Bills Of Exchange Concept

विनिमय विपत्र(Bills Of Exchange) क्या है ?
वह प्रपत्र जिसपर एक निश्चित राशि चुकाये जाने का आदेश होता है उसे विनिमय विपत्र कहा जाता है ।
एक व्यक्ति के द्वारा लिखा गया तथा दूसरे व्यक्ति के द्वारा स्वीकार किया गया वह प्रपत्र जिस पर एक निश्चित राशि चुकाये जाने का आदेश होता है । उसे विनिमय विपत्र कहा जाता है ।
कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे व्यक्ति के हाथ उधार वस्तु बेचता है तो बेचने वाला का रुपया खरीदने वाले के यहाँ वाकी रह जाता है । वकाया राशि सही समय से वसूल हो सके इसके लिए बेचने वाला व्यक्ति एक प्रपत्र तैयार करता है जिसपर वकया राशि चुकाने का आदेश दिया जाता है । खरीदने वाले व्यक्ति (ऋणी) से उस पर हस्ताक्षर करा लिया जाता है । यही हस्ताक्षर युक्त प्रपत्र विनिमय विपत्र के नाम से जाना जाता है ।
इस प्रकार विनिमय-पत्र एक लिखित शर्तरहित आदेश-पत्र है। जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उसे उसके द्वारा निर्देशित किसी व्यक्ति को एक निश्चित अवधि के पश्चात एक निश्चित भुगतान करने का आदेश देता है।
आधुनिक युग साख का युग माना जाता हैं क्योंकि लाखों रुपए की वस्तुएं साख पर क्रय-विक्रय हुआ करती हैं। व्यवसाय बड़ी राशि का नकद भुगतान तुरंत देना या पाना कठिन होता है। साख-पत्रों ने भुगतान संबंधी इसी कठिनाई को दूर कर दिया है। इन साख-पत्रों में विनिमय-विपत्र के नाम भी उल्लेखनीय हैं।
Bills Of Exchange लेनदार द्वारा लिखा जाता है और यह शर्त रहित प्रलेख है और इसमें भुगतान का आदेश होता है।
विनिमय-विपत्र की विशेषताएँ क्या है ?
Bills Of Exchange की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
- यह भुगतान हेतु निश्चित आदेश-पत्र है।
- यह शर्तरहित होता है।
- इस पर स्टाम्प लगा रहता है।
- इस पर लेखक के हस्ताक्षर होते हैं।
- इस पर भुगतान पाने का नाम व पता रहता है।
- धन के भुगतान की अवधि निश्चित रहती है।
- इसमें एक निश्चित धनराशि चुकाने का आदेश रहता है।
- इस पर स्वीकारकर्ता के हस्ताक्षर होते हैं।
- राशि या तो विपत्र के वाहक या निर्दिष्ट व्यक्ति को देय होती है।
- विपत्र की राशि मांग पर या अवधि समाप्त होने पर देय होती है।
- लेखक, स्वीकारकर्ता निश्चित होने चाहिए।
विपत्र के पक्षकार कितने होते हैं ?
विपत्र के प्रायः तीन पक्षकार होते हैं :
- आहर्ता/लेखक (Drawer) :
जो व्यक्ति विपत्र तैयार करता है उसे Drawer कहा जाता है ।
- स्वीकारकर्ता/आदाता (Drawee) :
वह विपत्र जिसका राशि प्राप्त किया जा सकता है उसे Bills Receivable कहा जाता है ।
- भुगतान पाने वाला/प्राप्तकर्ता (Payee) :
वह विपत्र जिसका राशि चुकाना होता है उसे Bills Payable कहा जाता है ।
Bills Receivable (प्राप्य विपत्र) क्या है ?
वह विपत्र जिसका राशि प्राप्त किया जा सकता है उसे Bills Receivable कहा जाता है ।
जब लेनदार द्वारा लिखे गए ड्राफ्ट को देदार स्वीकार कर लेता है और बिल के लेखक को लौटा देता है, तब लेखक के लिए वह प्राप्य बिल कहलाता है।
Bills Payable (देय विपत्र ) क्या है ?
वह विपत्र जिसका राशि चुकाना होता है उसे Bills Payable कहा जाता है ।
जब ऋणी या देनदार अपने लेनदार के द्वारा लिखित बिल को स्वीकार कर लेता है और इसे वापस कर देता है, तब यह उसके लिए देय बिल कहलाता है, क्योंकि एक निश्चित तिथि के बाद इस विपत्र का भुगतान करना होगा।
Notes : – Bills of Exchange का ही दो नाम है : Bills Receivable एवं Bills Payable
Due-Date (भुगतान तिथि ) क्या है ?
भुगतान के लिए निर्धारित किये गये तिथि को Due-Date कहा जाता है ।
बिल के भेद क्या है ?
