Business Study Concept

व्यवसाय क्या है ?

व्यवसाय एक आर्थिक गतिविधि है, जो मानव इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए माल और सेवाओं के निरंतर और नियमित उत्पादन और वितरण से संबंधित है।

व्यवसाय एक संगठन या आर्थिक व्यवस्था है जहां वस्तुओं और सेवाओं को एक दूसरे के लिए या पैसे के लिए अदला बदली किया जाता है।

हम सभी को भोजन, कपड़े और आश्रय की जरूरत है। हमारे दैनिक जीवन में संतुष्ट होने के लिए हमारे पास अन्य घरेलू आवश्यकताएँ भी हैं और हम दुकानदार से इन आवश्यकताओं को पूरा करते है।

मनुष्य अपने असीमित इच्छाओं को पूरा करने के लिए लगातार कुछ गतिविधियों में या अन्य में लगे हुए हैं हर दिन हम ‘व्यवसाय’ या ‘व्यापारी’ शब्द पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आते हैं। व्यापार आधुनिक दुनिया का अनिवार्य हिस्सा बन गया है ।

आधुनिक व्यवसाय सेवा उन्मुख है। आधुनिक व्यवसायी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सचेत हैं। आज का व्यवसाय लाभ-उन्मुख की बजाय सेवा उन्मुख है ।

व्यापार की विशेषताएं :

व्यवसाय की निम्नलिखित कुछ प्रमुख विशेषताएँ है :

  • वस्तुओं और सेवाओं का आदान प्रदान करना
  • लाभ मुख्य उद्देश्य है
  • व्यापार जोखिम और अनिश्चितताओं के अधीन है
  • प्रत्येक व्यवसायिक लेनदेन में कम से कम दो पार्टियां होते है, एक खरीदार और दूसरा विक्रेता
  • व्यवसाय गतिविधि माल या सेवाओं के उत्पादन से जुड़ी हो सकती है।

एक व्यवसायी (Businessman) क्या है?

व्यवसायी एक ऐसा व्यक्ति है जो व्यापार में काम करता है। दूसरे शब्दों में हम ऐसे भी कह सकते है कि एक व्यापारी व्यवसाय में शामिल कोई व्यक्ति होता है जो एक संगठन या कंपनी द्वारा नियोजित रहता है।

इस तरह से हम ऐसे भी कह सकते है की एक व्यवसायी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो व्यवसाय चलाता है साथ ही एक अनौपचारिक व्यापारिक विचार का उपक्रम करता है।

व्यवसायी व्यवसाय या वाणिज्य में काम करता है, खासकर कार्यकारी स्तर पर।

अच्छे व्यवसायियों के लिए निम्नलिखित कुछ गुण होना आवश्यक होता है :

    • आज व्यापार एक जटिल गतिविधि है और शिक्षित और कुशल व्यक्तियों की सेवाओं की मांग करता है जो विशेष रूप से व्यापार के बारे में जानते हैं। इसलिए एक अच्छा व्यापारी के लिए और जटिलता को समझने के लिए शिक्षा अनिवार्य है।

 

    • आज हर व्यवसाय कुछ तकनीकी कौशल की मांग करता है तो एक अच्छा व्यापारी को उन सभी तकनीकी कौशलों को अवश्य पता होना चाहिए जो उस विशेष व्यवसाय के लिए आवश्यक है।

 

    • व्यापार की सफलता के लिए, यह आवश्यक है कि व्यवसायी एक ईमानदार व्यक्ति हो ।

 

    • व्यवसायी एक मेहनती व्यक्ति होना चाहिए। अपने व्यवसाय को विकसित करने और उसकी देखभाल करने के लिए उन्हें लंबे समय तक काम करने का आदत होना चाहिए।

 

    • व्यवसायी एक शांत दिमाग वाला व्यक्ति होना चाहिए ताकि वो अपने अधीनस्थों, सहयोगियों और ग्राहकों से विनम्रता से बात करे।

 

    • एक व्यवसायी हमेशा अपने व्यवहार मामलों में स्थिर होना चाहिए तथा सामान्य कारोबारी बाधाओं और छोटे नुकसान से उसे परेशान नहीं होनी चाहिए।

 

    • अच्छा व्यापारी की गुणवत्ता है कि उसे एक अनुशासित व्यक्तित्व होना चाहिए।

 

