काग्रेस अधिवेशन

  • A.O. ह्यूम 1885-1905 तक कांग्रेस के सचिव रहे थे।
  • बाल गंगाधर तिलक कभी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहे थे।
  • मदन मोहन मालवीय 4 बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
  1. 1909 – लाहौर
  2. 1918 – दिल्ली
  3. 1932 – दिल्ली
  4. 1933 – कलकत्ता

इस समय (1932 व 1935 सम्मेलन में) मदन मोहन जेल में थे। इस कारण 1932 में अमृत रणछोडदास ग‌ट्टानी तथा 1933 में नलिनी सेन गुप्ता (विदेशी महिला) ने अध्यक्षता की थी ।

दादा भाई नौरोजी तथा जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस के 3-3 बार अध्यक्ष बने थे ।

भारतीय राष्ट्रीय द्वान्दोलन के चरण :-
  • प्रथम चरण  -> 1885 -> 1905 -> नरमपंथी
  • द्वितीय चरण -> 1905 ई. -> 1919 -> गरमपंथी
  • तृतीय चरण -> 1919 -> 1947 ई.  -> गांधी युग
प्रथम चरण (1885-1905 ई.) नरमपंथी विचारधारा –
  • अंग्रेज न्यायप्रिय है।
  • ब्रिटिश राज्य भारत हेतु दैवीय वरदान है।
  • भारतीय समाज अभी जड है, इनमें राजनैतिक जागरूकता नहीं है अतः इन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल नहीं किया जाना चाहिए ।
  • इनके साधन – सम्मेलन बुलाना, भारतीय जनता की मांगों को अभिव्यक्त करना, ब्रिटिश सरकार को अनुनय विनय, ज्ञापन, प्रार्थना पत्र आदि पेश करना
  • सभी संप्रदायों, क्षेत्रों, वर्गो को समान महत्व देना,
  • समाज में राजनैतिक चेतना के उदय के लिए शैक्षणिक विकास किया जाना चाहिए ।
प्रमुख नरमपंथी नेता
  • दादाभाई नौरोजी
  • फिरोजशाह मेहता
  • गोपाल कृष्ण गोखले
  • बदरूद्दीन तैयब जी
  • सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, व्योमेश चन्द्र बनर्जी
द्वितीय चरण (1905-1919ई.)-गरमपंथी युग
  • ब्रिटिश शासन शोषणकारी प्रवति का है।
  • ब्रिटिश शासन साम्राज्यवादी प्रवति का है।
  • भारतीय समाज यद्यपि जड है परन्तु इन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में जोडकर भारतीयों में राजनैतिक जागरूकता लायी जा सकती है।
  • गरमपंथियों के साधन – भिक्षावृत्ति का विरोध, मांगे अधिकार पूर्ण रूप से रखनी चाहिए । इस हेतु सरकार पर दबाव बनाने हेतु जनता एवं समाज का समर्थन आवश्यक है।
  • उत्तरदायित्व से क्षमताएं विकसित होती है। स्वतंत्रता ही स्वतंत्रता के काबिल बनाती है ।
  • राष्ट्रीय आन्दोलन को शक्तिशाली बनाने हेतु धार्मिक प्रतीकों, क्षेत्रीय मांगों, योजनाओं को अपनाया जाना चाहिए ।
  • स्वदेशी आन्दोलन चलाने एवं विदेशी का बहिष्कार करना चाहिए ।
प्रमुख गरमपंथी नेता
  • बाल गंगाधर तिलक
  • लाला लाजपतराय
  • विपिन चन्द्र पाल
  • अरविन्द घोष

मुश्लिम लीग

  • अक्टूबर 1906 में आगा खां के नेतृत्व में एक मुस्लिम प्रतिनिधि दल शिमला जाकर लॉर्ड मिन्टों से मिला। लॉर्ड मिण्टो ने मुस्लिमों को संगठित होने का सुझाव दिया ।
  • 30 दिसम्बर 1906 को मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका के नवाब ख्वाजा सलीमुल्लाह ने की। इसके पहले सम्मेलन की अध्यक्षता वकार-उल-मुल्क ने की ।
  • 1908 में अमृतसर में आयोजित बैठक में मुस्लीम लोगो ने अलग निर्वाचन की मांग की ।

1916 लखनऊ अधिवेशन

अध्यक्ष अम्बिका चरण मजूमदार

गरमपंथी-नरमपंथी समझौता

कांग्रेस-मुस्लिम लीग समझौता

इस समझौते के कारण

  • सूरत अधिवेशन में फूट के बाद गरमपंथी अलग-थलग पड गये । कांग्रेस राष्ट्रीय आंदोलन का केन्द्र बन गया ।
  • नरमपंथी भी 1907 ई. के बाद से निष्क्रिय होते जा रहे थे । नवऊर्जा संचार हेतु समझौता हुआ ।
  • नरमपंथी ब्रिटिश नीतियों से असंतुष्ट थे । 1909 ई. के सुधार उनकी आशानुरूप नहीं थे ।
  • गरमपंथियों की विचारधारा में बदलाव आ चुका था
  • कट्टर नरमपंथी नेता फिरोजशाह एवं गोपाल कृष्ण गोखले की 1915 में मृत्यु को चुकी थी ।
  • प्रथम विश्व युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों से भी असंतोष बढ गया ।
  • 1917 में कांग्रेस में पुनः फूट पड गई ।

1909 का भारत परिषद् अधिनियम

अधिनियम के प्रावधान

1. केन्द्रीय विधानपरिषद् में सदस्यों की संख्या बढाई गई । अब 69 सदस्य थे जिनमें से 9 स्थायी तथा 60 अतिरिक्त सदस्य होते थे ।

2. गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् में एक भारतीय सदस्य होगा । (S.P. सिन्हा प्रथम भारतीय सदस्य थे जिन्हें विधि सदस्य बनाया गया ।) (सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा)

3. प्रान्तीय विधानपरिषद् में भी सदस्यों की संख्या बढाई गई । जैसे- बंगाल, मदास, बॉम्बे, U.P. (United Province) में 50 सदस्य पंजाब, बर्मा, असम 30 सदस्य

4. विधानपरिषद् के सदस्यों को पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया । बजट पर बहस कर सकते थे लेकिन बजट पर मत-विभाजन नहीं करवाया जा सकता था ।

5. इन विषयों से संबंधित प्रश्न नहीं पूछे जा सकते थे

  • विदेशी मामले
  • देशी रियासतें
  • रेलवे
  • ऋण
  • ब्याज

6. मुश्लिमों को पृथक निर्वाचन दिया गया ।

7.भारत परिषद् में भी एक भारतीय सदस्य की नियुक्ति की जायेगी । (भारत परिषद् में पहले भी भारतीय सदस्य होते थे लेकिन अब अनिवार्य कर दिया गया था, 1907 में भारत परिषद् में 2 भारतीय सदस्य थे ।)

  1. सैय्यद हुसैन बिलग्रामी
  2. K.G. गुप्ता

दिल्ली दरबार (1911)

ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम तथा उनकी रानी मैरी भारत आये ।

  1. बंगाल विभाजन रद्द कर दिया था ।
  2. राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाया जायेगा ।

Note – इस समय बॉम्बे में गेटवे ऑफ इंडिया बनाया गया ।

दिल्ली षडयंत्र केस

1912 में राजधानी को दिल्ली ला रहे थे तो रास बिहारी बोस के नेतृत्व में चांदनी चौक में G.G. होर्डिंग-।। पर बम फेंका गया ।

इस मुकदमें में 4 लोगों को फांसी दी थी ।

  1. अवध बिहारी
  2. अमीर चन्द्र
  3. बालमुकुन्द
  4. बसन्त कुमार

कामागाटामारू घटना (1914)

  • कामागाटामारू एक जापानी जहाज था ।
  • सिंगापुर में रहने वाले बाबा गुरदित सिंह 376 भारतीयों को लेकर कनाडा के वैकुवर बन्दरगाह गया ।
  • कनाडा ने इन्हें प्रवेश नहीं दिया । लेकिन कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने इसका विरोध किया तथा इनके पक्ष में आंदोलन किया व तटीय समिति का गठन किया ।

इसमें तीन सदस्य थे

  1. बलवन्त सिंह
  2. रहीम हुसैन
  3. सोहन लाल पाठक
  • जहाज वापस जापान के याकोहामा बन्दरगाह पहुंचा तब तक प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो चुका था । अतः अंग्रेज सरकार ने जहाज को सीधा कलकत्ता लाने का आदेश दिया व बजबज बन्दरगाह (कलकत्ता) पर भगदड हो गई तथा 18 लोग मारे गये थे ।

