संविधान सभा
- संविधान बनाने का काम करने वाली सभा को संविधान सभा कहा जाता है।
- कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन किया गया था।
- इसमें अध्यक्ष – सर पैथिक लॉरेन्स
- दो अन्य सदस्य – ए.वी. एलैक्जेण्डर, सर स्टेफोर्ड क्रिप्स
- कैबिनेट मिशन के तहत संविधान सभा में सदस्य होने चाहिए थे – 389
- ब्रिटिश प्रान्तों से – 292
- कमिश्नरी प्रान्तों से – 4
- देशी रियासतों से – 93
- मुस्लिम लीग द्वारा बहिष्कार किये जाने के कारण संविधान सभा में 324 सदस्य ही रहे।
- 9 दिसम्बर, 1946 को पहली बैठक में सदस्य 207
- कुल महिलाएँ – 15
- पहली बैठक में – 9
- 15 अगस्त, 1947 को भारत के विभाजन के फलस्वरूप संविधान सभा में 299 सदस्य रहे।
- अन्तिम बैठक में हस्ताक्षर – 284 सदस्यों ने किये।
- संविधान सभा के अस्थाई सदस्य सिन्हा डॉ. सच्चिदानन्द
- संविधान सभा के स्थाई सदस्य (13 दिसम्बर, 1946) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
नोट
- सर बी. एन. राव संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार थे।
- उन्होंने ही संविधान का प्रारूप तैयार किया था।
- इसमें 6+1 (अध्यक्ष) सदस्य थे।
- प्रारूप समिति के सदस्य
- अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर
सदस्य
- एन. गोपाल स्वामी आयंगर
- अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुन्शी
- मोहम्मद सादुल्ला
- एन. माधव राव (इन्हें बी.एल. मिश्र के स्थान पर नियुक्त किया गया)
- डी.पी. खेतान (1948 में इनकी मृत्यु के पश्चात् टी.टी. कृष्णामाचारी को सदस्य बनाया गया)
- संविधान सभा की समितियाँ अध्यक्ष
- संघसंविधानसमिति,राज्यसमिति पं.जवाहरलालनेहरू, सरदारवल्लभभाई पटेल
- प्रान्तीय संविधान समिति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- संचालन समिति जे. बी. कृपलानी
- झंडा समिति सरदार वल्लभ भाई पटेल
- परामर्श समिति जे. बी. कृपलानी, एच. सी. मुखर्जी
विभिन्न देशों के संविधान से लिए गए प्रावधान
- सरकार का संसदीय स्वरूप
- कानून का शासन
- एकल नागरिकता ब्रिटिश संविधान से
- विधायिका में अध्यक्ष पद और उनकी भूमिका
- राज्य के नीति निदेशक तत्व आयरलैण्ड के संविधान से
- राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल की व्यवस्था
- मौलिक अधिकारों की सूची
- न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति
- संविधान की सर्वोच्चता अमेरिका से
- निर्वाचित राष्ट्रपति और महाभियोग
- उपराष्ट्रपति का पद
- स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त
- गणतन्त्र फ्रांस से
- सशक्त केन्द्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था
- अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त कनाडा से
- मूल कर्त्तव्य – सोवियत संघ (रूस) से
- शोषण के विरूद्ध अधिकार
- अनुच्छेद (24) यूगोस्लाविया से
कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
संविधान सभा
संविधान सभा में पहला दिन
- संविधान सभा की बैठक पहली बार 9 दिसंबर, 1946 को नई दिल्ली में कंस्टिट्यूशन हॉल, जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के रूप में जाना जाता है,में हुई।
- इस अवसर के लिए सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया सभा कक्ष उस दिन अपने एक नए रूप में था, जिसमें इसकी ऊंची छत और इसकी दीवारों पर मौजूद कोष्ठकों से लटके हुए प्रकाशमान लैंप का एक पुंज विद्यमान था।
- अभिभूत और प्रसन्नचित्त होकर माननीय सदस्य अर्ध-गोलाकार पंक्तियों में राष्ट्रपति के आसन की ओर मुख करके बैठे थे।
- विद्युत से गर्म किए जा सकने वाले डेस्कों को हरे-कालीन-युक्त ढलान वाले टेरेसों पर रखा गया था।
- अग्रिम पंक्ति को सुशोभित करने वालों में पंडित जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे.बी. कृपलानी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे-कृष्ण महताब, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, डॉ. बी.आर.अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली शामिल थे।
- नौ महिलाओं सहित दो सौ सात प्रतिनिधि उपस्थित थे ।
- उद्घाटन सत्र पूर्वाहन 11 बजे आचार्य कृपलानी द्वारा संविधान सभा के अस्थायी सभापति डॉ सच्चिदानंद सिन्हा के परिचय के साथ आरंभ हुआ।
- डॉ. सिन्हा और अन्य लोगों का स्वागत करते हुए, आचार्य जी ने कहा: जैसा कि हम हर कार्य को दैवीय आशीर्वाद से आरंभ करते हैं, हम डॉ सिन्हा से इस आशीर्वाद का आह्वान करने का अनुरोध करते हैं ताकि हमारा काम सुचारू रूप से आगे बढ़ सके।
- अब मैं, एक बार फिर, आपकी ओर से,डॉ. सिन्हा को पीठासीन होने के लिए आमंत्रित करता हूं।
- अपने अभिनंदन के साथ पीठासीन हुए डॉ. सिन्हा ने विभिन्न देशों से प्राप्त सद्भावना संदेशों को पढ़ा।
- सभापति के उद्घाटन भाषण और उपसभापति के नामनिर्देशन के पश्चात, सदस्यों से औपचारिक रूप से अपने परिचय पत्र प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया।
- सभी उपस्थित 207 सदस्यों द्वारा अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किए जाने और पंजिका पर हस्ताक्षर किए जाने के उपरांत पहले दिन की कार्यवाही समाप्त हुई।
- सभा कक्ष के फर्श से लगभग तीस फुट ऊपर दीर्घाओं में बैठे प्रेस के प्रतिनिधि और आगंतुक इस यादगार घटना के साक्षी बने ।
- आकाशवाणी केन्द्र, दिल्ली ने पूरी कार्यवाही की एक कम्पोजिट साउंड पिक्चर का प्रसारण किया ।
संविधान सभा के बारे में कुछ तथ्य
- संविधान सभा को स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के अपने ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में लगभग तीन वर्ष (दो वर्ष, ग्यारह माह और सत्रह दिन) का समय लगा ।
- इस अवधि के दौरान, इसने कुल 165 दिनों की अवधि में 11 सत्र आयोजित किए।
- इनमें से 114 दिन संविधान के प्रारूप पर विचार करने में व्यतीत हुए।
- इसकी संरचना के संबंध में,कैबिनेट मिशन द्वारा अनुशंसित योजना के अनुसार, प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से सदस्यों का चयन किया गया था।
- व्यवस्था निम्नानुसार थी: (i) प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से 292 सदस्य निर्वाचित किए गए; (ii) 93 सदस्यों ने भारतीय रियासतों का प्रतिनिधित्व किया; और (iii) 4 सदस्यों ने मुख्य आयुक्तों के प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया ।
- इस प्रकार संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी। तथापि, 3 जून, 1947 की माउंटबेटन योजना के तहत विभाजन के परिणामस्वरूप पाकिस्तान के लिए एक अलग संविधान सभा की स्थापना की गई और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य नहीं रहे।
- इसके परिणामस्वरूप, संविधान सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई।
संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियाँ और उनके अध्यक्ष
क्रमांक | समिति का नाम | अध्यक्ष |
---|---|---|
1 | प्रक्रिया संबंधी नियम समिति | राजेन्द्र प्रसाद |
2 | संचालन समिति | राजेन्द्र प्रसाद |
3 | वित्त और कर्मचारी समिति | राजेन्द्र प्रसाद |
4 | क्रेडेंशियल समिति | अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यारी |
5 | हाउस कमेटी | बी पट्टाभि सीतारामय्या |
6 | व्यापार समिति का आदेश | के.एम. मुन्सि |
7 | राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति | राजेन्द्र प्रसाद |
8 | संविधान सभा के कार्यों पर समिति | जी.वी. मावलंकर |
31 दिसंबर, 1947 को भारत की संविधान सभा की राज्यवार सदस्यता
प्रांतों-229
क्रमांक | राज्य | सदस्यों की संख्या |
---|---|---|
1 | मद्रास | 49 |
2 | बम्बई | 21 |
3 | पश्चिम बंगाल | 19 |
4 | संयुक्त प्रान्त | 55 |
5 | पूर्वी पंजाब | 12 |
6 | बिहार | 36 |
7 | सी.पी. और बरार | 17 |
8 | असम | 8 |
9 | उड़ीसा | 9 |
10 | दिल्ली | 1 |
11 | अजमेर-मेरवाड़ा | 1 |
12 | कूर्ग | 1 |
भारतीय राज्य-70
1 | अलवर | 1 |
2 | बड़ौदा | 3 |
3 | भोपाल | 1 |
4 | बीकानेर | 1 |
5 | कोचीन | 1 |
6 | ग्वालियर | 4 |
7 | इंदौर | 1 |
8 | जयपुर | 3 |
9 | जोधपुर | 2 |
10 | कोल्हापुर | 1 |
11 | कोटा | 1 |
12 | मयूरभंज | 1 |
13 | मैसूर | 7 |
14 | पटियाला | 2 |
15 | रीवा | 2 |
16 | त्रावणकोर | 6 |
17 | उदयपुर | 2 |
18 | सिक्किम और कूच बिहार समूह | 1 |
19 | त्रिपुरा, मणिपुर और खासी राज्य समूह | 1 |
20 | उ.प्र. राज्य समूह | 1 |
21 | पूर्वी राजपूताना राज्य समूह | 3 |
22 | मध्य भारत राज्य समूह (बुंदेलखण्ड एवं मालवा सहित) | 3 |
23 | पश्चिमी भारत राज्य समूह | 4 |
24 | गुजरात राज्य समूह | 2 |
25 | डेक्कन और मद्रास राज्य समूह | 2 |
26 | पंजाब राज्य समूह I | 3 |
27 | पूर्वी राज्य समूह I | 4 |
28 | पूर्वी राज्य समूह II | 3 |
29 | अवशिष्ट राज्य समूह | 4 |
संविधान सभा की पहली बैठक की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा का अभिभाषण संसद भवन, नई दिल्ली सोमवार, 9 दिसंबर, 1996, 18 अग्रहायण, 1918 (शक)
भारतीय संविधान का निर्माण: संविधान सभा का गठन और संरचना
भारतीय संविधान का निर्माण
- अंग्रेजों ने भारत पर 200 से ज़्यादा सालों तक राज किया।
- 1928 में भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई गई।
- समिति की रिपोर्ट, जिसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है, 1929 में प्रकाशित हुई।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटिश सरकार ने 1947 में भारत को आज़ादी दे दी।
- 1946 में भारत की संविधान सभा का चुनाव हुआ।
- इसका काम नए स्वतंत्र देश के लिए संविधान का मसौदा तैयार करना था।
- भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था और यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था।
- भारतीय संविधान का निर्माण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया थी।
- यह भारत में बड़े राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन का समय था।
- संविधान निर्माताओं को विभिन्न समूहों और हितों की प्रतिस्पर्धी मांगों को संतुलित करना था।
- उन्हें देश के अनूठे इतिहास और संस्कृति को भी ध्यान में रखना था।
- इसका नतीजा एक ऐसा संविधान था जिसे दुनिया के सबसे प्रगतिशील और लोकतांत्रिक संविधानों में से एक माना जाता है।
भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान घटनाक्रम
- भारतीय संविधान का मसौदा संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था, जिसे प्रांतीय विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना गया था। 389 सदस्यों वाली विधानसभा (भारत के विभाजन के बाद घटकर 299 रह गई) को संविधान का मसौदा तैयार करने में लगभग तीन साल लगे, जिसमें 165 दिनों की अवधि में ग्यारह सत्र आयोजित किए गए।
- इसने अन्य देशों के संविधानों से बहुत कुछ सीखा है।
- दूसरी ओर, विभिन्न संविधानों से प्रेरणा और स्रोत लेने से यह दूसरा हाथ नहीं बन जाता।
- इसके अलावा, मॉडल के रूप में बहुत कम जानकारी थी।
भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान घटनाक्रम | |
तारीख | स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण के दौरान की घटनाएं |
1934 | एमएन रॉय ने भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का विचार दिया था। |
1935 | संविधान सभा के गठन के इस विचार का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं ने समर्थन किया तथा मांग रखी। |
1938 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू ने मांग की कि संविधान सभा में केवल भारतीय ही शामिल हों। |
1940 | अगस्त प्रस्ताव में अंग्रेजों ने इस मांग को स्वीकार कर लिया। |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन से पहले क्रिप्स मिशन ने कहा था कि संविधान सभा का गठन द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के बाद किया जाएगा। |
1946 | कैबिनेट मिशन ने एक संविधान सभा का गठन किया। संविधान सभा में 389 सीटें थीं (296 ब्रिटिश भारत और 93 रियासतें ) कांग्रेस की बहुमत सीटें-208 |
9 दिसंबर 1946 | संविधान सभा की पहली बैठक 211 सदस्यों के साथ हुई। सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ. सचिदानंद सिन्हा थे। |
11 दिसम्बर 1946 | स्थायी राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद. उपराष्ट्रपति एच.सी. मुखर्जी संवैधानिक सलाहकार बीएन राव |
13 दिसंबर 1946 | उद्देश्य प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया था, जिन्होंने भारतीय संविधान की दार्शनिक संरचना की नींव रखी। इसे 22 जुलाई 1947 को पारित किया गया था। |
3 जून 1947 | लॉर्ड माउंटबेटन ने दो संविधान सभाओं की योजना बनाई थी। सीटों की संख्या घटाकर 299 कर दी गई। भारत की पहली संसद – संविधान सभा का गठन हुआ। स्वतंत्र भारत के प्रथम वक्ता- जी.वी. मालवणकर। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद। |
26 नवंबर 1949 | भारत का संविधान बनाया गया। |
भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी
- भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी । इसका गठन कैबिनेट मिशन (1946) योजना के तहत हुआ था और इसके लिए जुलाई 1946 में चुनाव हुए थे । जब 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई, मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की मांग पर बल दिया । इस पहली बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया । इस सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया । बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए । डॉ. एच.सी. मुखर्जी तथा टी. टी. कृष्णामचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए ।