    • व्यापार के कई फैसले एक व्यापारी द्वारा किए जाते हैं यह एक अच्छा व्यापारी के लिए आवश्यक है कि उसे तुरंत निर्णय लेने का क्षमता होना चाहिए।

 

    • एक अच्छे व्यापारी के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें अपने सहयोगियों और कर्मचारियों के लिए प्रति सहयोग की भावना होनी चाहिए।

 

    • एक व्यवसायी को प्रबंधकीय कौशल का विशेषज्ञ होना चाहिए।

 

    • व्यवसायी को व्यवसाय की प्रगति के लिए नए नियमों को विकसित और लागू करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

 

  • एक अच्छा व्यापारी हमेशा अपने पिछले प्रदर्शन पर नजर रखता है और अपने भविष्य के बारे में सोचता है।

व्यावसायिक वातावरण क्या है ?

व्यापारिक वातावरण ((Business Environment )) सभी बाहरी और आंतरिक कारकों का कुल योग है जो व्यापार को प्रभावित करते हैं। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि बाहरी कारक और आंतरिक कारक एक दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं और एक व्यवसाय को प्रभावित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

व्यावसायिक वातावरण से आशय उन समस्त बाहरी आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं प्राकृतिक शक्तियों से है जो की व्यवसाय एवं उसके प्रचालन को प्रभावित करती है।

ये सभी शक्तियाँ व्यवसाय के नियंत्रण से प्रे होती है, मतलब व्यवसाय का इन सब पर कोई निंयत्रण नहीं रहता है किन्तु ये व्यवसाय को प्रभावित करते हैं।

इस तरह व्यावसायिक वातावरण विभिन्न घटकों के संयोग से बना है जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है और अधिक-अधिक से हम उनका अध्ययन कर अपने आप को समायोजित कर सकते हैं।

व्यावसायिक वातावरण (Business Environment ) विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं वैधानिक एवं दशाओं का योग है जीके अंतगर्त व्यवसाय को कार्य करना होता है।

प्रमुख विद्वान के द्वारा व्यावसायिक वातावरण (Business Environment ) दी गई परिभाषा :

रॉबिन्स के अनुसार : व्यावसायिक वातावरण उन संस्थाओं तथा शक्तियों से बना होता है जो किसी संगठन के कार्य निष्पादन को प्रभावित करती है किन्तु उस संगठन का उन पर बहुत कम नियंत्रण होता है।

रेनकी के अनुसार : व्यावसायिक वातावरण में उन सभी बाहरी घटकों को सम्मिलित किया जाता है जिससे व्यवसाय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।

व्यावसायिक वातावरण की विशेषताएँ क्या है ?

व्यावसायिक वातावरण की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ है :

    1. गतिशील प्रकृति (Dynamic Nature) : – व्यावसायिक वातावरण के घटक निरंतर परिवर्तन होते हैं। इसके व्यावसाय पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह कहा जाता है कि व्यावसायिक वातावरण गतिशील होते हैं।

 

    1. अनिश्चितता (Uncertainty) : – व्यावसायिक वातावरण अनिश्चित होते हैं और इन अनिश्चितताओं का पूर्वानुमान लगाना व्यवसायियों के लिए कठिन होता है।

 

    1. जटिलता (Complexity) व्यावसायिक वातावरण अनेक घटकों से मिलकर बनता है। ये सभी घटक आपस में एक दूसरे से संबंधित होते हैं। यही कारण है कि व्यवसाय के लिए इनका सामना करना बहुत कठिन है।

 

    1. परस्पर निर्भरता (Inter-Dependence) : – व्यावसायिक वातावरण के विभिन्न घटक एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।

 

  1. बाहरी शक्तियों की सम्पूर्णता (Totality Of External Forces) : – व्यावसायिक वातावरण उन सभी शक्तियों का योग है जो व्यवसाय के बाहर उपलब्ध होती हैं और जिन पर व्यवसाय का कोई नियंत्रण नहीं होता है। यह एक नहीं बल्कि अनेक अनेक शक्तियों का समूह है इसलिए इनकी प्रकृति सम्पूर्णता की है।

व्यावसायिक वातावरण का महत्व क्या है ?