होमरूल लीग आन्दोलन

  • यह सिद्धान्त आयरलैण्ड से लिया गया है। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के रहते हुये आंतरिक मामलों में स्वायत्ता प्राप्त करना था ।
  • ‘इण्डियन होमरूल लीग’ की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने अप्रेल 1916 में बेलग्राम में की थी।
  • जबकि एनीबेसेन्ट ने सितम्बर 1916 में मदास के पास अड्‌यार में ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की । इसने थियोसोफिकल सोसायटी का तंत्र प्रयुक्त किया । इसके सचिव जॉर्ज अस्थेल एवं वी.पी. पाड्‌या सहयोगी थे ।
  • तिलक के होमरूल लीग का कार्यक्षेत्र महाराष्ट्र (बॉम्बे को छोडकर), आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रान्त जबकि इसके अतिरिक्त शेष भारत एनी बेसेन्ट के होमरूल लीग के तहत आता था ।
  • तिलक ने ‘मराठा’ (अंग्रेजी) एवं ‘केसरी’ (मराठी में) वहीं एनीबेसेन्ट ने ‘New India’ एवं ‘Common wheel’ नामक समाचार पत्र निकाले ।
  • सर्वाधिक शाखायें मदास में थी ।
  • गोपालकृष्ण गोखले ने इण्डियन ऑफ सवेन्ट के सदस्यों को होमरूल में प्रवेश नहीं दिया ।
    होमरूल लीग का संगठनात्मक स्वरूप था। इसमें ग्रामीण स्तर समितियों का गठन किया गया था । तिलक ने स्थानीय मांगों को होमरूल के साथ जोडा जैसे
  • दक्षेत्रीय भाषाओं के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन
  • सरकारी आबकारी नीति का विरोध
  • नमक कर का विरोध
  • अस्पृश्यता निवारण हेतु आन्दोलन
  • सांप्रदायिक सौहार्द हेतु प्रयास
  • मदन मोहन मालवीय, मुहम्मद अली जिन्ना, जवाहर लाल नेहरू, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी आदि एनीबेसेन्ट के होमरूल आंदोलन के सदस्य बने ।
  • गोखले द्वारा स्थापित ‘भारत सेवक समाज’ के सदस्यों पर प्रतिबंध था कि वे होमरूल के सदस्य नहीं बने । जब एनबिसेन्ट को गिरफ्तार किया गया तो सुब्रमण्यम अय्यर ने सर की उपाधि त्याग दी । होमरूल आंदोलन नेतृत्व विहिन हो गया ।
  • 20 अगस्त 1917 की मोण्टेग्यू घोषणा तथा एनीबसेन्ट ने होमरूल आंदोलन समाप्त किया ।
  • तिलक ‘India Unrest’ के लेखक वेलेन्टाइन शिरोल के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज करने लंदन चले गये । पीछे से होमरूल लीग नेतृत्वविहीन हो गई ।

राष्ट्रीय आन्दोलन का तृतीय चरण गांधी युग (1919-1947)

चम्पारण सत्याग्रह (1917)
  • चम्पारण (बिहार) के किसान तिनकठिया प्रथा से पीडित थे जिसके तहत उन्हें अपनी जमीन के 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था, क्योंकि नील व्यापारियों ने अग्रिम धनराशि देकर किसानों के साथ इस संबंध में समझौता कर रखा था । किसानों के लिए नील की खेती पर्याप्त लाभदायक नहीं थी अतः प्रायः वे इसके प्रति अनिच्छुक रहते थे और वे इस समझौते से मुक्त होना चाहते थे। इस बात पर तनाव बढ गया तथा एक स्थानीय नेता राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी को यहां आमंत्रित किया गांधीजी के पहुंचने पर आंदोलन अधिक लोकप्रिय हुआ तथा सरकार ने एक कमेटी का गठन किया तथा इस समिति की सिफारिशों पर इस वसूली को रोका गया । इस प्रकार गांधीजी का यह प्रथम आंदोलन सफल रहा। गांधीजी के अन्य सहयोगी
  1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  2. जे.बी कृपलानी
  3. नरहरि पारेख
  4. महादेव देसाई उर्फ भाऊ

जूडिथ ब्राउन ने अपनी पुस्तक ‘Gandhi’s rise to Power’ में लिखा है कि खीन्द्रनाथ टैगोर ने इस आंदोलन की सफलता पर गांधीजी को ‘महात्मा’ कहा।

खेडा आन्दोलन (1918)
  • फसल अच्छी नहीं होने से खेडा के किसान लगान अदा करने की स्थिति में नहीं थे । अतः उन्होंने सरकार से लगान माफी की अपील की परन्तु सरकार द्वारा माफ न करने की स्थिति में उन्होंने आंदोलन कर दिया। गांधीजी की अध्यक्षता में ‘गुजरात किसान सभा’ का गठन किया गया ।
  1. वल्लभ भाई पटेल
  2. इन्दुलाल याग्निक
  3. शंकरलाल बैंकर

अहमदाबाद का मिल-मजदूरों का आन्दोलन

  • प्लेग बोनस की वजह से यह आंदोलन चला था । मिल मालिक अम्बालाल साराभाई गांधीजी के मित्र थे इस आंदोलन के कारण गांधीजी ने भारत में पहली बार आमरण अनशन किया । इसमें भी गांधीजी को सफलता मिली तथा मिल मालिक को 35 प्रतिशत बोनस देने पर सहमत होना पडा ।
  • अनुसुइया बेन – गांधीजी की शिष्या तथा अम्बालाल साराभाई की बहन

रोलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह

  • 1917 में ब्रिटिश सरकार ने सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में ‘सेडिशन समिति’ का गठन किया ।
  • विधानपरिषद् के तमाम भारतीय सदस्यों के विरोध के बावजूद मार्च 1919 में रौलेट एक्ट पारित कर दिया गया जो बिना वकील, बिना अपील एवं बिना दलील का कानून था ।
  • इसके विरोध में गांधीजी ने सत्याग्रह सभा की स्थापना की।
  • 30 मार्च का अखिल भारतीय हडताल का भायोजन रखा लेकिन फिर इसे 6 अप्रेल तक स्थगित कर दिया
  • 6 अप्रैल, 1919 – प्रथम अखिल भारतीय हडताल
  • स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने गांधीजी को दिल्ली आमंत्रित किया । लेकिन गांधीजी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार करके बॉम्बे छोड दिया गया ।
  • अमृतसर में गांधीजी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे डॉ. सतपाल एवं सैफुद्‌दीन किचलू को 10 अप्रैल 1919 को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में जनता के मौन जुलूस पर सरकार की दमनात्मक कार्यवाही से जनता उग्र हो गई एवं उन्होंने अमृतसर में 5 गोरे लोगों की हत्या कर दी। स्थिति असामन्य होने पर मार्शल लॉ लगाया एवं व्यवस्था जनरल द्वार. डायर को सौंप दी ।

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड

  • 13 अप्रैल 1919 ई. को वैशाखी के दिन मेले की भीड पर जनरल डायर ने गोलियां चलाई । सरकारी आंकडों के अनुसार 379 लोग मारे गये परन्तु वास्तव में मरने वालों की संख्या 1000 से भी अधिक थी
  • हंसराज नामक भारतीय ने जनरल डायर की सहायता की थी।
  • पंजाब के लेफ्टिनेन्ट गवर्नर श्री. डायर ने कार्यवाही को उचित ठहराया ।
  • खीन्द्रनाथ टैगोर ने विरोधस्वरूप सर (नाइटहुड) की उपाधि लौटा दी । शंकरन नायर ने गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया ।
  • सरकार ने इसकी जांच के लिए हंटर कमेटी का गठन किया जिसमें 03 भारतीय सदस्य थे ।
  • 1. चिमनलाल सीतलवाड
  • 2. सुल्तान अहमद
  • 3. जगत नारायण
  • कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में डायर को निर्दोष ठहराया एवं कहा कि वह केवल परिस्थितियों को समझ नहीं पाया ।
  • गांधीजी ने हंटर कमेटी की रिपोर्ट को ‘पन्ने दर पन्ने निर्लज्ज लीपापोती कहा ।’
  • कांग्रेस ने हत्याकाण्ड की जांच के लिए मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में समिति गठित की जिसके अन्य सदस्य गांधीजी तथा मोतीलाल नेहरू थे ।
  • हाउस ऑफ लॉईस ने जनरल डायर को Sword of honour भेंट की तथा उसे ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा ।
  • कालान्तर में शहीद उधमसिंह ने भी डायर की हत्या कर दी थी।

खिलाफत आन्दोलन (1919-1921)