भारतीय संविधान सभा से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ :
- उद्देश्य प्रस्ताव– 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सभा में ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया । इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1946 को सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया । इसने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया । वस्तुतः संविधान की वर्तमान प्रस्तावना इसका ही परिवर्तित रूप है ।
- 3 जून, 1947 को भारत के बंटवारे के लिए मांउटबेटन योजना पेश की गयी ।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर, 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया और संविधान पहली बार पढ़ा गया । सभा में इस पर पांच दिन (9 नवंबर, 1949 तक) आम चर्चा हुई ।
- संविधान पर दूसरी बार 15 नवंबर, 1948 से विचार होना शुरू हुआ । यह 17 अक्टूबर, 1949 तक चला । इस अवधि में कम से कम 7,653 संशोधन प्रस्ताव आये, जिनमें से वास्तव में 2,473 पर ही सभा में चर्चा हुयी ।
- संविधान पर तीसरी बार 14 नवंबर, 1949 से विचार होना शुरू हुआ । डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने ‘द कॉन्सटिट्यूशन ऐज़ सैटल्ड बाई द असेंबली बी पास्ड’ प्रस्ताव पेश किया । संविधान के प्रारूप पर पेश इस प्रस्ताव को 26 नवंबर, 1949 को पारित घोषित कर दिया गया । सभा के कुल 299 सदस्यों में से 284 सदस्य ने संविधान पर हस्ताक्षर किए । संविधान की प्रस्तावना में 26 नवंबर, 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया है जिस दिन भारत के लोगों ने सभा में संविधान को अपनाया, लागू किया व स्वयं को संविधान सौंपा । 26 नवंबर, 1949 को अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना, 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं ।
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भारतीय संविधान सभा की प्रमुख समितियाँ
- संविधान निर्माण करने वाली संविधान सभा में विभिन्न विषयों के लिए 8 प्रमुख समितियाँ और 15 लघु समितियाँ थीं।
- इसने संविधान के गठन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 11 सत्र आयोजित किए।
भारतीय संविधान सभा की प्रमुख समितियों के नाम
प्रमुख समितियों के नाम | अध्यक्ष |
| पंडित जवाहरलाल नेहरू |
प्रांतीय संविधान समिति | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
मसौदा समिति | डॉ. बी. आर. अंबेडकर |
सलाहकार समिति | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
मौलिक अधिकार उप-समिति | जेबी कृपलानी |
अल्पसंख्यक उप समिति | एच.सी. मुखर्जी |
उत्तर पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र और असम बहिष्कृत और आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र उप-समिति | ए.वी. ठक्करी |
बहिष्कृत और आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र उप-समिति | ए.वी. ठक्करी |
| डॉ राजेंद्र प्रसाद |
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भारतीय संविधान सभा की लघु समितियों के नाम
लघु समितियों के नाम | अध्यक्ष |
नागरिकता पर तदर्थ समिति | एस. वरदाचारी |
वित्त और कर्मचारी समिति | डॉ राजेंद्र प्रसाद |
साख समिति | अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर |
सदन कमेटी | पट्टाभि सीतारमैया |
व्यापार समिति का आदेश | डॉ के. एम. मुंशी |
राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति | डॉ राजेंद्र प्रसाद |
संविधान सभा के कार्यों पर समिति | जी. वी. मावलंकर |
सुप्रीम कोर्ट पर तदर्थ समिति | एस. वरदाचारी |
मुख्य आयुक्तों के प्रांतों पर समिति | पट्टाभि सीतारमैया |
संघ के संविधान के वित्तीय प्रावधानों पर विशेषज्ञ समिति | नलिनी रंजन सरकार |
भाषाई प्रांत आयोग | एस.के. धर |
संविधान के मसौदे की जांच के लिए विशेष समिति | जवाहर लाल नेहरू |
प्रेस दीर्घा समिति | उषा नाथ सेन |
मसौदा समिति
- अगस्त 1947 में संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी के साथ गठित यह सबसे महत्वपूर्ण समिति थी। इसके 7 सदस्य थे। इसके अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर थे।
- मसौदा समिति के शेष सदस्य के.एम. मुंशी, गोपालस्वामी अय्यंगार, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, सैयद मोहम्मद सदुल्लाह, एन. माधव राव (बी.एल. मित्तर के स्थान पर) और टी.टी. रामकृष्ण चारी (डीपी खेतान के स्थान पर) थे।
- अक्टूबर 1948 में दूसरे मसौदे के बाद फरवरी 1948 में भारत के संविधान का पहला मसौदा प्रस्तुत किया गया था।
- अंतिम मसौदा 4 नवंबर 1948 को सदन में पेश किया गया था।
- संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को मसौदा प्रस्ताव पारित किया गया था।
- दिसंबर 1939 में लाहौर अधिवेशन के प्रस्ताव के बाद 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया।
- इस प्रकार, 26 जनवरी 1949 को लागू नागरिकता, चुनाव, अनंतिम संसद आदि से संबंधित कुछ प्रावधानों को छोड़कर, संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
याद रखने के लिए मुख्य बिंदु
- संविधान सभा के लिए हाथी के प्रतीक को अपनाया गया था।
- बी. एन. राव को संविधान सभा के कानूनी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
- संविधान सभा के सचिव एच. वी. आर. अयंगर थे।
- एस. एन. मुखर्जी को संविधान सभा के मुख्य प्रारूपकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
- मूल संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा अंग्रेजी में हस्तलिखित था।
- हिंदी संस्करण वसंत कृष्ण वैद्य द्वारा लिखा गया था।
- कलाकार नंद लाल बोस और बेहर राममनोहर सिन्हा द्वारा सौंदर्यीकरण किया गया था।
संविधान का निर्माण
परिचय
- भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है, जिसमें 25 भागों में 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं। संविधान निर्माण के लिये संविधान सभा की स्थापना की गई थी। संविधान निर्माण की आवश्यकता को सबसे पहले ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1940 में स्वीकार किया था। अंत में कैबिनेट मिशन ने संविधान सभा का विचार सामने रखा और इसने भारत के संविधान की शुरुआत को चिह्नित किया। संविधान का प्रारूप तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने तथा 18 दिन लगे। संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ तथा इस दिन को “भारत के गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय संविधान के निर्माण की क्या आवश्यकता थी?
