>>>निम्बार्काचार्य >>>>>द्वैताद्वैतवाद
विभिन्न वाद एवं उसके प्रणेता
  • वाद>>>>>>>>>>>>>>>> प्रणेता
  • अद्वैतवाद >>>>>>>>>>>शंकराचार्य
  • विशिष्टाद्वैतवाद >>>>>>>रामनुजाचार्य
  • द्वैताद्वैतवाद >>>>>>>>>>निम्बकाचार्य
  • शुद्धाद्वैतवाद >>>>>>>>>वल्लभाचार्य
  • द्वैतवाद>>>>>>>>>>>>> माधवाचार्य
  • भेदाभेदवाद >>>>>>>>>भास्कराचार्य
  • अविभाग द्वैतवाद >>>>>> विज्ञान भिक्षु
  • शैव विशिष्टाद्वैतवाद  >>>>श्री कंठ
  • वीर शैव विशिष्टाद्वैतवाद >>>>श्रीपति
  1. सुफियों का संगठन ‘सिलसिला’ कहा जाता था ।
  2. जो लोग सूफी संतों से शिष्यता ग्रहण करते थे, उन्हें ‘मुरीद’ कहा जाता था ।

प्रमुख सूफी सिलसिले और उनके संस्थापक

  • सिलसिला>>>>>संस्थापक>>>>>>>>>>भारत में प्रचारक
  • चिश्ती>>>>>ख्वाजा अबू अहमद अब्दाल चिश्ती>>>>>>ख्वाजा मोइनुद्‌दीन चिश्ती
  • कादिरी>>>>>>शेख अब्दूर कादिर जिलानी>>>>>>>>>>मुहम्मद गौस
  • सुहरावर्दी>>>शेख बहाउद्दीन जअब्दुल अबू वाहिद>>>>>शेख बहाउद्दीन जकारिया
  • नक्शबंदी>>>ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंद>>>>>>>>>>ख्वाजा बाकी विल्लाह
  • शत्तारी>>>>>>>———–>>>>>>>>>>शेख अब्दुल्ला शत्तारी
  • कलंदरिया>>>>>सैयद खिज रूमी कलंदर>>>>>>>>>>सैय्यद नइमुद्दून कलंदर
  • चिश्ती सम्प्रदाय के संस्थापक ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती थे । उनका मकबरा अजमेर में स्थित है।
  • बाबा फरीद की कुछ रचनाएँ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ में शामिल है।
  • हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने जीवनकाल में दिल्ली के सात सुल्तानों का शासन देखा था । ‘अभी दिल्ली दूर है,’ ये वचन निजामुद्दीन औलिया ने ग्यासुद्दीन तुगलक को कहे थे ।
  • शेख अब्दुल्ला सत्तारी ने सत्तारी सिलसिले की स्थापना की थी। इसका मुख्य केन्द्र बिहार था ।
  • रोशनिया सम्प्रदाय के संस्थापक वायजीद अंसारी थे ।
  • सुहरावर्दी परम्परा की शाखा फिरदौसी पूर्वी भारत विशेषकर बिहार में विकसित हुई, जिसके महत्वपूर्ण सन्त सैफुद्दीन याहिया मनेरी थे ।

सिख परंपरा के गुरू एवं उनकी कार्य विशेषताएँ

1.गुरुनानक
  • काल :- 1469-1538 ई.
  • सिख सम्प्रदाय के संस्थापक । हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल, कर्मकाण्डों का विरोध ।
2.गुरुअंगद
  • काल :- 1538 1552 ई. (लेहना)
  • गुरु नानक के विचारों का सरल भाषा में प्रचार गुरुमुखी लिया के माध्यम से गुरुनानक के शिष्य थे ।
3.गुरु अमरदास
  • काल :- 1552 – 1574 ई.
  • सिख सम्प्रदाय को संगठित किया तथा अपने शिष्यों को पारिवारिक संत होने का उपदेश दिया । वे गुरु अंगद के शिष्य थे । सती प्रथा का विरोध किया ।
4.गुरुरामदास
  • काल :- 1574 -1581 ई.
  • अकबर इनसे बहुत प्रभावित था । अब गुरु का पद पैतृक बन गया ।
5.गुरु अर्जुनदास
  • काल :- 1581 1606 ई.
  • सभी गुरुओं के उपदेश का संकलन आदि ग्रंथ में किया, स्वर्ण मंदिर बनवाया जहाँगीर ने राजदोह के जुर्म में उन्हें फाँसी पर लटकवा दिया ।
6.गुरु हरगोविन्द
  • काल :- 1606-1664 ई.
  • उन्होनें सिखों को सैनिक सम्प्रदाय बना दिया, शाहजहाँ के विरुद्ध विद्रोह किया ।
7.गुरु हरराय
  • काल :- 1645 – 1661 ई.
  • दारा उनका सम्मान करता था ।
8.गुरु हरकिशन
  • काल :- 1661 – 1664 ई.
  • उत्तराधिकार के लिये रामराय से विवाद ।
9.गुरु तेगबहादुर
  • काल :- 1664 – 1675 ई.
  • औरंगजेब की नीतियों का विरोध किया, जिसके फलस्वरूप उनका वध कर दिया गया ।
10.गुरुगोविन्द सिंह
  • काल :- 1675  – 1708 ई.
  • पटना में जन्म हुआ, पहुल नाम दीक्षा की प्रणाली कायम की। इस दीक्षा को स्वीकार करने वाले खालसा कहलायें, उन्हें सिंह की उपाधि दी तथा प्रत्येक सिख को केश, कंघा, कृपाण, कच्छा और कडा रखने का आदेश दिया । इन्होंने पूरक ग्रन्थ (दसवें बादशाह का ग्रन्थ) का संकलन किया । वे अन्तिम सिख गुरु थे।

भारत का मध्यकालीन तिहास

हरियाणा CET सामान्य अध्ययन

भारत का इतिहास

Haryana CET for C & D { All Haryana Exam }

सामान्य अध्ययन

Haryana Common Entrance Test GROUP C & D

सामान्य विज्ञान

कम्प्यूटर

अंग्रेजी

हिन्दी

Haryana

Welcome to GK247 Haryana GK (तैयारी नौकरी की). GK247.IN is India’s most trending website for free Study Material like Haryana Current Affairs, Haryana GK (General Knowledge), General Studies, Reasoning, Mathematics, English & Hindi for exam like Haryana CET, HSSC Clerk, Haryana Police, Haryana Patwari, Haryana Civil Services, Haryana Gram Sachiv, HSSC Haryana Police Constable, HSSC Canal Patwari, HSSC Staff Nurse, HSSC TGT, HSSC PGT, Haryana Police Commando, HSSC SI / Government job recruitment examinations of Haryana State.

Haryana Common Entrance Test GROUP C & D

सामान्य विज्ञान

कम्प्यूटर

अंग्रेजी

हिन्दी

This section provide General Knowledge/ General Studies Question that may be useful for General Awareness part of Prelims Examination of Haryana State Civil Services exams, Haryana CET, HSSC Clerk, Haryana Police, Haryana Patwari, Haryana Gram Sachiv, HSSC Haryana Police Constable, HSSC Canal Patwari, HSSC Staff Nurse, HSSC TGT, HSSC PGT, Haryana Police Commando, HSSC SI & Various Other Competitive Exams. 

General Studies for All One Day Haryana Exams [HPSC, HSSC, Haryana CET etc.]

Content Own GK247.IN Copy Not Allow Sorry !!

error: Content is protected !!