समय की दृष्टि से बिल के भेद
समय की दृष्टि से बिल दो प्रकार के होते हैं :
- मांग विपत्र (Demand Bill ):
जिस विपत्र पर भुगतान के लिए समय निर्धारित नहीं होता है उसे Demand Bill (माँग विपत्र ) कहा जाता है । जिस विपत्र का राशि माँगने पर देय होता है उसे Demand Bill (माँग विपत्र ) कहा जाता है ।
- मियाद विपत्र (Tenure Bill):
मियाद विपत्र का आशय उन बिलों से है जिनका भुगतान विपत्र में उल्लिखित एक नियत अवधि बीतने पर किया जाएगा। विपत्र की मियाद दिन तथा महीनों में सूचित की जाती है।
देश की दृष्टि से बिल के भेद
देश की दृष्टि से बिल दो प्रकार के होते हैं :
- देशी विपत्र (Inland Bill) :
जिस विपत्र का Drawer एवं Drawee दोनों एक ही देश का निवासी होता है उसे देशी विपत्र (Inland Bill) कहा जाता है ।
- विदेशी विपत्र (Foreign Bill):
जिस विपत्र का Drawer एवं Drawee दो अलग-अलग देश का निवासी होता है उसे Foreign Bill (विदेशी विपत्र ) कहा जाता है ।
प्रयोग के अनुसार विपत्र के भेद
प्रयोग के अनुसार दो प्रकार के होते हैं :
- Trade Bill (व्यापारिक विपत्र) :
वकाया राशि वसूल करने के लिए जो विपत्र लिखा जाता है उसे Trade Bill (व्यापारिक विपत्र) कहा जाता है ।
- Accommodation Bill (सहायतार्थ विपत्र) :
बिना वकाये ही आपसी सहायता के लिए जी विपत्र लिखा जाता है उसे Accommodation Bill (सहायतार्थ विपत्र) कहा जाता है ।
Bills Of Exchange के लाभ क्या है ?
Bills Of Exchange के निम्नलिखित लाभ हैं :
- यह वित्त के एक साधन के रूप में कार्य करता है।
- यह विक्रेता तथा क्रेता के बीच उधार माल के क्रय-विक्रय की सुविधा प्रदान करता है।
- यह ऋण के भुगतान की एक पद्धति के रूप में कार्य करता है।
- यह कानूनन देय राशि को वसूल करने में सुविधा प्रदान करता है।
- यह एक बेचानसाध्य प्रलेख है।
- यह ऋण की एक लिखित स्वीकृति है, यह एक वैधानिक प्रलेख है।
- विदेशी व्यापर में एक देश से दूसरे देश में मुद्रा भेजने का यह एक सुविधाजनक साधन है।
अनुग्रह दिवस क्या है ?
अवधि विपत्र में बिल के स्वीकारकर्ता को विपत्र के भुगतान के लिए तीन दिन का अतिरिक्त समय दिया जाता है जिसे अनुग्रह दिवस या रियायती दिन कहा जाता है। विपत्र के नाममात्र देय तिथि में तीन दिन जोड़ने के बाद जो तिथि होती है, उसे परिपक्वता तिथि कहते हैं।
बिल का उपयोग कैसे किया जाता है ?
एक Drawer अपने विपत्र का उपयोग निम्नलिखित चार तरह से कर सकता है :
- वह विपत्र को अपने पास रख सकता है और स्वयं भुगतान प्राप्त कर सकता है ।
- वह विपत्र को बैंक के पास जमाकर रकम प्राप्त कर सकता है अर्थात विपत्र को भुना सकता है ।
- वह अपने महाजन को विपत्र दे सकता है अर्थात विपत्र का बेचान कर सकता है ।
- वह विपत्र का राशि वसूल करा देने के लिए बैंक के पास जमा कर सकता है ।
विनिमय विपत्र से सम्बन्धित कुछ आवश्यक तत्वें ।
- Drawer (लेखक ) : जो व्यक्ति विपत्र तैयार करता है उसे Drawer कहा जाता है ।
- Drawee (स्वीकर्त्ता ) : जो व्यक्ति विपत्र को स्वीकार करता है उसे Drawee कहा जाता है ।
- Payee (प्राप्तकर्त्ता ) : जिस व्यक्ति को विपत्र का राशि प्राप्त करने का अधिकार होता है । उसे Payee कहा जाता है ।
Notes : – Bills of Exchange में तीन पक्ष होते हैं : Drawer, Drawee एवं Payee
- Due-Date (भुगतान तिथि ) : भुगतान के लिए निर्धारित किये गये तिथि को Due-Date कहा जाता है ।
दूसरे शब्दों में जिस तिथि को विपत्र का भुगतान किया जाता है उसे Due-Date कहा जाता है । Due-Date को Date of Maturity (परिपक्वता की तिथि )भी कहा जाता है ।
- Days Of Grace (अनुगह दिवस ) : भुगतान के लिए Drawee को जितने दिनों का छुट दिया जाता है उसे Days Of Grace कहा जाता है ।
- Honour Of Bill (विपत्र का सम्मान ) : सही समय पर विपत्र का भुगतान कर दिया जाय तो उसे विपत्र का सम्मान कहा जाता है ।
- Dishonour Of Bill (विपत्र का अपमान ) : सही समय पर Drawee के द्वारा भुगतान नहीं किया जाय तो उसे विपत्र का अपमान कहा जाता है ।
- Bill Discounting (विपत्र का भुनाना ) : विपत्र का धारक यदि विपत्र को बैंक के पास जमाकर रकम प्राप्त कर लेता है तो उसे Bill Discounting कहा जाता है ।
- Endorsement Of Bill (विपत्र का वेचान ) : विपत्र का धारक अपने महाजन को यदि ऋण चुकाने के बदले विपत्र दे देता है तो उसे Endorsement Of Bill कहा जाता है ।
- Endorsee (पृष्ठांकिति) : जिस महाजन को विपत्र दिया जाता है उस महाजन को Endorsee कहा जाता है ।
यदि Drawer विपत्र को अपने पास रखता हो, तो इसके लिए कैसा लेखांकन किया जाता है ?
यदि Drawer विपत्र को अपने पास रखता हो, तो इसके लिए निम्नलिखित लेखा किया जाता है :
In the books of Drawer | In the books of Drawee |
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वस्तु बेचने के लिए | वस्तु खरीदने के लिए |
बिल प्राप्त करने के लिए | बिल स्वीकार करने के लिए |
Topic
लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।
किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।