  • मुस्लिम लीग के मध्यमवर्गीय नेतृत्व ने भारत में खिलाफत आन्दोलन की नींव रखी। इसके मुख्य नेता डॉ. अहमद अंसारी मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना शौकत अली, अब्दुल कलाम द्वाजाद आदि थे
  • इनकी मांग थी कि तुर्की का खलीफा (सुल्तान) जो कि मुसलमानों का धार्मिक एवं राजनीतिक प्रमुख होता था । उसके साथ ब्रिटिश सरकार प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सम्मानपूर्ण व्यवहार करें। (क्योंकि तुर्की ने युद्ध में जर्मनी का साथ दिया था) तथा तुर्की साम्राज्य को छिन्न-भिन्न नहीं किया जाये ।
  • 1919 में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन करके गांधीजी को उसका अध्यक्ष बनाया गया ।
  • मुश्लिम लीग में भी जिन्ना के नेतृत्व वाले अभिजात्य वर्ग ने भी खिलाफत द्वान्दोलन का विरोध किया था
  • 31 अगस्त, 1920 को खिलाफत दिवस के रूप में मनाया गया ।
  • 7 अक्टूबर 1919 खिलाफत दिवस मनाया गया
  • 23 नवम्बर 1919 को पहला अधीवेशन दिल्ली में हुआ जिसकी अध्यक्षता गांधीजी ने की।
  • 20 जून 1920 इलाहबाद में हिंदू-मुस्लीम नेताओं ने संयुक्त बैठक की और असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया ।
  • कालान्तर में खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन का ही हिस्सा बन गया ।
  • तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा के नेतृत्व में यंग तुर्की भांदोलन चला और इन्होंने खलीफा की सत्ता को समाप्त कर दिया ।
  • खिलाफत आंदोलन समाप्त हो गया ।

1919 का भारत सरकार अधिनियम (मोण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)

  • मोण्टेग्यू घोषणा भारत सचिव लॉर्ड मोण्टेग्यू ने 20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश संसद में यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है।
  • अधिनियम की मुख्य विशेषताएं
  • भारत परिषद् के सदस्यों की संख्या (8-12) कर दी गई ।
  • गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् में 3/8 सदस्य अब भारतीय होगें ।
  • केन्द्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था होगी ।
  1. काउसिंल ऑफ स्टेट
  2. केन्द्र में द्विसदनात्मक असेम्बली
  • केन्द्र एवं राज्यों के बीच विषयों का विभाजन किया गया।
  1. संघीय सूची
  2. प्रान्तीय सूची
  • पहली बार प्रत्यक्ष निर्वाचन की परम्परा शुरू की गई यद्यपि महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया ।
  • मुसलमानों के साथ सिक्खों, भांग्ल-भारतीय, भारतीय ईसाईयों एवं यूरोपियन्स के लिए भी पृथक निर्वाचन पद्धति लागू कर दी गई ।
  • प्रान्तों में द्वैध शासन की स्थापना इसके अन्तर्गत प्रान्तीय विषय दो भागों में विभाजित किये गये
  1. आरक्षित
  2. स्थानांतरित
  • 1909 के अधिनियम में कहा गया था कि 10 वर्ष बाद भारत में नये सुधार किये जायेगे ।

Note – सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने 1919 में अखिल भारतीय उदारवादी संघ का गठन कर लिया था ।

असहयोग आंदोलन

  • सितम्बर 1920 के कांग्रेस के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में (अध्यक्ष-लाला लाजपतराय) गांधीजी ने असहयोग का प्रस्ताव पेश किया । कांग्रेस के अनेक महत्वपूर्ण नेताओं ने इसका विरोध किया जैसे – सी. भार. दास, जिन्ना, एनी बेसेन्ट, शंकरन नायर, विपिनचन्द्र पाल, मदन मोहन मालवीय आदि ।
  • फिर भी गांधीजी ने अली बंधुओं एवं मोतीलाल नेहरू के समर्थन से यह प्रस्ताव पारित करवा लिया ।
  • दिसम्बर 1920 के कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन (विजय राघवाचार्य) में इस प्रस्ताव की पुष्टि की गई । इस बार प्रस्ताव सी.आर. दास ने ही प्रस्तुत किया था। जब असहयोग का प्रस्ताव पास हुआ तो इसके विरोध में जिन्ना, एनी बेसेन्ट एवं विपिन चन्द्र पाल ने कांग्रेस छोड दी ।
  • नागपुर अधिवेशन का ऐतिहासिक महत्व इसलिए है क्योंकि यहां पर वैधानिक साधनों के अन्तर्गत स्वराज्य प्राप्ति के लक्ष्य को त्यागकर सरकार के सक्रिय विरोध करने की बात को स्वीकार किया गया ।
  • विदेशी वस्त्रो की होली जलाये जाने को रविन्द्रनाथ टैगोर ने निष्ठर बर्बादी की संज्ञा दी ।

चौरा-चौरी कांड : 1922

  • 4 फरवरी 1922 (गोरखपुर) उत्तरप्रदेश
  • इस काण्ड में 22 जवानो को थाने के अंदर जिंदा जला दिया ।
  • इस काण्ड के कारण गांधीजी ने 22 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन समाप्त कर दिया ।
स्वराज पार्टी
  • 1 जनवरी 1923 को इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की गई ।
  • अध्यक्ष चितरंजन दास
  • सचिव – मोतीलाल नेहरू
  • 1923 के चुनावों मे स्वराज दल को मध्य प्रान्त मे पूर्ण बहुमत बंगाल, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे मे प्रधानता एवं केन्द्रीय विधानमण्डल में 101 मे से 42 स्थान प्राप्त हुने फलस्वरूप यह पार्टी संघीय मंत्रिपरिषद में विट्ठलभाई पटेल को अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित करवाने में सफल रही।
  • इन्हे परिवर्तनवादी कहा गया क्योंकि ये विधान मण्डल में प्रवेश करके आंदोलन को आगे बहाना चाहते थे ।

साइमन कमीशन

  • 1927 ई. मे साइमन कमीशन का गठन किया गया जिसमें 7 सदस्य थे ।
  •  इसका उद्देश्य भारत मे राजनीतिक सुधारी के लिए सिफारिशें देना था क्योंकि 1919 ई. के अधिनियम मे यह प्रावधान था कि प्रत्येक 10 वर्ष पश्चात ब्रिटिश सरकार एक आयोग का गठन करेगी जो कि संवैधानिक सुधारों की सिफारिश करेगा ।
  • इसमें नेहरू ने सात सदस्यी समिति बनाई ताकि इसकी रिपोर्ट 10 अगस्त 1928 में प्रस्तुत की जा सके ।
  • चूँकि साइमन कमीशन मे 1 भी भारतीय सदस्य नही था इसलिए भारतीयों ने इसका विरोध किया
  • मदास की ‘जस्टिस पार्टी’ पंजाब को ‘यूनिनिस्ट पार्टी’ भीमराव अम्बेडकर एवं मुस्लिम लीग के ‘शफी-गुट’ ने साइमन कमीशन का विरोध नही किया ।

साइमन कमीशन की सिफारिशें

  • 1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम के तहत लागू की गई । द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर उत्तरदायी शासन की स्थापना हो ।
  • भारत मे संघात्मक व्यवस्था लागू की जाये ।
  • केन्द्र में भारतीयों को कोई भी उत्तरदायित्व न प्रदान किया जायें ।
  • ब्रिटिश भारत एवं भारतीय रिसायतो को मिलाकर एक ब्रिटिश संघ का गठन किया जाना चाहिए ।
  • वर्मा को भारत से अलग किया जाये तथा उडीसा एवं सिंध को अलग प्रान्तों का दर्जा दिया जायें ।
  • मताधिकार को और अधिक व्यापक करना चाहिए यद्यपि सार्वभौमिक मताधिकार नही दिया जाना चाहिए ।
  • पृथक निर्वाचन को असंतोष जनक बताया फिर भी इसको जारी रखने की सिफारिशें की गई ।

नेहरू रिपोर्ट 1928

  • साइमन कमीशन के बहिष्कार के बाद भारत सचिव लॉर्ड बर्कन हेड ने भारतीयों के समक्ष एक चुनौती रखी के वे ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष रखे, जिसे सभी दलो का समर्थन प्राप्त हो ।
  • कांग्रेस ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुये 28 फरवरी 1928 ई. को दिल्ली में सर्वदलीय सम्मेलन बुलाकर मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय समिति का गठन किया ।