- यह विश्व भर में विभिन्न क्रांतियों से उभरा।
- विभिन्न सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक कारक।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद एक नई शासन प्रणाली की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
- भारत में विशाल संस्कृतियाँ, धर्म, भाषाएँ और परंपराएँ हैं, जिसके कारण राष्ट्र में एक समान कानून बनाने की आवश्यकता हुई।
- संविधान का एक मूल उद्देश्य नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मनमाने प्रशासनिक कार्यों से बचाना है।
- भारत को राज्य के सभी कार्यों में जाँच और संतुलन बनाए रखने के लिये लोकतंत्र के सिद्धांतों को स्थापित करने की आवश्यकता थी।
- सामाजिक न्याय और समानता वे कारण हैं, जिनके कारण जाति, लिंग, धर्म, नस्ल के आधार पर दीर्घकालिक भेदभाव के विरुद्ध नियम बनाने की शुरुआत हुई।
भारतीय संविधान के स्रोत क्या हैं?
- भारत सरकार अधिनियम, 1935: संविधान निर्माण के लिये इस अधिनियम के विभिन्न सिद्धांतों और प्रावधानों को अपनाया गया जैसे:
- शक्तियों का विभाजन।
- प्रांतीय स्वायत्तता
- द्विसदनीय व्यवस्था
- ब्रिटिश संविधान
- संसदीय शासन प्रणाली
- कानून का शासन
- विधायी प्रक्रिया
- एकल नागरिकता
- कैबिनेट प्रणाली
- परमाधिकार रिट
- संसदीय विशेषाधिकार
- द्विसदनीयता
- अमेरिकी संविधान
- मौलिक अधिकार
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- न्यायिक पुनर्विलोकन
- राष्ट्रपति पर महाभियोग
- उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को हटाना
- उपराष्ट्रपति का पद
- आयरिश संविधान
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP)
- राज्यसभा (उच्च सदन) के लिये सदस्यों का नामांकन
- राष्ट्रपति के निर्वाचन की विधि
- कनाडा का संविधान
- एक दृढ़ केंद्र सहित संघ
- केंद्र में अवशिष्ट शक्तियों का निहित होना
- केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति
- उच्चतम न्यायालय का सलाहकारी अधिकारिता
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान
- समवर्ती सूची
- व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
- संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
- वाइमर संविधान
- आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन
- सोवियत संविधान
- मौलिक कर्त्तव्य
- प्रस्तावना में न्याय के आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक)
- फ्राँसीसी संविधान
- गणतंत्र
- प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श
- दक्षिण अफ्रीकी संविधान
- भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
- राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन
- जापानी संविधान
- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
संविधान सभा के अंतर्गत कौन-सी समितियाँ गठित की गईं?
संविधान सभा के अंतर्गत कुल आठ समितियाँ गठित की गईं:
- संघ शक्ति समिति: इस समिति की ज़िम्मेदारी थी कि वह विषय-वस्तु को परिभाषित करे जिस पर संघ कार्यपालिका और विधायिका को शक्ति होगी।
- इस समिति की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
- संघीय संविधान समिति: इसने भारत के संविधान के लेखन पर कार्य किया।
- प्रांतीय संविधान समिति: इस समिति की स्थापना प्रांतीय स्तर पर सरकार की प्रणाली और स्वरूप को निर्धारित करने में सहायता के लिये एक मॉडल प्रदान करने के लिये की गई थी।
- इस समिति की अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी।
- प्रारूप समिति: इस समिति ने अन्य समितियों द्वारा दी गई रिपोर्टों के आधार पर संविधान का प्रारूप तैयार करने का कार्य किया।
- इस समिति की अध्यक्षता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की थी।
- मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक तथा जनजातीय एवं बहिष्कृत क्षेत्रों पर सलाहकार समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता में गठित इस समिति में निम्नलिखित पाँच उप-समितियाँ थीं:
- मौलिक अधिकार उप-समिति
- अल्पसंख्यक उप-समिति
- उत्तर-पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र और असम बहिष्कृत एवं आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र उप-समिति
- बहिष्कृत एवं आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्र (असम के अलावा) उप-समिति
- उत्तर-पश्चिम सीमांत जनजातीय क्षेत्र उप-समिति।
- प्रक्रिया नियम समिति: यह समिति सदस्यों के प्रवेश और त्याग-पत्र, विधानसभा और इसकी विभिन्न समितियों में कार्य संचालन तथा विधानसभा के कामकाज में शामिल सभी व्यक्तियों के वेतन एवं भत्ते तय करने से संबंधित प्रक्रियात्मक नियम बनाने के लिये ज़िम्मेदार थी।
- अन्य दो समितियाँ क्रमशः राज्य समिति और संचालन समिति थीं, जिनके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
- इन प्रमुख समितियों के अंतर्गत 13 छोटी समितियाँ गठित की गईं।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- सबसे लंबा संविधान
- कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण
- प्रस्तावना
- समाजवादी, कल्याणकारी, धर्मनिरपेक्ष राज्य
- निर्देशक सिद्धांत
- अर्द्ध-संघीय व्यवस्था
- संविधान और संवैधानिकता का पालन करना
भारतीय संविधान की मूल संरचना
- संविधान की सर्वोच्चता
- संविधान की संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक प्रकृति
- सरकार के विभिन्न अंगों, यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का पृथक्करण
- संविधान का संघीय चरित्र
- संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति
- देश की एकता और अखंडता
- कानून का शासन
- न्यायिक पुनर्विलोकन
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- संसदीय प्रणाली
- कल्याणकारी राज्य (सामाजिक-आर्थिक न्याय)
- न्याय तक प्रभावी पहुँच
- व्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ गरिमा भी।
- मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धांतों के बीच सामंजस्य एवं संतुलन।
- मौलिक अधिकारों के अंतर्निहित सिद्धांत।
- समानता का सिद्धांत।