व्यावसायिक वातावरण सभी तरह के निर्णय लेने में सहायक होता है।

अतः इसके महत्त्व निम्नलिखित है :

  • व्यावसायिक वातावरण के प्रति सचेत रहने से प्रारंभिक अवसरों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

 

  • व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन से हमें उपलब्ध अवसरों के साथ खतरों की भी जानकारी प्राप्त होती है। यदि खतरों की जानकारी समय पूर्व मिल जाए तो खतरों से बचा जा सकता है। साथ ही हानि को लाभ में बदला जा सकता है।

 

  • व्यावसायिक वातावरण से उपयोगी संसाधनों को प्राप्त किया जा सकता है।

 

  • प्रत्येक संगठन के निष्पादन में व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन की अहम् भूमिका होती है। जो संगठन इस पर कड़ी नजर रखते हैं वे निश्चित रूप से सफल होते हैं।

 

  • व्यावसायिक वातावरण छवि निर्माण में सहायक होती है और किसी भी व्यावसायिक इकाई के लिए उसकी छवि मूलाधार होती है।

 

व्यावसायिक वातावरण के अंग क्या है ?

व्यावसायिक वातावरण के निम्नलिखित अंग है :

    1. आंतरिक वातावरण (Internal Environment)

      आंतरिक वातावरण के अंतगर्त उन तमाम घटकों को सम्मिलित किया जाता है जो व्यवसाय को प्रभावित करते हैं एवं व्यवसाय के अंदर ही होते हैं।

      ये घटक प्रायः इस तरह होते हैं :

      • व्यवसाय के उद्देश्य (Objectives Of Business)
      • व्यवसाय की नीतियाँ (Policy Of Business)
      • व्यवसाय की उत्पादन क्षमता (Production Capacity Of Business)
      • प्रबंध में भागीदारी (Participation In Management)
      • प्रबंध सूचना प्रणाली (Management Information System)



  1. बाह्य वातावरण (External Memory)

    व्यावसाय के बाहरी वातावरण में उन घटकों को सम्मिलित किया जाता है जो व्यवसाय के बाहर होते हैं और व्यवसाय को प्रवाभित करते हैं।

    बाहरी वातावरण को दो भागों में बांटा गया है :

    • क्रियात्मक वातावरण
    • सामान्य वातावरण

व्यावसायिक वातावरण के तत्त्व (Elements) क्या है ?

व्यावसायिक वातावरण के तत्त्वों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है :

    1. आर्थिक वातावरण (Economic Environment) :- व्यावसायिक वातावरण के सभी तत्वों में से आर्थिक वातावरण एक जटिल व्यवस्था है। इसमें बहुत सारे घटक है जैसे आर्थिक दशाएं, आर्थिक नीतियाँ, आर्थिक प्रणालियाँ, पूंजीवादी प्रणाली आदि।

 

    1. सामाजिक वातावरण (Social Environment) :- व्यवसायी को सामाजिक ज्ञान का होना आवश्यक है क्यूँकि समाज व्यवसाय का आधार है। सामाजिक ज्ञान के अंतगर्त सामाजिक मूल्य, सामाजिक संस्थाएँ, सामाजिक विश्वास, शिक्षा, सामाजिक मान्यताएँ आदि आते हैं। किसी की व्यवसाय को सामाजिक वातावरण भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं।

 

    1. राजनीतिक वातावरण (Political Environment) :- राजनीतिक वातावरण भी व्यवसायिक वातावरण को काफी प्रभावित करती है। व्यवसाय को सरकार के दृष्टिकोण के अनुसार अपनी क्रियाओं को करना पड़ता है। राजनीतिक निर्णय व्यवसाय की दिशा ही बदल देते हैं।

 

    1. वैधानिक वातावरण (Legal Environment) :- वैधानिक वातावरण के अंतगर्त विभिन्न तरह के क़ानूनी नीतियाँ, विभिन्न वैधानिक नियंत्रण को शामिल किया जाता है। व्यवसाय तथा कानून में परस्पर धनिष्ठ संबंध है। व्यवसायी को हमेशा कानून के दायरे में ही काम करना पड़ता है।

 

  1. तकनीकी वातावरण (Logical Environment) :- तकनीकी वातावरण के अंतर्गत नए-नए यंत्र, यांत्रिक सुधार, व्यवस्था की खोज, डिजाइन, नए विकास आदि को शामिल किए जाते हैं।

उदारीकरण (Liberalisation) क्या है ?