सिफारिशें

  1. ब्रिटिश भारत एवं भारतीय रिसायतों को मिलाकर एक संघ की स्थापना की जायेगी ।
  2. पृथक निर्वाचन पद्धति को समाप्त किया जाना चाहिए तथा जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक है, वहाँ उन्हे आरक्षण दिया जायें ।
  3. सार्वभौमिक मताधिकार होना चाहिए ।
  4. दलितों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान किये जाने चाहिए ।
  5. भारत में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की जाये जिससे कि इंग्लैण्ड की प्रिवी कौंसिल ने अपील भेजना बंद हो सके ।
  6. बर्मा को भारत से अलग किया जायें ।
  7. भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया जायें ।
  8. सिंध, उडीसा एवं उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त नामक नये प्रान्त बनायें जाये ।
  9. भाषाई द्वाधार पर राज्यों का पुर्नगठन किया जाये ।
  • मुस्लिम लीग, हिन्दु महासभा, सिक्ख महासभा ने नेहरू रिपोर्ट का विरोध किया ।
  • जवाहर लाल नेहरू तथा सुभाष चन्द्र बोस ने डोमिनियन स्टेट की मांग का विरोध किया तथा इन्होने नई पार्टी इंडिपेडेस फॉर इंडिया लीग का गठन किया ।
    नेहरू रिपोर्ट के विरोध मे जिन्ना ने अपना 14 सूत्रीय माँग-पत्र प्रस्तुत किया ।
  • इसमें अवशिष्ट शक्तियाँ प्रान्तों को देने की बात कही गई ।

1929 का लाहौर अधिवेशन

  • अध्यक्ष – जवाहरलाल नेहरू
  • ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया ।
  • 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई ।
  • कांग्रेस समिति को सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का अधिकार मिला ।
  • गांधीजी ने 11 सूत्री मांग पत्र रखा ।
  • मांगे नहीं मानने पर 12 मार्च 1930 को गांधीजी साबरमती आश्रम से 78 सहयोगियों के साथ खाना हुयें । 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचकर नमक कानून तोडा । यह दांडी मार्च के नाम से प्रसिद्ध है। यही से सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ होता है।
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ और 5 मार्च 1931 को तेजबहादुर रुपू एवं जयकर के प्रयासों से गांधी इरविन समझौता (दिल्ली समझौता) हुआ, जिसके तहत ये आन्दोलन सामाप्त होता है ।
  • 1. कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापिस ले लिया ।
  • 2. पुलिस ज्यादती की जाँच की मांग को कांग्रेस ने वापस ले लिया ।
  • 3. कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन मे भाग लेगी ।1931 मे कराची अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति ने गांधी इरविन समझौते को मान्यता दे दी ।
  • 4. इसमें 19 अधिकारी को प्रतिपादित किया ।

गोलमेज सम्मेलन

  • ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन मे 3 गोलमेज सम्मेलन आयोजित किये गये थे । (1930, 1931, 1932)
  • कांग्रेस ने केवल 2nd गोलमेज सम्मेलन मे भाग लिया था । (1931)
  • कांग्रेस की तरफ से केवल गांधीजी ने भाग लिया था ।
  • गांधीजी ‘राजपूताना नामक जहाज’ पर लंदन गये थे ।
  • सरोजनी नायडू तथा मदन मोहन मालवीय ने व्यक्तिगत रूप से भाग लिया था ।
  • फेंक मोरेस ने गांधीजी की लंदन यात्रा का वर्णन किया था ।
  • गोलमेज सम्मेलन से लौटकर गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस शुरू कर दिया । (1932)
  • 1934 मे सविनय अवज्ञा आन्दोलन समाप्त कर दिया गया ।

कराची अधिवेशन (1931)

  • अप्रैल 1930 दाण्डी नामक जगह पर नमक का उल्लंघन किया था।
  • 1930-31 में बच्चों की वानर सेना व लडकियों की मंजरी सेना का गठन किया ।
  • अध्यक्ष- सरकार वल्लभ भाई पटेल
  1. गांधी-इरविन समझौते (दिल्ली समझौते) को मान्यता
  2. कांग्रेस के द्वार्थिक कार्यक्रम की घोषणा की गई ।

इसके तहत अर्थव्यवस्था के समाजवादी ढांचे को अपनाया गया ।

साम्प्रदायिक पंचाट
  • 16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मेक्डॉनल्ड ने इसकी घोषणा की, जिसके तहत दलितों को पृथक निर्वाचन पद्धति के अन्तर्गत शामिल किया गया । गांधीजी इस समय यश्वदा जेल मे थे । 20 सितम्बर 1932 को गांधीजी ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया ।

पूना समझौता

  • 26 सितम्बर 1932 (गाँधीजी व दलित नेता भीमराव अम्बेडकर के बीच)
  • 5 मार्च 1931 में हुआ
  • इस समझौते के अंतर्गत सविनय आंदोलन स्थगित किया ।
  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचार्य तथा पुरुषोत्तम दास टंडन ने यह समझौता करवाया था
  • अम्बेडकर ने पृथक निर्वाचन को अस्वीकार कर दिया उन्होने सामान्य द्वारक्षण को स्वीकार किया तथा इसके लिए सीटे बढाकर 71 से 148 कर दी गई ।
  • गांधीजी ने दलितो को हरिजन नाम दिया । हरिजन नामक समाचार पत्र प्रारम्भ किया । अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की ।

मुस्लिम लीग का लाहौर अधिवेशन

  • अध्यक्ष :- जिन्ना
  • पहली बार मुश्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान की मांग की ।
  • 1930 मे कवि इकबाल ने सबसे पहले अलग मुस्लिम देश की मांग की थी।
  • 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने इस देश का नाम पाकिस्तान बताया (Now or Never नामक पर्चा मे यह कहा था ।)
  • मुस्लीम लीग के लाहौर अधीवेशन (23 मार्च 1940) में पहली बार पाकिस्तान निर्माण का प्रस्ताव लाया गया ।
  • अगस्त प्रस्ताव 8 अगस्त 1940
  • कांग्रेस के बढ़ते हुये विरोध को देखते हुये तथा उसका समर्थन प्राप्त करने के लिए तत्कालीन भारतीय गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगों ने कुछ प्रस्ताव रखे जो अगस्त प्रस्ताव के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रावधान
  1. युद्ध परामर्शदात्री समिति का गठन होगा जिसके सदस्य भारतीय होगें जो ब्रिटिश सरकार को युद्ध के सन्दर्भमे परामर्श देगें ।
  2. गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में भारतीय सदस्यों की संख्या बढ़ा दी जायेगी तथा उनका बहुमत कर दिया जायेगा ।
  3. युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया जायेगा तथा उसके लिए संविधान निर्माण हेतु भारतीयों को आमंत्रित किया जायेगा ।
  4. अल्पसंख्यको को आश्वस्त किया गया कि भविष्य मे कोई भी समझौता उन्हे विश्वास मे लेकर ही किया जायेगा ।

व्यक्तिगत सत्याग्रह

  1. 17 अक्टूबर 1940 (महाराष्ट्र)
  2. प्रथम सत्याग्राही विनोबा भावे
  3. पण्डित नेहरू दूसरे सत्याग्राही बने । ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी दिया था ।
  • कांग्रेस एवं लीग दोनो ने ही इन प्रस्तावों को नकार दिया था ।

भारत सरकार अधिनियम 1935

प्रावधान
  • भारत परिषद को समाप्त कर दिया गया और इसके स्थान पर एक सलाहाकारी समिति का गठन किया गया ।
  • अखिल भारतीय संघ बनाने का प्रावधान था जिसमें ब्रिटिश भारत एवं देशी रिसायतें आानी थी। जिसमें रिसायतों ने इसमे कोई रूचि नहीं ली इसलिए यह संघ अस्तित्व में नहीं आया ।
  • केन्द्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था को रखा गया ।
  • केन्द्र मे द्वैध शासन की स्थापना की गई। केन्द्रीय विषयों को दो भागो में बांटा गया
  1. आरक्षित
  2. हस्तान्तरित
  • बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया ।
  • मुस्लिम, सिक्ख एवं एंग्लो-इण्डियन के लिए पृथक निर्वाचन जारी रखा गया ।
  • उडीसा, सिन्ध एवं उत्तरी प्रान्त सीमा नये राज्य बनाये गये ।
  • विषयों को 3 सूचियों में बांटा गया ।
  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची
  3. समवर्ती सूची
  • गवर्नर जनरल को वीटो एवं अध्यादेश जारी करने का अधिकार था ।
  • प्रान्तों मे द्वैद्य शासन को समाप्त कर इसके स्थान पर उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई प्रान्तीय स्वायत्तता पर बल दिया गया ।
  • दलितों को भी आरक्षण दिया गया ।
  • संघीय न्यायालय की स्थापना की गई।
  • आरबीआई की स्थापना की गई ।
  • मताधिकार का दायरा बढ़ाया गया । महिलाओं को भी इसमे शामिल किया गया ।
  • संघ लोक सेवा आयोग का गठन किया गया ।
1937 के चुनाव
  • 1935 के अधिनियम के तहत प्रान्तों में चुनाव करवाये गये ।
  • 11 मे से 5 प्रान्तों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला । बिहार, मदास, उडीसा, संयुक्त प्रान्त, मध्य प्रान्त
  • बॉम्बे मे कांग्रेस बहुमत से 1 सीट पीछे रह गई।
  • उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रान्त एवं असम में कांग्रेस सबसे बडे दल के रूप में उभरी ।
  • सिन्ध, पंजाब एवं बंगाल में कांग्रेस पिछडी ।
  • मुस्लिम लीग को एक भी प्रान्त मे स्पष्ट बहुमत नही मिला ।
  • मुस्लिम लीग ने विभिन्न राज्यों में शामिल होने का प्रस्ताव रखा एवं मिली जुली सरकार का प्रस्ताव स्था परन्तु कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया ।
  • दूसरे विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी युद्ध में शामिल करने की घोषणा कर दी कांग्रेस ने इसका विरोध किया
  • कांग्रेस की प्रान्तीय सरकारों ने विरोध स्वरूप 15 नवम्बर 1939 को इस्तीफे दे दिऐ ।
  • 22 दिसम्बर 1939 को लीग ने “मुक्तिदिवस” के रूप में मनाया ।