- संविधान के अनुच्छेद 32 (रिट अधिकारिता), 136 (विशेष अनुमति याचिका के संबंध में अधिकारिता), 141 (सभी अन्य न्यायालयों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि की बाध्यकारी प्रकृति) और 142 (उच्चतम न्यायालय के डिक्री एवं आदेशों का प्रवर्तन) के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय की शक्तियाँ।
- संविधान के अनुच्छेद 226 (रिट अधिकारिता) और 227 (सभी न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति) के तहत उच्च न्यायालय की शक्तियाँ।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन।
- संविधान में संशोधन करने की संसद की सीमित शक्ति।
निष्कर्ष
- भारतीय संविधान भारत के नागरिकों का एकता का केंद्र बन गया है। यह एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से लोग अपने अधिकारों और उपचार का दावा करते हैं। संविधान प्रशासन द्वारा मनमानी कार्यवाही से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने में सहायता करता है। भारत में आज अगर हम स्वतंत्र रूप से सम्मान के साथ रह रहे हैं, तो यह संविधान के कारण है। संप्रभुता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता, अधिकार तथा कर्त्तव्य सभी शासकीय मानदंडों को मिलाकर सबसे बड़ी संपत्ति भारत का संविधान बनाया गया है।
69 साल पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए थे
- 1946 आजही के दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारतीय संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इससे पहले डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी सदस्य चुना गया, जिन्होंने 9 दिसंबर 1946 को हुई संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता की थी। इसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद सभा के स्थायी सदस्य चुने गए। संविधान के निर्माण के लिए कुल 22 समितियां बनाई गई थीं। इनमें से 29 अगस्त 1947 को गठित प्ररूप समिति का अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर को चुना गया था।
- खास: सरकारने हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का ऐलान किया है। इस साल पहली बार संविधान दिवस मनाया गया था।
भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण
- संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में “स्वराज विधेयक” द्वारा की गई।
- 1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई।
- 1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा।
- अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया।
- इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए।
- इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया।
- 1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई।
- 1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें कांग्रेस के मंच से पहली बार चनी हुई संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण की मांग की गई।
- मार्च 1942 में दुसरे विश्व युद्व से उपजी परिस्थितियों के उपरान्त क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया। जो एक सदस्य का था। इसने युद्ध के बाद भारत में उतरदायी शासन की मांग को मानने का वचन दिया। लेकिन यहां भी ‘डोमिनियम स्टेट’ अवधारणा रखी गई।
- जिसे कांग्रेस लीग और गांधीजी ने नामंजूर कर दिया।तथा गांधीजी ने इस मिशन को ‘पोस्ट डेटेड चैक’ की संज्ञा दी।
- अर्थात अंग्रेज एक ऐसा दिवालिया बैंक है जो भविष्य में कभी भी फेल हो सकता है।
- भारत में शासन की अव्यवस्था को देखते हुए तत्कालिन वायसराय लार्ड वेवल ने जून 1945 में शिमला में सर्वदलीय बैठक बुलायी जो किसी भी तार्किक नतीजे पर नहीं पहुंची। इस सम्मेलन को ‘शिमला सम्मेलन’ या वेवल योजना के नाम से जाना जाता है।
- मार्च 19466 में केबिनेट मिशन भारत भेजा गया। जिसकी अघ्यक्षता ‘सर पैथिक लारेन्स’ ने की तथा दो अन्य सदस्य सर स्टेफर्ड क्रिम्स और ए. वी. अलेक्जेण्डर थे।
- इस आयोग द्वारा तत्कालीन समय में शासन का सही निर्धारण करने का प्रयास किया गया। इसकी सिफारिशों के आधार पर संविधान सभा की रचना की गई जो निम्न प्रकार है-
संविधान सभा में कुद सदस्य संख्या 389 निर्धारित की गई।
- ब्रिटीश भारत से -292 सदस्य
- चीफ कमीशनरी से – 4 सदस्य
- देशी रियासतों से – 93 सदस्य रखे गये।
- ब्रिटीश भारत और चीफ कमिश्नरी क्षेत्रों से सदस्यों का निर्वाचन किया गया।
- प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर 1 सदस्य को चुना जाएगा।
- सदस्यों को 3 भागों में बांटा गया-
- सामान्य
- मुस्लिम
- सिख(पंजाब)
पृथक पाकिस्तान की मांग को नामंजूर कर दिया।
इसी आयोग की सिफारिशों के आधार पर जुलाई 1946 में चुनाव सम्पन्न कराए गए। जिसमें कांग्रेस ने 208 सीटें तथा मुस्लिम लीग 73 तथा अन्य 15 सीटे जीते।
चार चीफ कमिश्नरी क्षेत्रों में
- दिल्ली
- कुर्ग(कर्नाटक)
- अजमेर-मेरवाड़ा
- ब्रिटिश ब्लूचिस्तान(पाक)
- इसी के आधार पर अन्तरीम सरकार का गठन 1946 में किया गया। जिसमें 2 सितम्बर 1946 से कार्य करना प्रारम्भ किया जिसमें मुस्लिम लीग ने भाग नहीं किया।
- इस सरकार का अध्यक्ष तत्कालीन वायसराय लार्ड वेवल था। तथा उपाघ्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे।
- इस सरकार ने सदस्य संख्या नेहरू सहित 14 रखी गई।
- 26 अक्टूबर 1946 को इस सरकार का पुर्नगठन किया गया। लीन ने 5 प्रतिनिधि इसमें शामिल किए गए।
- मार्च 1947 में माउण्ट बेटन भारत के वायसराय बने। इन्होंने 3 जुन 1947 को एक योजना प्रस्तुत की जिसे विभाजन/ माउण्ट बेटन/ जून योजना के नाम से जाना जाता है। इसे 18 जुलाई 1947 को ब्रिटेन के राजा ने पास कर दिया।
- इस योजना की क्रियान्विती 15 अगस्त 1947 के भारत स्वतंन्त्रता अधिनियम में हुई। इसके निम्न प्रावधान थे-
भारत को 2 डोमिनियम स्टेटों में बांटा गय-
(1) भारत (2) पाकिस्तान
- भारत से ब्रिटीश सम्राट के सभी अधिकार हटा लिए गए।
- पुर्वी बंगाल, पश्चिमी बंगाल, सिन्ध, उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रदेश तथा असम का सिलहर जिला पाकिस्तान को दे दिया गया।
- भारत का शासन जब तक संविधान का निर्माण पुर्णत न हो। 1935 के भारत शासन अधिनियम से चलाना तया किया गया।
- संविधान सभा को सम्प्रभू/ सम्प्रभूता की स्थिति प्राप्त हो गई।
- भारत का वायसराय माउण्ट बेटन बना रहा। लेकिन पाकिस्तान में गर्वनर जनरल या वायसराय मोहम्मद अली जिन्ना बनें।
- विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया।