उदारीकरण एक नई आर्थिक नीति है जिसके द्वारा देश में ऐसा आर्थिक वातावरण व स्थापित करने के प्रयास किया जाते हैं जिससे देश के व्यवसाय व उद्योग स्वतंत्र रूप से विकसित हो सकें।

उदारीकरण का मतलब होता है व्यवसाय तथा उद्योग पर लगे प्रतिबन्धों को कम करना जिससे व्यवसायी तथा उद्यमियों को कार्य करने में किसी प्रकार की बधाओं का समाना न करना पड़े।

उदारीकरण व्यापारिक दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव किया है और सभी देशों के लिए अत्यधिक अवसर प्रदान किए हैं।

उदारीकरण नई औद्योगिक नीति का परिणाम है जो “लाइसेंस प्रणाली” को समाप्त कर देता है।

तो इस तरह से हम कह सकते है कि सरकार द्वारा व्यापार नीति को उदार बनाना जो देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह पर टैरिफ, सब्सिडी और अन्य प्रतिबंधों को हटा रहा है, उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।

उदारीकरण के प्रमुख उपाय (Measures) क्या है ?

उदारीकरण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित है :

  • लाइसेंसिंग प्रणाली को न्यूनतम तथा सरल बनाना।
  • सरकारी नियंत्रणों के स्थान पर बाजार शक्तियों को प्रोत्साहित करना।
  • स्कन्ध विपणि क्रियाओं को नियमित करना।
  • वस्तुओं एवं सेवाओं के आवागमन पर लगी बाधाओं को हटाना।
  • नवीन उद्योगों की स्थापना की स्वतंत्रता देना।
  • इंस्पेक्टर राज्य को समाप्त करना अथवा न्यूनतम करना।
  • वस्तुओं की कीमत का निर्धारण उत्पादकों/निर्माताओं द्वारा किया जाना।
  • आयात नीति को सरल बनाना।
  • उत्पादों के वितरण पर लगी रोकों को हटाना।

उदारीकरण का व्यवसाय तथा उद्योग पर क्या प्रभाव (Impact) पड़ता है ?

उदारीकरण के व्यवसाय तथा उद्योग पर निम्नलिखित कुछ प्रमुख प्रभाव पड़ा है :

    • टेक्नोलॉजी आयात से मुक्ति :- उदारीकरण नीति के अंतगर्त उच्चतम प्राथमिकता वाले उद्योगों को विदेशों से टेक्नोलॉजी का आयात करने के लिए सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

 

    • उद्योगों के विस्तार की स्वतन्त्रता :- उदारीकरण नीति के अंतगर्त विद्यमान उद्योगों को विस्तार के लिए सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

 

    • औद्योगिक लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की समाप्ति :- उदारीकरण नीति के अंतगर्त उद्योगों के पंजीकरण की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है। जिसके वजह से 6 उद्योगों को छोड़कर शेष सभी उद्योगों को लाइसेंसिंग से मुक्त कर दिया गया है।

      ये उद्योग हैं :-
      1. रक्षा उपकरण
      2. शराब
      3. औद्योगिक विस्फोटक
      4. सिगरेट
      5. खतरनाक रसायन
      6. औषधियाँ

 

    • लघु उद्योगों की निवेश सीमा में वृद्धि :- लघु उद्योगों की निवेश सीमा 1 करोड़ कर दी गई है तथा अति लघु उद्योगों की निवेश सीमा बढ़ाकर 25 लाख रु. कर दी गई है।

 

  • पूंजीगत माल के आयात की स्वतन्त्रता :- उदारीकरण नीति के अंतगर्त विद्यमान उद्योगों को विदेशों से पूंजीगत माल आयात करने के लिए सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर उदारीकरण का क्या प्रभाव पड़ा ?

उदारीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर निम्नलिखित कुछ प्रमुख प्रभाव पड़ा है :

  • विकास दर पर प्रभाव पड़ा है
  • उद्योग पर प्रभाव पड़ा है
  • कृषि पर प्रभाव पड़ा है
  • सेवाएं पर प्रभाव पड़ा है
  • शिक्षा क्षेत्र और स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है

निजीकरण (Privatisation)क्या है ?

निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे क्षेत्र या उद्योग को सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाता है।

दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी कह सकते है कि निजीकरण से आशय ऐसी औद्योगिक इकाइयों को निजी क्षेत्र में हस्तांतरित किये जाने से है जो अभी तक सरकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण में थी।

सार्वजनिक क्षेत्र सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित आर्थिक प्रणाली का हिस्सा है। निजीकरण में सरकारी संपत्तियों की बिक्री या निजी व्यक्तियों और व्यवसायों को किसी दिए गए उद्योग में भाग लेने से रोकने वाले प्रतिबंधों को हटाना भी शामिल हो सकता है।

निजीकरण के समर्थकों का कहना है कि निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक कुशल प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जो अंततः बेहतर सेवा और उत्पाद, कम कीमत और कम भ्रष्टाचार उत्पन्न करती है।

दूसरी तरफ, निजीकरण के आलोचकों का तर्क है कि कुछ सेवाएं – जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल, उपयोगिताओं, शिक्षा और कानून प्रवर्तन – सार्वजनिक क्षेत्र में अधिक नियंत्रण सक्षम करने और अधिक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए होना चाहिए।

निजीकरण का व्यवसाय तथा उद्योग पर क्या प्रभाव (Impact) पड़ा ?

निजीकरण का व्यवसाय तथा उद्योग पर निम्नलिखित कुछ प्रमुख प्रभाव पड़ा :-

  • नवीन आर्थिक नीति के अंतगर्त अब ऋणों की अंशों में परिवर्तनीयता आवश्यक नहीं है ?
  • नवीन आर्थिक नीति के अंतगर्त सरकार निजी क्षेत्र के उद्योगों के विकास एवं विस्तार के लिए सम्भव प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
  • भारत के व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में आर्थिक सुधारों के अंतगर्त निजीकरण की प्रकिया अपनाने के कारण निजी क्षेत्र के कुल निवेश में तेजी से वृद्धि हुई है।

वैश्वीकरण (Globalisation) क्या है ?

वैश्वीकरण विभिन्न देशों के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच बातचीत और एकीकरण की प्रक्रिया है। वैश्वीकरण में सम्पूर्ण विश्व को एक बाजार का रूप प्रदान किया जाता है। वैश्वीकरण से आशय विश्व अर्थव्यवस्था में आये खुलेपन, बढ़ती हुई अन्तनिर्भरता तथा आर्थिक एकीकरण के फैलाव से है।

इसके अंतर्गत विश्व बाजारों के मध्य पारस्परिक निर्भरता उत्पन्न होती है तथा व्यवसाय देश की सीमाओं को पार करके विश्वव्यापी रूप धारण कर लेता है । वैश्वीकरण के द्वारा ऐसे प्रयास किये जाते है कि विश्व के सभी देश व्यवसाय एवं उद्योग के क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ सहयोग एवं समन्वय स्थापित करें।

वैश्वीकरण में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों हैं। एक व्यक्तिगत स्तर पर, वैश्वीकरण जीवन के मानक और जीवन की गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करता है। व्यवसाय स्तर पर, वैश्वीकरण संगठन के उत्पाद जीवन चक्र और संगठन की बैलेंस शीट को प्रभावित करता है।

वैश्वीकरण की विशेषताएँ क्या है ?

वैश्वीकरण की निम्नलिखित विशेषताएँ है :

  • वैश्वीकरण की ये एक प्रमुख विशेषताएं है की इस के अंतगर्त आर्थिक क्रियाओं का राष्ट्रीय सीमा से आगे विस्तार किया जाता है।
  • वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी, तकनीकी तथा श्रम संबंधी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों का एकीकरण हो जाता है अर्थात इनके आवागमन पर सभी प्रकार को रूकावट हटा ली जाती है।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विस्तार होता है।
  • वैश्वीकरण राष्ट्रों की राजनीतिक सीमाओं के आर-पार आर्थिक लेन-देन की प्रक्रियाओं और उनके प्रबंधन का प्रवाह है।

वैश्वीकरण का व्यवसाय तथा उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ा ?

वैश्वीकरण का व्यवसाय तथा उद्योग पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं :-

  • आयात शुल्क में पर्याप्त कमी की गई है।
  • आयात-निर्यात प्रतिबंधों को कम किया गया है।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए द्वार खोल दिए गये हैं।
  • भारत में विदेशी पूंजी का तेजी से आगमन हो रहा है।
  • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारत में विदेशी बैंकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

Topic

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।

किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।

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