व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन

  • 17 अक्टूबर 1940 को कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारम्भ किया ।
  • प्रथम सत्याग्राही – विनोबा भावे
  • द्वितीय सत्याग्राही – जवाहरलाल नेहरू
  • यह “दिल्ली चलो” आन्दोलन के रूप मे लोकप्रिय हुआ

क्रिप्स मिशन 1942

कारणः-
  • अगस्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाना ।
  • व्यक्तिगत सत्याग्रह से दबाब ।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का उत्तरोत्तर शक्तिशाली होना ।
  • ऐसी स्थिति में ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल के सामने अन्तर्राष्ट्रीय दबाव था । अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट एवं चीनी प्रमुख च्यांग काई शेक के दबाव की वजह से चर्चिल को बाध्य होकर क्रिप्स मिशन भेजना पडा ।
  • क्रिप्स उदारवादी था तथा ब्रिटिश संसद में भी उसने भारतीय पक्ष का समर्थन किया था यह एक सदस्यीय आयोग था।
प्रावधान
  • युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दे दिया जायेगा । इसके तहत भारत को भी अधिकार होगा कि वह राष्ट्रमण्डल का सदस्य रहना चाहता है या नही ।
  • संविधान निर्माण के लिए संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जायेगा । इसके लिए प्रान्तीय विधान मंडलों के निचले सदनों के सदस्यों द्वारा आानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर संविधान सभा का निर्वाचन किया जायेगा ।
  • सभी प्रान्तों को यह स्वायत्तता होगी कि वे चाहे तो उस संविधान को स्वीकार करे अन्यथा अपनी यथास्थिति में बने रहे।
  • अल्पसंख्यको के हितों के संबंध मे सत्ता हस्तान्तरण के समय सरकार अलग से समझौता करेगी ।
  • जब तक युद्ध चल रहा है तब तक भारत की सुरक्षा का दायित्व ब्रिटेन का है।
  • गांधीजी ने इसे Post Dated Check कहा ।

भारत छोडो आन्दोलन (1942)

  • 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई तथा इसमें भारत छोडो प्रस्ताव पेश किया गया ।
  • 8 अगस्त को ग्वालिया टैंक मैदान (बॉम्बे) से आन्दोलन प्रारम्भ हुआ ।
  • गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया था। (भाषण दिया)
  • 9 अगस्त को ‘कॉपरेशन जीरो छॉवर’ के तहत गांधीजी के साथ ही कांग्रेस के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया ।
  • गांधीजी को पूजा के द्वामा खाँ महल में रखा गया तथा कांग्रेस के बाकी नेतालों को अहमद नगर के किले में रखा गया ।
  • ऊषा मेहता ने भूमिगत रेडियो स्टेशन की स्थापना की।
  • राममनोहर लोहिया यहाँ पर प्रतिदिन भाषण देते थे ।
  • आन्दोलन अनेक स्थानों पर हिंसक हो गया ।
  • अग्रेजो ने गाँधीजी पर हिंसा का आरोप लगाया तो गाँधीजी ने इसके विरोध में 21 दिन की भूख हडताल की।
  • उषा मेहता ने 14 अगस्त 1942 में सर्वप्रथम रेडियो प्रसारण किया मुम्बई में ।
  • 23 मार्च 1943 को मुस्लीम लीग ने पाकिस्तान दिवस मनाने का निश्चय किया ।
  • कई स्थानों पर समानान्तर सरकारों की स्थापना हुई-
  • 1. बलिया- चित्त पाण्डे (प्रथम समानान्तर सरकार)
  • 2. सतारा- नानाजी पाटिल, वाई.वी.चव्हाण (सबसे लम्बे समय तक चलने वाली सरकार)
  • 3. (तामलुक) मिदनापुर (बंगाल)- सतीश सावंत, मांतगिनी हाजरा (इसे जातीय सरकार कहा जाता है।)
  • यहाँ पर विद्युत वाहिनी सेना का गठन किया गया था ।
  • 1945 तक भारत छोडो आन्दोलन समाप्त हो गया था ।

आजाद हिन्द फौज

  • सितम्बर 1941 में कैप्टन मोहनसिंह के सहयोग से रासबिहारी बोस ने स्थापना की।
  • अक्टूबर 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की नई नींव डाली ।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी ढुंगा” का नारा दिया था ।

सी.आर फॉर्मूला (1944)

  • कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के बीच समझौता करवाने के लिए सी.द्वार राजगोपालाचारी ने एक फॉर्मूला पेश किया । यद्यपि कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने इसका विरोध किया था इसके बावजूद सी.आर ने गांधीजी को इसमे सहमत करवा लिया और कांग्रेस ने इसे मान लिया । गांधीजी ने जिन्ना को सहमत कराने के लिए प्रयास किया ।
प्रावधान
  1. मुस्लिम लीग राष्ट्रीय आन्दोलन का समर्थन करे एवं कांग्रेस को सहयोग करें ।
  2. अंग्रेजो के जाने के बाद मुस्लिम बहुल प्रान्तों मे विभाजन के लिए जनमत सर्वेक्षण कराया जायेगा ।
  3. जनता सर्वेक्षण से पहले सभी राजनैतिक दलों को अपने-अपने मत का प्रचार करने की अनुमति होगी ।
  4. विभाजन की स्थिति में रक्षा यातायात, दूरसंचार वाणिज्य आदि को साझा रखकर संघ बनाया जायेगा ।
  5. जिन्ना ने इसे पूर्णतया अस्वीकार कर दिया ।
  6. लीग ने संयुक्त संघ की मांग को सिरे से नकार दिया ।
  7. जिन्ना ने जनमत सर्वेक्षण में केवल मुसलमानों की राय पूछने को कहा ।
  8. अगर पाकिस्तान बनता है तो पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान के बीच गलियारा दिया जायें ।
  9. पहले विभाजन हो उसके बाद अंग्रेज जायें ।
  10. गांधीजी ने जिन्ना को मनाने की कोशिश की तथा जिन्ना को ‘कायदे आजम’ कहा ।

वेवेल योजना (1945)

प्रावधान
  • गवर्नर जनरल एवं सेना प्रमुख के अतिरिक्त सभी कार्यकारी परिषद के सदस्य भारतीय होंगे ।
  • विदेशी मामलें भी भारतीयो को दे दिये जायेगें ।
  • इस अंतरिम मंत्रिमण्डल को पूर्ण स्वतंत्रता होगी ।
  • गवर्नर जनरल भी यथासम्भव वीटो का प्रयोग नही करेगा ।
  • कार्यकारी परिषद मे सवर्ण हिन्दु एवं मुस्लमानों की संख्या बराबर होगी ।
  • सभी गिरफ्तार नेताओं को जेल से रिहा किया जायेगा
  • जून 1945 मे शिमला मे सम्मेलन का आयोजन कर अंतिम सरकार का गठन किया जायेगा ।

शिमला सम्मेलन (14 जून 1945)

  • इसमें 22 सदस्यों ने भाग लिया था ।
  • कांग्रेस का नेतृत्व मौलाना अबुल कलाम आजाद ने किया था ।
  • जिन्ना ने कहा कि “कार्यकारी परिषद के मुस्लिम सदस्यों के नाम मुस्लिम लीग द्वारा दिये जायेगें ।” अतः सम्मेलन असफल हो गया ।

शाही नौसेना विद्रोह

  • 18 फरवरी 1946 बी.सी दत्त नामक नाविक ने शाही जहाज ‘INS-तलवार’ पर अंग्रेजो भारत छोडो लिख दिया । 
  • बी.सी. दत्त को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया ।