- 9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। जिसमें अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा को बनाया गया।
- दुसरी बैठक 11 दिसम्बर 1946 को हुई। जिसमें स्थायी अघ्यक्ष डां. राजेन्द्र प्रसाद को बनाया गया। इसी बैठक में उपाध्यक्ष एच. सी. मुखर्जी थे तथा सवैधानिक सलाहकार बी. एन. राव थे।
- तीसरी बैठक 13 दिसम्बर 1946 को बुलाई गई, जिसमें नेहरू जी द्वारा ‘उदे्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया गया। जिसे संविधान सभा ने 22 जनवरी 1947 को अपना लिया। इन्ही उद्देश्य प्रस्तावों के आधार पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना निर्मित की गई।
संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण हंतु कुछ समितियों का गठन किया गया जो निम्न प्रकार थी
समिति | अध्यक्ष |
---|---|
1 संघ शक्त् समिति | जवाहर लाल नेहरू |
2 संविधान समिति | जवाहर लाल नेहरू |
3 राज्यों के लिए समिति | जवाहर लाल नेहरू |
4 राज्यों तथा रियासतों से परामर्श समिति | सरदार पटेल |
5 मौलिक अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति | सरदार पटेल |
6 प्रान्तीय संविधान समिति | सरदार पटेल |
7 मौलिक अधिकारों पर उपसमिती | जे. बी. कृपलानी |
8 झण्डा समिति अध्यक्ष | जे. बी. कृपलानी |
9 प्रक्रिया नियम समिति(संचालन) | राजेद्र प्रसाद |
10 सर्वोच्च न्यायलय से संबधित समिति | एस. एच. वर्धाचारियर |
11 प्रारूप संविधान का परीक्षण करने वाली समिति | अल्लादी कृष्णा स्वामी अरयर |
12 प्रारूप समिति/ड्राफटिंग/मसौदा समिति | डा. भीमराव अम्बेडकर |
13 संविधान समीक्षा आयोग | एम एन बैक्टाचेलेया |
प्रारूप समिति के 7 सदस्य निम्न थे
- डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर
- अल्लादी कृष्णा स्वामी अयंगर
- एन. गोपाल स्वामी अयंगर
- कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुशी
- एन. माधवराज -यह बी. एल. मित्तल के स्थान पर आये थे।
- टी. टी. कृष्णामाचारी – यह डी. पी. खेतान के स्थान पर आये थे।
- मोहम्मद सादुल्ला
- प्रारूप समिति 29 अगस्त 1947 को गठित की गई थी।
- संविधान सभा में पहली बैठक क अन्तर्गत 207 सदस्यों ने भाग लिया।
- संविधान सभा में कुल 15 महिलाओं ने भाग लिया। तथा 8 महिलाओं ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।
- 15 अगस्त 1947 को भारत विभाजन उपरान्त संविधान सभा में सदस्य संख्या घटकर 324 रह गई।
- अक्टुबर 1947 को संविधान सभा में सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई।
- संविधान सभा द्वारा संविधान के कुल 3 वाचन सम्पन्न किए गए।
- अन्तिम वाचन 17 नवम्बर 1949 से 26 नवम्बर 1949 तक।
- कुल बैठके 105 तथा 12 अधिवेशन सम्पन्न किए गए। भारत विभाजन से पूर्व 4 अधिवेशन सम्पन्न किए गए।
- 7 वे अधिवेशन में महात्मा गांधी को श्रद्वांजली अर्पित कि गई।
- मई 1949 में भारत ने राष्ट्रमण्डल की सदस्यता ग्रहण करना सुनिश्चित किया।
- भारतीय संविधान सहमति और समायोजन के आधार पर बनाया गया है।
- भारतीय संविधान सभा ने दो प्रकार से कार्य किया।
- (1) जब संविधान निर्माण का कार्य किया जाता तो इसकी अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद करते तथा
- (2) जब संविधान सभा विधायिका के रूप में कार्य करती है तो अध्यक्षता गणेश वासुदेव मावंलकर द्वारा की जाती।
- संविधान सभा की अंतिम बैठक संविधान निर्माण हेतु 24 नवम्बर 1949 को आयोजित की गई। इस दिन 284 लोगों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।
- हस्ताक्षर करने वाला पहला व्यक्ति जवाहर लाल नेहरू था।
- राजस्थान से हस्ताक्षर करने वाला पहला व्यक्ति बलवंत सिंह मेहता था। तथा राजस्थान से 12 सदस्य भेजे गए।
- 11 सदस्य देशी रियासतों से तथा 1 चीफ कमीश्नरी अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र से है।
- 26 नवम्बर 1949 को संविधान के 15 अनुच्छेद जिसमें नागरिकता, अन्तरिम संसद तथा सक्रमणकालीन उपबंध लागु किए गए।
- सम्पुर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
- लेकिन लागु करने से पूर्व 24 जनवरी 1950 को अन्तिम बैठक बुलाई गई। जिसमें डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति चुना गया तथा राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान को अपनाया गया।
- राष्ट्रगान:- रविन्द्र नाथ टैगोर – पहली बार 1911 के कोलकत्ता अधिवेशन में गाया गया। अवधि – लगभग 52 सैकण्ड। रचना – मूल बांग्ला भाषा में
- राष्ट्रीय गीत – बंकिम चन्द चटर्जी
- यह मुलतः संस्कृत भाषा में है तथा आनन्द मठ से लिया गया था।
संविधान के स्त्रोत
- संविधान सभा द्वारा संविधान में 395 अनु., 22 भाग, 8 अनुसूचीयां तथा 14 भाषाएं रखी गई।
- वर्तमान संविधान में 395 अनु.(445), 22 भाग, 22 भाषाएं एवं 12 अनुसूचियां है।
विभिन्न देशों से संविधान में लिए गए प्रावधान
(1)इग्लैण्ड
- इकहरी नागरीकता,विधि का शासन,कानून निर्माण की प्रक्रिया, संसदीय शासन प्रणाली,
- राष्ट्रपति पद की औपचारिक स्थिति.मंत्री मण्डलीय शासन,
- मंत्री परिषद का सामुहिक उतरदायित्व
- नियत्रक एंव महालेखा परीक्षक पद का प्रावधान
- सांसदों एवं विधायकों के विशेषाधिकार
- राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति
(2) अमेरिका
- मौलिक अधिकार, न्यायिक सर्वोच्चता, न्यायिक पुनरावलोकन, उपराष्ट्रपति का पद
- महाभियोग की प्रक्रिया
- लोकतन्त्र
- न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया
- वितीय आपातकाल(विशेष)
- संविधान का तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमाण्डर होना।
- संघात्मक शासन के प्रावधान
(3) फ्रांस
- गणतंत्र
- गणतंत्र से तात्पर्य भारत का राष्ट्राध्यक्ष जनता द्वारा निश्चित समय के लिए अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, इसका पद वंशानुगत नहीं है।
(4) कनाडा-
- संघीय शासन व्यवस्था के प्रावधान
- अतिविशिष्ट शक्तियां केन्द्र के अधीन रखी गई है।
- युनियन आॅफ स्टेट्स शब्द की अवधारणा।
- राष्ट्रपति का सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श प्राप्त करना।
(5) पुर्व सोवियत संघ(रूस)
- मौलिक कर्तव्य
- पंचवर्षीय योजनाएं
- समाजवाद
(6) जर्मनी
- राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के प्रावधान
(7) आयरलैण्ड
