गुप्तवंश

1. श्रीगुप्त (240-280 ई.पू.)
  • गुप्त वंश का संस्थापक माना जाता है।
  • इसे गुप्त वंश का आदि पुरुष कहा गया है।
2. चन्द्रगुप्त (319-335 ई.पू.)
  • गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक 319 ईस्वी में गुप्त सम्वत चलाया ।
  • (319 ईस्वी. में ही वल्लभी सम्वत् भी आरम्भहुआ ।
  • “महाराजाधिराज” की उपाधि धारण की।
  • लिच्छवी राजकुमारी कुमारी देवी से विवाह किया तथा कुमारी देवी का नाम सिक्कों पर अंकित करवाया ।
3. समुद्रगुप्त (335-375 ईस्वी)
  • वंश का सबसे महान शासक था ।
  • हरिषेण की प्रयाग प्रशस्ति से जानकारी मिलती है
  • यह प्रशास्ति चम्पु शैली में लिखित है ।
  • इसके सिक्कों पर इसे ” लिच्छविर्दोहित्र” बताया गया है
  • उत्तर भारत के 3 राज्यों को पराजित किया एवं प्रसभोद्धरण (जड-मूल से उखाड फेकना) की नीति अपनाया ।
  • दक्षिण भारत के 12 राज्यों को पराजित कर ग्रहणमोक्षानुग्रह की नीति अपनायी । इसके तहत उन्हें पराजित करके कर लेकर अनुगृहित किया गया
  • उत्तर भारत के 9 राज्यों को पराजित किया ।
  • धरणीबन्ध की उपाधि धारण की
  • अश्वमेध प्रकार के सिक्के चलाये ।
  • वीणा वादक था ।

6 प्रकार के सोने के सिक्के प्रचलन में थे।

  1. गरूड (सर्वाधिक महत्वपूर्ण)
  2. परशु
  3. धनुर्धर
  4. व्याघहर्ता ‘व्याद्यहनन’
  5. अश्वमेध
  6. वीणावादन
  • श्रीलंका के शासक मेघवर्मन ने बोध गया में मन्दिर निर्माण कराया ।
  • इतिहासकार वी. स्मिथ समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन बताता है।
4. चन्द्र गुप्त द्वितीय (375 – 414 ई.पू.) :-
  • उपाधियाँ – विक्रमादित्य, परमेश्वर
  • अन्तिम शक शासक रुद्रसिंह तृतीय की हत्या की एवं ‘शकारि’ उपाधि धारण की ।
  • अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक (MH) शासक रुदसेन द्वितीय से किया ।
  • महरौली के लौह स्तम्भ का सम्बन्ध चन्द्रगुप्त द्वितीय से है।

इसके दरबार में नवरत्न थे

  1. कालिदास
  2. वराहमिहिर
  3. क्षपणक
  4. शंकु
  5. वररूची
  6. धनवन्तरि
  7. अमरसिंह
  8. बेताल भट्ट/भट्टी
  9. घटकर्पर
  • इसके समय चीनी यात्री फा‌ह्यान भारत भाया ।
  • फा‌ह्यान चन्द्रगुप्त के नाम का उल्लेख नहीं करता है।
5. कुमारगुप्त
  • गुप्तकाल के सर्वाधिक अभिलेख इसी के मिलते
  • गुप्तकाल के सर्वाधिक सिक्के इसी के मिलते हैं
  • राजस्थान में बयाना (भरतपुर) से सिक्कों का ढेर मिलता है।
  • प्रयाग प्रशास्ति में सर्वप्रथम भारत वर्ष का उल्लेख मिलता है।
  • द्वास्तिक दर्शन :- जो वैदिक साहित्य को प्रामाणिक मानता है।
षडःदर्शन
  1. पूर्व मीमांसा
  2. उत्तर मीमांसा (वेदान्त दर्शन)
  3. सांख्य
  4. वेरीषिक
  5. योग
  6. न्याय
  • दर्शन                                     प्रवर्तक
  • पूर्व मीमांशा                           जैमिनी
  • उत्तर मीमांशा (वेदांत)           बादरायण
  • सांख्य                                   कपील
  • वैशेषिक                               कर्णाद
  • न्याय                                    गौतम
  • योग                                     पतंजलि
1.अजन्ता की गुफाएँ

अजन्ता में 29 गुफाएँ है। ASI के अनुसार 30

औरंगाबाद किला (महाराष्ट्र मदास प्रेजीडेंसी के सैनिकों ने 1819 में इन गुफाओं की खोज की ।

गुफा संख्या 16, 17 व 19 गुप्तकालीन है।

गुफा संख्या 16, 17 का निर्माण वाकाटक नरेश हरिषेण के मंत्री वराहदेव ने करवाया ।

गुफा संख्या 16 में मरणासन्न राजकुमारी का चित्र है सम्भवतः यह आनन्द की पत्नी सोन्द्रा है।