प्लान बाल्कन

  • यह योजना माउन्ट बेटन ने दी थी।
  • इसके अनुसार बाल्कन देशों की तरह भारत के कई विभाजन किये जाये ।

माउण्टबेटन योजना

  • 20 फरवरी 1947 को प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा की हम जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र कर देगे तथा माउण्टबेटन भारत के नये गवर्नर जनरल होगे
  • 03 जून 1947 को माउण्टबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जिसे “डिकी बर्ड प्लान” भी कहा जाता है।
प्रावधान
  • पंजाब एवं बंगाल के प्रान्तीय विधानमण्डलों की बैठक की जायेगी ।
  • मुश्लिम एवं गैर मुस्लिम क्षेत्र के सदस्यों को अलग-अलग बैठाकर उनसे विभाजन के प्रश्न पर मतदान करवाया जायेगा ।
  • यदि एक भी पक्ष विभाजन का समर्थन करता है तो इन दोनो प्रान्तों का विभाजन कर दिया जायेगा ।
  • यदि दोनो पक्ष समर्थन करते है तो एक सीमा आयोग का गठन किया जायेगा। जिसकी अध्यक्षता रेडक्लिफ करेगें ।
  • उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रान्त एवं असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह करवाया जायेगा कि इन्हे भारत के साथ मिलाया जायें या पाकिस्तान के साथ भारत एवं पाक दो डोमिनियन स्टेट बनाये जायेगें ।

कैबिनेट मिशन 1946

ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेन्ट एटली द्वारा भेजा गया यह तीन सदस्यीय आयोग था ।

  • पैधिक लॉरेन्स – भारत सचिव
  • ए.वी. अलेक्जेंडर- नौसेना प्रमुख
  • स्टेफोर्ड क्रिप्स’ व्यापार मण्डल अध्यक्ष
  1. कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत द्वाया ।
  2. गाँधीजी ने कैबिनेट मिशन का समर्थन किया ।
  3. कैबिनेट मिशन के अंतर्गत जुलाई 1946 संविधान सभा का गठन हुआ ।
प्रावधान
  • पाकिस्तान की मांग को अस्वीकार कर दिया ।
  • केन्द्र मे संघात्मक व्यवस्था होगी जिसमें रक्षा, विदेश एवं संचार केन्द्र के पास होगे तथा अवशिष्ट विषय राज्यों को दिये जायेगें ।
  • यदि धार्मिक विषय पर कानून बनाया जाता है तो दोनो सम्प्रदायों के सदस्यों की पृथक-पृथक अनुमति आवश्यक है।
  • प्रान्तों को समूह बनाने की स्वतंत्रता होगी । यदि रिसायते भी अपना अलग से संघ बनाना चाहती है तो वे ऐसा कर सकती है।
  • प्रान्तीय विधानमण्डलों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के आधार पर संविधान सभा का निर्वाचन होगा ।
  • पाकिस्तान की मांग को उन्ही तर्को के आधार पर अस्वीकार कर दिया गया जिन तर्को के आधार पर मांग की गई थी।
अल्पसंख्यकों की समस्या
  • संसाधनों का अवैज्ञानिक बंटवारा
  • भौगौलिक दृष्टि से पूर्वी एवं पश्चिमी पाक के बीच अन्तराल

 जब तक संविधान का निर्माण नहीं हो पाता, अंतिम सरकार का गठन किया जायेगा ।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई 1947

  1. 15 अगस्त 1947 को भारत एवं पाक दो डोमिनियन स्टेट अस्तित्व में आयेगें । ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण समाप्त हो जायेगा ।
  2. जब तक नया संविधान नही बनता तब तक संविधान सभा ही विधानमण्डल का कार्य करेगी ।
  3. 1935 के भारत सरकार अधिनियम के अनुरूप ही भारत मे शासन कार्य किया जायेगा ।
  4. भारतीय रिसायतों के साथ ब्रिटिश सरकार की संधियाँ समाप्त हो जायेगी तथा वे स्वतंत्र स्थिति में आ जायेगी
  5. ब्रिटिश सम्राट की उपाधि मे से “भारत का सम्राट” पद हटा दिया जायेगा ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के महत्त्वपूर्ण सत्र

परिचय:
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना दिसंबर, 1885 में बॉम्बे में की गई थी।
  • इसके प्रारंभिक नेतृत्त्वकर्त्ताओं में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्य अय्यर शामिल थे। प्रारंभ में इसके कई नेतृत्त्वकर्त्ता बंबई और कलकत्ता से संबंधित थे।
  • एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी, ए.ओ. ह्यूम ने विभिन्न क्षेत्रों के भारतीयों को एक साथ लाने में भी भूमिका निभाई।
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रयास था।
  • देश के सभी क्षेत्रों तक पहुँच स्थापित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
  • अधिवेशन का अध्यक्ष उसी क्षेत्र से चुना जाता था, जहाँ कि कॉन्ग्रेस के अधिवेशन का आयोजन  किया जा रहा हो।
विभिन्न सत्र:
  • पहला अधिवेशनवर्ष 1885 में बॉम्बे में आयोजित। अध्यक्ष: डब्ल्यू.सी. बनर्जी
  • दूसरा सत्रवर्ष 1886 में कलकत्ता में आयोजित। अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
  • तीसरा सत्रवर्ष 1887 में मद्रास में आयोजित। अध्यक्ष: सैयद बदरुद्दीन तैय्यबजी (पहले मुस्लिम अध्यक्ष)
  • चौथा सत्र: वर्ष 1888 में इलाहाबाद में आयोजित। अध्यक्ष: जॉर्ज यूल, पहले अंग्रेज़ अध्यक्ष
  • वर्ष 1896: कलकत्ता। अध्यक्ष: रहीमतुल्ला सयानी
    • रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा पहली बार राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ गाया गया।
  • वर्ष 1899: लखनऊ। अध्यक्ष: रमेश चंद्र दत्त।
    • भू-राजस्व के स्थायी निर्धारण की मांग।
  • वर्ष 1901: कलकत्ता। अध्यक्ष: दिनशॉ ई. वाचा।
    • पहली बार गांधीजी कॉन्ग्रेस के मंच पर दिखाई दिये।
  • वर्ष 1905: बनारस। अध्यक्ष: गोपाल कृष्ण गोखले
    • सरकार के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा।
  • वर्ष 1906: कलकत्ता। अध्यक्ष: दादाभाई नौरोजी
    • इसमें चार प्रस्तावों को अपनाया गया: स्वराज (स्व सरकार), बहिष्कार आंदोलन, स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा।
  • वर्ष 1907: सूरत। अध्यक्ष: रास बिहारी घोष
    • कॉन्ग्रेस का विभाजन- नरमपंथी और गरमपंथी
    • सत्र का स्थगित होना।
  • वर्ष 1910: इलाहाबाद। अध्यक्ष: सर विलियम वेडरबर्न
    • एम.ए. जिन्ना ने 1909 के अधिनियम द्वारा शुरू की गई पृथक निर्वाचन प्रणाली की निंदा की।
  • वर्ष 1911: कलकत्ता। अध्यक्ष: बी.एन. धर
    • कॉन्ग्रेस अधिवेशन में पहली बार जन-गण-मन गाया गया।
  • वर्ष 1915: बॉम्बे। अध्यक्ष: सर एस.पी. सिन्हा
    • चरमपंथी समूह के प्रतिनिधियों को स्वीकार करने के लिये कॉन्ग्रेस के संविधान में बदलाव किया गया।
  • वर्ष 1916लखनऊ। अध्यक्ष: ए.सी. मजूमदार
    • कॉन्ग्रेस के दो गुटों- नरमपंथियों और अतिवादियों के बीच एकता।
    • कॉन्ग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनीतिक सहमति बनाने के लिये लखनऊ पैक्ट पर हस्ताक्षर किये गए।
  • वर्ष 1917कलकत्ता। अध्यक्ष: एनी बेसेंट, कॉन्ग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष
  • वर्ष 1918 (विशेष सत्र): बॉम्बे। अध्यक्ष: सैयद हसन इमाम
    • इस सत्र को विवादास्पद मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार योजना के संबंध में बुलाया गया था।
  • वर्ष 1919: अमृतसर। अध्यक्ष: मोतीलाल नेहरू
    • कॉन्ग्रेस ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन दिया।
  • वर्ष 1920 (विशेष सत्र)कलकत्ता। अध्यक्ष: लाला लाजपत राय
    • महात्मा गांधी ने असहयोग संकल्प को आगे बढ़ाया।
  • वर्ष 1920: नागपुर। अध्यक्ष: सी. विजयराघवाचार्य
    • भाषायी आधार पर कॉन्ग्रेस की कार्य समितियों का पुनर्गठन।
  • वर्ष 1922: गया। अध्यक्ष: सी.आर. दास
    • सी.आर. दास और अन्य नेता INC से अलग हो गए।
    • स्वराज पार्टी का गठन।
  • वर्ष 1924: बेलगाम। अध्यक्ष: एम.के. गांधी
    • महात्मा गांधी की अध्यक्षता में आयोजित केवल एक सत्र।
  • वर्ष 1925कानपुर। अध्यक्ष: सरोजिनी नायडू, पहली भारतीय महिला अध्यक्ष।
  • वर्ष 1927: मद्रास। अध्यक्ष: डॉ. एम.ए. अंसारी
    • चीन, ईरान और मेसोपोटामिया में भारतीयों को इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।
    • साइमन कमीशन के बहिष्कार के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया।
    • पूर्ण स्वराज पर संकल्प को अपनाया।
  • वर्ष 1928: कलकत्ता। अध्यक्ष: मोतीलाल नेहरू
    • अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस का गठन।
  • वर्ष 1929: लाहौर। अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
    • ‘पूर्ण स्वराज’ पर प्रस्ताव पारित किया।
    • पूर्ण स्वतंत्रता के लिये सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया जाना।
    • 26 जनवरी को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा।
  • वर्ष 1931: कराची। अध्यक्ष: वल्लभभाई पटेल
    • मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प।
    • गांधी-इरविन समझौते का समर्थन।
    • महात्मा गांधी लंदन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में INC का प्रतिनिधित्व करने के लिये नामांकित।
  • वर्ष 1934: बॉम्बे। अध्यक्ष: राजेंद्र प्रसाद
    • कॉन्ग्रेस के संविधान में संशोधन।
  • वर्ष 1936: लखनऊ। अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
    • जवाहर लाल नेहरू द्वारा समाजवादी विचारों को प्रोत्साहन दिया जाना।
  • वर्ष 1937: फैजपुर। अध्यक्ष: जवाहर लाल नेहरू
    • किसी गाँव में होने वाला पहला अधिवेशन।
  • वर्ष 1938हरिपुरा। अध्यक्ष: सुभाष चंद्र बोस
    • जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्त्व में राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना।
  • वर्ष 1939त्रिपुरी। अध्यक्ष: राजेंद्र प्रसाद
    • सुभाष चंद्र बोस को फिर से चुना गया लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
    • उनकी जगह राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था।
    • सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया।
  • वर्ष 1940: रामगढ़। राष्ट्रपति: अबुल कलाम आज़ाद
  • वर्ष 1941–45: यह अवधि विभिन्न घटनाओं अर्थात्- भारत छोड़ो आंदोलन, आरआईएन म्युटिनी और आईएनए द्वारा प्रभावित।
    • क्रिप्स मिशन, वेवेल योजना और कैबिनेट मिशन जैसी संवैधानिक वार्ताओं का चरण।
    • इस चरण के दौरान इन घटनाओं के कारण कॉन्ग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ।
  • वर्ष 1946: मेरठ। अध्यक्ष: जेबी कृपलानी
    • आज़ादी से पहले का आखिरी सत्र।
    • जे.बी. कृपलानी स्वतंत्रता के समय INC के अध्यक्ष थे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्रों की सूची