- नीति निर्देशक तत्व
- राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल की व्यवस्था
- राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनित करना।
(8) दक्षिणी अफ्रीका
- संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया
- राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन
(9) आॅस्ट्रेलिया
- समवर्ती सूची
- प्रस्तावना की भाषा
- संसद के दोनो सदनों की संयुक्त बैठक का प्रावधान
(10) जापान
- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया ।
1935 का भारत शासन अधिनियम
- संविधान में इसका लगभग 2/3 भाग लिया गया है।
- भारतीय संविधान का सबसे बड़ा एकाकी स्त्रोत है।
- अधिवेता – आइबर जेनिंग्स – “वकीलो का स्वर्ग”
TRICKS
नि आ आ ज स द को ग फा क रू
- नीति निर्देशक तत्व – आयरलैण्ड
- आपातकाल – जर्मनी
- संविधान संशोधन – द. अफ्रीका
- गणतन्त्रात्मक शासन प्रणाली – फ्रांस
- मूल कर्तव्य – रूस
अ न्याय की पुनः उप मा लो – अमेरिका
- मुल अधिकार
- न्यायपालिका
- पूर्वालोकन
- उपराष्ट्रपति
- महावियोग
- लोक तंत्र
इक विका स रा मंत्र – इग्लैण्ड
- इकहरी नागरिकता
- विधि का शासन
- संसदिय शासन प्रणाली
- राष्ट्रपति
- मंत्रीपरिषद
संवैधानिक अनुच्छेद
- अनुच्छेद 1 – यह घोषणा करता है कि भारत “राज्यों का संघ” है।
- अनुच्छेद 3 – संसद विधि द्वारा नए राज्य बना सकती है तथा पहले मौजूद राज्यों के क्षेत्रों,समीओं, नामों में परिवर्तन कर सकती है ।
- अनुच्छेद 5-11 – नागरिकता का प्रवाधान
- अनुच्छेद 12-35 – मौलिक अधिकार का प्रावधान
- अनुच्छेद 36-51 – राज्य के नीति-निर्देशक तत्व
- अनुच्छेद 51(क) – मौलिक कर्तव्य
- अनुच्छेद 52-73 – भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का संगठन और कार्यक्षेत्राधिकार
- अनुच्छेद 74-75 – मंत्रिपरिषद् की व्यवस्था और उसके कर्तव्य
- अनुच्छेद 79 – संसद का गठन
- अनुच्छेद 80 – राज्यसभा का गठन
- अनुच्छेद 81 – लोकसभा का गठन
- अनुच्छेद 123 – राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार
- अनुच्छेद 124 – सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना
- अनुच्छेद 153-162 – राज्यपाल की नियुक्ति तथा अधिकार
- अनुच्छेद 163-164 – राज्य के मंत्रिपरिषद् सहमुख्यमंत्री
- अनुच्छेद 168-195 – राज्य विधायिका
- अनुच्छेद 216 – उच्च न्यायालय का गठन
- अनुच्छेद 239(क) – दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 243 – पंचायती राज,नगरपालिका का गठन और इसके अन्य उपबंध
- अनुच्छेद 248 – अविशिष्ट विधी संबंधी शक्तियां
- अनुच्छेद 266 – भारत और राज्यों की संचित निधियां
- अनुच्छेद 267 – आकस्मिक निधियां
- अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग का गठन
- अनुच्छेद 281 – वित्त आयोग के गठन की सिफारिशें
- अनुच्छेद 312 – अखिल भारतीय सेवाएं
- अनुच्छेद 315 – संघ एवं राज्य लोकसेवा आयोग का गठन
- अनुच्छेद 320 – संघ लोक सेवा आयोग के कार्य
- अनुच्छेद 324 – भारत का निर्वाचन आयोग
- अनुच्छेद 330 – लोकसभा में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षण
- अनुच्छेद 331 – लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
- अनुच्छेद 343-351 – संघ की भाषा,प्रादेशिक भाषाएं, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों की भाषा के संबंध में ।
- अनुच्छेद 352-360 – आपातकालीन उपबंध
- अनुच्छेद 368 – संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति और प्रकिया
- अनुच्छेद 370 – जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध
भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां
(1) प्रथम अनुसूची
- इसमें संघ एवं राज्य क्षेत्रों का वर्णन दिया गया है। 7 वां संविधान संशोधन 1956 से इसमें 14 राज्य एवं 6 केन्द्रशासित प्रदेश रखे गये थे। वर्तमान में 29 राज्य व 7 केन्द्र शासित प्रदेश है।
- रियासतों के एकीकरण से पूर्व भारत में 4 श्रेणियों में राज्य बंटे हुए थे।
- A श्रेणी – इसमें उन राज्यों को रखा गया जो सीधे वायसराय के अधिन थे।
- B श्रेणी – एक या एक से अधिक रियासतों से मिलकर बनने वाले राज्यों को रखा गया।
- C श्रेणी – चीफ कमीश्नरी या आयुक्त प्रान्तों को रखा गया।
- D श्रेणी – अण्डमान निकोबार द्वीप समूह को रखा गया।
- तत्कालीन समय में राजस्थान B श्रेणी का राज्य था।
- भाषाई दृष्टि से राज्यों के गठन की मांग को ध्यान में रखते हुए 1947 में एस. के. दर आयोग का गठन किया गया।
- इसकी सिफारिशों की जांच हेतु दिसम्बर 1948 में जे. बी. पी. समिति बनाई गई।
- व्यवस्था – सघांनात्मक(अमेरिका)
- व्यवस्था – संघीय(कनाड़ा)
- भाषा के आधार पर – राज्यों का पुनर्गठन
- 1947 – एस. के. दर आयोग(4 सदस्य कमेटी)
- भाषा के आधार पर राज्यों का गठन न करने की सिफारिश
- 1948 – जे. बी. पी. समिती(समीक्षा के लिए)(जवाहरलाल, वल्ल्भ भाई पटेल, पद्धाभि सीतारमैथ्या) भाषा एक मुख्य मुद्दा हो सकता है लेकिन इसके साथ-साथ राज्य प्रशासनिक संचालन की व्यवस्था को भी ध्यान में रखा जाए।
- 1 अक्टूबर 1953 – भाषा के आधारपर – आध्रप्रदेश का गठन करना पड़ा।
- दिसम्बर 1953 – फैजल अली आयोग/ राज्य पूनर्गठन आयोग।
- अध्यक्ष – फैजल अली 2 अन्य सदस्य – हृदयनाथ कुंजरू, के. एम. पणिमकर।
- इन्होंने 1955 में अपनी रिपोर्ट दि जिसके आधार पर सातवां संविधान संशोधन 1956 लाया गया। इसमें राज्यों की A,B,C,D श्रेणियों को समाप्त कर A व B श्रेणियां बनाई जिसमें A श्रेणियों में राज्यों को तथा B में केन्द्रशासित प्रदेश को रखा गया।
- 1 मई 1960 में बम्बई(बाम्बे) से दो राज्यों का पुनर्गठन महाराष्ट्र व गुजरात का हुआ।
- 18 दिसम्बर 1961 को गोवा, दमन व द्वीप भारत संघ में पहली अनुसुची के अन्तर्गत जोड़े गये।
- 1 दिसम्बर 1963 को नागालैण्ड का गठन किया गया।
- 1 नवम्बर 1966 पंजाब राज्य का पूर्नगठन कर इसमें हरियाणा व पंजाब दो राज्य व चण्डीगढ़ एक केन्द्रशासित प्रदेश बनाया।
- 25 जनवरी 1971 हिमाचल प्रदेश राज्य का गठन किया गया।
- 1972 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का गठन किया गया।
- 26 अप्रैल 1975 सिक्किम को 36 वें संविधान संशोधन 1975 में भारत संघ में मिलाया । इससे पुर्व यह सहराज्य था।
- 20 फरवरी 1987 को मिजोरम व अरूणाचल प्रदेश का गठन किया गया।