गुफा संख्या 16 में महाभिनिष्क्रमण का चित्रण है घर छोडते हुए बुद्ध को दिखाया गया है।

2. बाघ की गुफाएँ

सन् 1818 में डेंजरफि ने इसकी खोज की।

चित्रकला की विषय वस्तु धार्मिक एवं भौतिक

साहित्य
1. धार्मिक साहित्य
(i) रामायण
  • आरम्भ में 6000 श्लोक थे । बाद में 24000 हो गये
  • इसे “चतुर्विध सहस्त्र कहते है।
  • रचना-वाल्मिकी ने रामायण में 7 काण्ड है – बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, द्वारण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड तथा उत्तरकाण्ड ।
(ii) महाभारत
  • रचना – कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास
  • श्लोक 1 लाख (भारम्भ में 8000 श्लोक)
  • महाभारत का द्वारम्भिक नाम – जय संहिता, भारत संहिता
महाभारत संहिता
  • महाभारत में 18 पर्व है । 6वाँ पर्व भीष्म पर्व है, जिसमें भगवद्‌गीता का उल्लेख है।
2. गैर धार्मिक साहित्य
(i) कालिदास
  • काव्य – रघुवंश, कुमारसंभव (कार्तिकेय का उल्लेख)

खण्डकाव्य –       मेघदूत,                            ऋतुसंहार

                           ↓                                        ↓

                 (पति की वेदना)                    (पत्नी की वेदना)

नाटक
  • मालविकाग्निमि (अग्निमित्र, पुष्यमित्र, शुंग का बेटा)
  • विक्रमोर्वशीय (इसमें परूखा व उर्वशी की कहानी)
  • अभिज्ञान शाकुन्तलम अभिज्ञानशाकुन्तलम कालिदास की महानतम व अंतिम रचना ।
(ii) भास
  • स्वपनवासवदता (भारत में लिखित प्रथम नाटक)
  • चारुदत्त
  • प्रतिज्ञा यौगन्धरायण
  • (iii) क्षेमेन्द्र – वृहत्कथामंजरी
  • (iv) भारवी – किरातर्जुनियम्
  • (v) शुदक – मृच्छकटिकम (मिट्टी की गाडी)
  • (vi) वात्सयायन कामसूत्र
  • (vii) अमरसिंह – अमरकोष
  • (viii) वागभट्ट – अष्टांग हदय
  • (ix) माघ – शिशुपालवध
  • (x) दण्डी/दृण्डि – दशकुमार चरित
  • (xi) विष्णु शर्मा पंचतंत्र (विषय-राजनीति/कूटनीति का प्रयोग है)
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
1. आर्यभट्ट एवं पुस्तकें
  • ⅰ. आर्यभ‌ट्टीयम्
  • ii. सूर्य सिद्धान्त
  • iii. दशगीतिका सूत्र
  • आर्यभट्ट प्रथम व्यक्ति थे जिन्होने अपने नाम पर पुस्तक की रचना की।
  • इसके अनुसार/सर्वप्रथम इन्होने बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्र लगाती है एवं सूर्य सारमण्डल का केन्द्र है।
  • कार्यभट्ट ने सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण के बारे में बताया
  • आर्यभट्ट ने पृथ्वी की त्रिड्या बताई ।
2. वराहमिहिर :-
पुस्तकें
  • ⅰ. पंचसिद्धान्तिका
  • ii. वृहतजातक
  • iii. लघुजातक
  • खगोलशास्त्र एवं ज्योतिषशास्त्र पर विशेष बल दिया
  • कुण्डली निर्माण किया ।
3. भास्काराचार्य प्रथम :-
पुस्तकें
  • इन्होने भार्यभट्ट की पुस्तकों पर भाष्य लिखा । लघुभारकर्य तथा वृहदभास्कर्य
4. भास्कराचार्य द्वितीय :-
पुस्तकें
  • सिद्धान्तशिरोमणि (इसके 4 भाग है। एक भाग का नाम अपनी पुत्री लीलावती के नाम पर )
  • गणितज्ञ
5. ब्रह्मगुप्त (भारत का न्यूटन)
पुस्तकें
  • खण्डखाद्य
  • ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त
6. नागार्जुन
  • इन्हें ‘भारत का आइंस्टीन” कहा जाता है।
  • नागार्जुन का शून्यवाद का सिद्धान्त आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धान्त के समान है
  • ➤ भारत में शून्य की खोज हो गयी थी ।
  • ➤ दशमलव पद्धति भी भारत में विकसित हुई ।
  • गुप्तकाल में रसायन के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ ।

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