स्थापना वर्ष (1885-1900)
तारीख
जगह
अध्यक्ष
सत्र
28-30 दिसंबर 1885
बंबई
व्योमेश चंद्र बनर्जी
1
27-30 दिसंबर 1886
कलकत्ता
दादाभाई नौरोजी
2
27-30 दिसम्बर 1887
मद्रास
बदरुद्दीन तैय्यबजी (प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति)
3
26-29 दिसम्बर 1888
इलाहाबाद
जॉर्ज यूल (प्रथम अंग्रेज राष्ट्रपति)
4
26-28 दिसम्बर 1889
बंबई
सर विलियम वेडरबर्न
5
26-30 दिसम्बर 1890
कलकत्ता
फिरोजशाह मेहता
6
28-30 दिसंबर 1891
नागपुर
पी. आनंद चार्लू
7
28-30 दिसंबर 1892
इलाहाबाद
व्योमेश चंद्र बनर्जी
8
27-30 दिसंबर 1893
लाहौर
दादाभाई नौरोजी
9
26-29 दिसम्बर 1894
मद्रास
अल्फ्रेड वेब
10
27-30 दिसंबर 1895
पुणे
सुरेंद्रनाथ बनर्जी
11
28-31 दिसम्बर 1896
कलकत्ता
रहिमतुल्लाह एम. सयानी
12 
27-29 दिसम्बर 1897
अमरावती
सी. शंकरन नायर
13
29-31 दिसम्बर 1898
मद्रास
आनंद मोहन बोस
14
27-29 दिसम्बर 1899
लखनऊ
रोमेश चंदर दत्त
15 
27-29 दिसम्बर 1900
लाहौर
एनजी चंदावरकर
16
स्वतंत्रता पूर्व युग (1900-1947)

 

तारीख
जगह
अध्यक्ष
सत्र
26-28 दिसम्बर 1901
कलकत्ता
दिनशॉ एडुल्जी वाचा
17
28-30 दिसंबर 1902
अहमदाबाद
सुरेंद्रनाथ बनर्जी
18
28-30 दिसम्बर 1903
मद्रास
लाल मोहन घोष
19
26-28 दिसम्बर 1904
बंबई
सर हेनरी कॉटन
20
27-30 दिसंबर 1905
बनारस
गोपाल कृष्ण गोखले
21
26-29 दिसम्बर 1906
कलकत्ता
दादाभाई नौरोजी
22
26-27 दिसम्बर 1907
सूरत
रासबिहारी घोष
23वां (सत्र निलंबित)
28-30 दिसंबर 1908
मद्रास
रासबिहारी घोष
23 
27-29 दिसम्बर 1909
लाहौर
मदन मोहन मालवीय
24
26-29 दिसंबर 1910
इलाहाबाद
सर विलियम वेडरबर्न
25 
26-28 दिसम्बर 1911
कलकत्ता
बिशन नारायण डार
26 
26-28 दिसंबर 1912
बांकीपुर
-रघुनाथ नरसिन्हा मुधोलकर
27 
26-28 दिसंबर 1913
कराची
नवाब सैयद मोहम्मद बहादुर
28
14-15 अप्रैल 1914
मद्रास
भूपेन्द्र नाथ बोस
29
27-29 दिसम्बर 1915
बंबई
सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा
30
26-30 दिसंबर 1916
लखनऊ
अंबिका चरण मजूमदार
31
26-29 दिसंबर 1917
कलकत्ता
एनी बेसेंट
32 वें
26-30 दिसंबर 1918
दिल्ली
मदन मोहन मालवीय
33 वें
29 अगस्त – 1 सितंबर 1918
बंबई
रोमेश चंदर दत्त
विशेष सत्र
26-30 दिसंबर 1919
अमृतसर
मोतीलाल नेहरू
34 
26-30 दिसंबर 1920
नागपुर
सी.विजयराघवाचार्य
35
27-28 दिसम्बर 1921
अहमदाबाद
हकीम अजमल खान (सीआर दास के कार्यकारी अध्यक्ष)
36 
26-31 दिसम्बर 1922
गया
देशबंधु चितरंजन दास
37 
4-8 सितम्बर 1923
दिल्ली
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद
विशेष सत्र
26-27 दिसंबर 1924
बेलगाम
एम.के. गांधी
39
15-17 अप्रैल 1925
कानपुर
सरोजिनी नायडू
40
26-28 दिसंबर 1926
गुवाहाटी
एस. श्रीनिवास अयंगर
41
26-28 दिसंबर 1927
मद्रास
एम. एक. अंसारी
42
29 दिसंबर 1928 – 1 जनवरी 1929
कलकत्ता
मोतीलाल नेहरू
43
16-18 अप्रैल 1929
लाहौर
पं. जवाहर लाल नेहरू
44
21-31 मार्च 1931
कराची
वल्लभभाई जे. पटेल
45 
12-14 सितम्बर 1933
कलकत्ता
नेली सेनगुप्ता
47
24-28 अक्टूबर 1934
बंबई
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
48
18-20 जून 1936
लखनऊ
पं. जवाहर लाल नेहरू
49
12-14 जुलाई 1937
फैजपुर
पं. जवाहर लाल नेहरू
50
19-21 फरवरी 1938
हरिपुरा
सुभाष चंद्र बोस
51
10-12 मार्च 1939
त्रिपुरा
सुभाष चंद्र बोस
52
19-20 मार्च 1940
रामगढ़
मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद
53
23-24 नवम्बर 1946
मेरठ
जेबी कृपलानी
54