- 30 मई 1987 गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया तथा यह 25 वां राज्य बना।
- अन्तिम चार राज्यों का गठन –
- 26. छतीसगढ़ – 1 नवम्बर 2000 – मध्य प्रदेश से अलग हुआ
- 27. उत्तराखण्ड – 9 नवम्बर 2000 – उत्तरप्रदेश से अलग हुआ
- 28 झारखण्ड – 15 नवम्बर 2000 – बिहार से अलग हुआ
- 29 तेलंगाना – फरवरी 2014 – आन्ध्रप्रदेश से अलग हुआ
- तेलंगाना को श्री बी. एन. कृष्णा आयोग की सिफारिशों के आधार पर आंध्रप्रदेश राज्य में से पुर्ण गणित कर बनाया गया है।
दुसरी अनुसुची
- प्रमुख संवैधानिक पदाधिकारीयों के वेतन और अन्य सुविधाओं का वर्णन है।
- राष्ट्रपति का वेतन – 1,50,000 मासिक
- उपराष्ट्रपति का वेतन – 1,25,000 मासिक
- लोकसभा अध्यक्ष का वेतन – 1,25,000 मासिक
- राज्यपाल का वेतन – 1,10,000 मासिक
- सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधिश का वेतन – 1,00,000 व अन्य न्यायधिश का वेतन – 90,000 मासिक।
- उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधिश का वेतन – 90,000 व अन्य न्यायधिश का वेतन – 80,000।
- नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक का वेतन – 90,000
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त का वेतन – 90,000
- मुख्य सर्तकता आयुक्त का वेतन – 90,000 मासिक।
तीसरी अनुसुची
- प्रमुख सवैधानिक पदाधिकरीयों की शपथ का वर्णन।
- अपवाद – राष्ट्रपति की शपथ
चतुर्थ अनुसुची
- राज्य सभा में सीटों के वितरण का आधार भारत की जनसंख्या को माना गया है।
पांचवी अनुसुची
- इसमें अनुसुचित जनजातीयों के क्षेत्रों व प्रशासन का संचालन एवम् नियत्रण का वर्णन है।
छठी अनुसुची
- इसमें मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और असम के पहाडी जनजाती क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण का क्षेत्र का वर्णन है।
- यहां पहाड़ी जनजाती परिषद बनी हुई है जहां प्रशासन नियंत्रण राष्ट्रपति के हाथों में है।
सातवीं अनुसुची
- इसके अन्तर्गत केन्द्र व राज्यों सम्बन्धों का वर्णन दिया गया है। इसमें तीन सुचीयों का प्रावधान है।
- (1) केन्द्र/संघ सुची – कानुन बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।
- विषय – 97(मुल) गणना – 99
- प्रमुख विषय – रेल, वायु, जल(परिवहन) जनगणना, रक्षा,विदेश सम्बध, बैंक, आयकर, आयात निर्यात, साइबर अपराध, वायदा व्यापार इत्यादि।
- (2) राज्य सुची – इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को होता है।
- विषय – पशुधन, भुमि, खनन, सहकारिता, विधुत, स्थानीय-शासन,स्वास्थ्य, मनोरंजन, जेल, पुलिस, शराब(आबकारी), खेल।
- (3) समवर्ती सुची – कानुन बनाने का अधिकार केन्द्र व राज्य दोनों को है। लेकिन दोनों के कानुनों में गतिरोध उत्पन्न होने पर केन्द्र का कानुन मान्य होगा।
- विषय – 47(मुल) गणना- 52
- 5 विषयों को 42 वे संविधान संशोधन 1976 से राज्य सुची से निकालकर समवर्ती सुची में जोड़ा गया।
- प्रमुख विषय – शिक्षा,वन, वन्य जीव एवं अभ्यारण, परिवार नियोजन/जनसंख्या नियंत्रण,माप एवं तौल(बाट) विवाह, दत्तक संतान,विवाह विच्छेद(तलाक)।
आठवीं अनुसुची
- इसमें राज भाषाओं का वर्णन किया गया है। मुल संविधान में 14 राजभाषाऐं थी। 15 वीं राज भाषा सिंधी को जोड़ा गया।
- इसे 21 वां संविधान संशोधन 1967 के तहत जोड़ा गया।
- 71 वां संविधान संशोधन 1992 – नेपाली, कोकंणी, मणिपुरी।
- 92 वां संविधान संशोधन 2003 – संथाली, डोगरी, मैथली, बोडो।
- वर्तमान में 22 भाषाएं सम्मिलित है।
नौवीं अनुसुची
- इसमें भूमि सुधार कानुनों को जोड़ा गया। इसे प्रथम संविधान संशोधन 1951 द्वारा जोड़ा गया। इसमें मूलत 13 कानूनों को रखा गया वर्तमान में इसकी संख्या 284 है।नौवीं अनुसुची को न्यायलय की समीक्षा से बाहर किया गया था लेकिन जनवरी 2007 में सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि 1973 के बाद इस अनुसूची में जोड़े गये कानूनों की समीक्षा न्यायलय कर सकता है। क्योंकी यह अनुसूची भी संविधान का भाग है।
दसवीं अनुसुची
- इसे 52 वें सविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ा गया। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्य काल में। इसमें दलबदल परिवर्तन निषेध कानूनों को जोड़ा गया है।
ग्याहरवीं अनुसुची
- इसे 73 वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़कर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसमें भाग 9 के अन्तर्गत अनुच्छेद 243 में 16 कानून और 29 विषयों को जोड़ा गया है।
बाहरीं अनुसुची
- इसे 74 वे संविधान संशोधन 1992 से जोड़ा गया है। इसमें स्थानीय नगरीय शासन को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। इसमें भाग 9(क) के अन्तर्गत अनुच्छेद 243 P से Z तक 18 कानुन व 18 कार्य(विषय) जोडे गये है।
संविधान दिवस: भारतीय संविधान बनाने में बेनेगल नरसिंह राऊ की भी थी बड़ी भूमिका
- भारतीय संविधान को सात विशेषज्ञों की एक तदर्थ समिति ने लिखा था जिसका नेतृत्व कर रहे थे डाक्टर भीमराव आंबेडकर.
- प्रशासनिक और क़ानूनी विशेषज्ञों की इस समिति में शामिल थे बेनेगल नरसिंह राव, के एम मुंशी, एन गोपालस्वामी आयंगर, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर,सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, मैसूर के दीवान एन माधव राऊ और डीपी खैतान.
- सन 1948 में डी पी खैतान की मृत्यु हो गई थी. तब उनके स्थान पर टी टी के कृष्णामाचारी को शामिल किया गया था जो बाद में नेहरू मंत्रिमंडल के सदस्य बने.
- आंबेडकर को इस समिति का प्रमुख इसलिए बनाया गया था क्योंकि वो पहले ही संविधान सभा की विभिन्न सलाहकार समितियों के सदस्य रह चुके थे.
- भारत के संविधान को दुनिया के सबसे बड़े संविधानों में से एक माना जाता है जिसमें 448 अनुच्छेद, 25 खंड, 12 अनुसूची और 105 संशोधन शामिल हैं.
भारतीय सविधान
संघ सरकार
उपराष्ट्रपति
महान्यायवादी
प्रधानमंत्री एवं मंत्री-परिषद
संसद
उच्चतम न्यायलय
राज्य सरकार
पंचायती राज
जिला परिषद
शहरी स्थानीय स्वशासन
चुनाव आयोग
संघ लोक सेवा आयोग
कन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण
नियन्त्रण एंव महालेखा परिक्षिक
C.B.I. ( सी.बी.आई. )
केन्द्रीय सतर्कता आयोग
लोकायुक्त
लोकपाल
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सामान्य अध्ययन
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