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बेलगावी अधिवेशन के 100 वर्ष

संदर्भ
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बेलगावी में विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है। 
  • इनमें कांग्रेस कार्य समिति (CWC) का दो दिवसीय विस्तारित सत्र और ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ थीम पर एक सार्वजनिक रैली सम्मिलित है।
कांग्रेस के बेलगावी अधिवेशन के बारे में (26-27 दिसंबर, 1924)
  • यह कर्नाटक के बेलगावी (तब बेलगाम) में आयोजित कांग्रेस का 39वाँ अधिवेशन था। 
  • यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के लिए तीव्र राजनीतिक गतिविधि और बढ़ती गति का काल था। 
  • इसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी, यह एकमात्र बार था जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 
  • 1924 के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने वाले इस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजिनी नायडू और खिलाफत आंदोलन के नेता मुहम्मद अली जौहर एवं शौकत अली सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भाग लिया था। 
  • यह उत्पीड़न के सामने एकता, अहिंसा और सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का प्रमाण था।
प्रमुख निर्णय और परिणाम
  • असहयोग और सविनय अवज्ञा: महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रभावी हथियार के रूप में असहयोग और सविनय अवज्ञा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
    • ये सिद्धांत नमक मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन सहित पश्चात् के आंदोलनों की आधारशिला बन गए। 
  • खादी को बढ़ावा: सत्र ने आत्मनिर्भरता और ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के विरुद्ध प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में खादी (हाथ से काता हुआ कपड़ा) को बढ़ावा देने के महत्त्व पर बल दिया।
    •  इस पहल का उद्देश्य स्वदेशी उद्योगों को पुनर्जीवित करना और ब्रिटिश वस्तुओं पर निर्भरता कम करना था। 
  • सांप्रदायिक सद्भाव: गांधी ने भारत में विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों के मध्य सांप्रदायिक सद्भाव एवं एकता की आवश्यकता पर बल दिया।
    • औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा नियोजित विभाजनकारी रणनीति का सामना करने में यह महत्त्वपूर्ण था।
कांग्रेस के बेलगावी अधिवेशन का महत्त्व
  • गांधी का नेतृत्व: महात्मा गांधी के राष्ट्रपतित्व ने अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और स्वराज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। गांधी के विचारों और रणनीतियों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध भविष्य के आंदोलनों के लिए आधार तैयार किया। 
  • स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रभाव: सत्र ने किसान चेतना को प्रोत्साहन दिया, खादी का प्रसार किया और विशेष रूप से कर्नाटक में ग्राम उद्योगों को प्रोत्साहित किया।
    • इसने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पहलों में किसानों की भागीदारी को भी बढ़ाया। 
  • एकता और समावेशिता: सत्र में भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रमुख नेता सम्मिलित हुए, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सी. राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और कई अन्य सम्मिलित थे। यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारतीय नेताओं की एकता और सामूहिक संकल्प का प्रतीक था। 
  • सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव: प्रसिद्ध गायिका वीने शेषना ने ‘उदयवगली नम्मा चालुवा कन्नड़ नाडु’ गीत प्रस्तुत किया जो कर्नाटक के एकीकरण आंदोलन का गान बन गया।
    • इस कार्यक्रम ने स्वतंत्रता संग्राम में सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कांग्रेस का बेलगाम अधिवेशन, 1924

26-27 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी (पहले बेलगाम/ बेलगांव) में कांग्रेस के बेलगाम अधिवेशन (1924) का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है।

1924 के बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन के बारे में
  • यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 39वां अधिवेशन था। यह कांग्रेस का एकमात्र ऐसा अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की।
  • बेलगाम अधिवेशन का महत्त्व:
    • इस अधिवेशन में गांधीजी ने  ‘स्वराज’ और ‘सर्वोदय’ के विचार पर चर्चा की।
    • इस अधिवेशन में कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे और कार्यप्रणाली में सुधार किया गया, सदस्यता शुल्क में 90% की कटौती की गई तथा सामाजिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • बेलगाम में अस्पृश्यता के खिलाफ अलग से सम्मेलन आयोजित किया गया था।
    • हिंदू-मुस्लिम एकता, सार्वजनिक सेवा हेतु पारिश्रमिक और खादी के अनिवार्य उपयोग पर बल देने के लिए मजबूत प्रस्ताव पारित किया गया।

Indian National Congress Sessions

YearLocationPresidentImportance
1885BombayW C Bonnerjee1st session attended by 72 delegates
1886CalcuttaDadabhai NaorojiNational Congress and National Conference
1887MadrasSyed Badruddin TyabjiAppeal made to Muslims to join hands with other national leaders
1888AllahabadGeorge YuleFirst English president
1889BombaySir William Wedderburn
1890CalcuttaFeroz Shah Mehta
1891NagpurP. Ananda Charlu
1892AllahabadW C Bonnerjee
1893LahoreDadabhai Naoroji
1894MadrasAlfred Webb
1895PoonaSurendranath Banerjee
1896CalcuttaRahimtullah M. SayaniNational song ‘Vande Mataram’ sung for the first time
1897AmravatiC. Sankaran Nair
1898MadrasAnanda Mohan Bose
1899LucknowRomesh Chandra Dutt
1900LahoreN G Chandavarkar
1901CalcuttaDinshaw E. Wacha
1902AhmedabadSurendranath Banerjee
1903MadrasLal Mohan Ghosh
1904BombaySir Henry Cotton
1905BenaresGopal Krishna GokhaleExpressed resentment against the partition of Bengal
1906CalcuttaDadabhai NaorojiThe word ‘Swaraj’ was mentioned for the first time
1907SuratRash Behari GhoshParty splits into extremists and moderates
1908MadrasRash Behari GhoshPrevious session continued
1909LahoreMadan Mohan MalaviyaIndian Councils Act, 1909
1910AllahabadSir William Wedderburn
1911CalcuttaBishan Narayan Dhar‘Jana Gana Mana’ sung for the first time
1912Bankipore (Patna)Raghunath Narasinha Mudholkar
1913KarachiSyed Mohammed
1914MadrasBhupendra Nath Basu
1915BombaySatyendra Prasanna Sinha
1916LucknowAmbica Charan MazumdarLucknow Pact – joint session with the Muslim League
1917CalcuttaAnnie Besant (1847 – 1933)First woman president of the INC
1918Bombay And DelhiSyed Hasan Imam (Bombay) And Madan Mohan Malaviya (Delhi)Two sessions were held. First in Bombay in August/September Second in Delhi in December
1919AmritsarMotilal NehruJallianwala Bagh massacre strongly condemned
1920NagpurC Vijayaraghavachariar
1921AhmedabadHakim Ajmal Khan (acting President For C R Das)
1922GayaC R Das
1923KakinadaMaulana Mohammad Ali,
1924BelgaumM K Gandhi
1925KanpurSarojini Naidu (1879 – 1949)First Indian woman president
1926GuwahatiS Srinivasa Iyengar
1927MadrasM A Ansari
1928CalcuttaMotilal NehruAll India Youth Congress formed
1929LahoreJawaharlal NehruResolution for ‘Poorna Swaraj.’ Civil Disobedience movement for complete independence to be launched, 26 January to be observed as ‘Independence Day’.
1930No Session
1931KarachiVallabhbhai PatelResolution on fundamental rights and national economic progress. Gandhi-Irwin pact endorsed. Gandhi nominated to represent INC in the second round table conference
1932DelhiAmrit Ranchhorddas Seth
1933CalcuttaMalaviya Was Elected But Mrs Nellie Sengupta Presided
1934BombayRajendra Prasad
1937LucknowJawaharlal Nehru
1936FaizpurJawaharlal NehruFirst rural session/first session to be held in a village
1938HaripuraSubhas Chandra BoseNational planning committee set up under Nehru
1939TripuriSubhas Chandra BoseBose was elected but had to resign since Gandhi supported Pattabhi Sitaramayya. Instead, Rajendra Prasad was appointed
1940RamgarhAbul Kalam Azad
1941-45No session because of arrest
1946MeerutAcharya KripalaniLast session before independence
1948JaipurPattabhi SitaramayyaFirst session after independence
1950NashikPurushottam Das TandonResigned in 1951; Nehru became President
1951DelhiJawaharlal Nehru
1953HyderabadJawaharlal Nehru
1954KalyaniJawaharlal Nehru
1955Avadi(madras)U. N. Dhebar
1956AmritsarU. N. Dhebar
1958GauhatiU. N. Dhebar
1959NagpurIndira Gandhi
1960BangaloreNeelam Sanjeeva Reddy
1961BhavnagarNeelam Sanjeeva Reddy
1962BhubaneshwarDamodaran Sanjvayya
1963PatnaDamodaran Sanjvayya
1964BhubaneshwarK. Kamaraj
1965DurgapurK. Kamaraj

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