हरियाणा के प्राचीन किले एवं स्मारक, सग्रहालय

प्राचीन किले एवं स्मारक

प्राचीन किले एवं महत्त्व – हरियाणा के प्राचीन किले और उनका महत्त्व और वो किले हरियाणा में किस स्थान पर है –

1. तावडू का किला –

  • तावडू का किला तावडू (सोहना) में है।
  • महत्व- यही किला बाद में नाहरसिंह का किला बना ।

2. चनेटी ग्राम का स्तूप

  • चनेटी ग्राम का स्तूप जगाधरी में है।
  • महत्त्व- ह्वेनसांग ने इसके बारे में बताया है की ये अशोक स्तूप का अवशेष है।

3. काबुली बाग काबुली बारा

  •  यह पानीपत में है।
  • महत्त्व – पानीपत की प्रथम लडाई के बाद विजय की खुशी व बेगम मुरुम्मत की याद में बाबर द्वारा बनवाया गया ।

4. इब्राहिम खान का मकबरा

  •  यह नारनौल में है। 
  • महत्त्व – इसमें तुगलक से लेकर ब्रिटिश काल तक की परम्परागत वास्तुकला को सजाया गया है।
  • तुगलकिया वास्तुशिल्प के दर्शन इस किले में होते  है |

5. महम की बावडी –

  • महम की बावडी रोहतक में है।
  • महत्त्व – 1656 में शाहजहां के शासनकाल में सुददो कत्लाल ने बनवाई थी।

6. तोशाम की बारादरी –

  • तोशाम की बारादरी भिवानी में है।
  • महत्त्व है। – पृथ्वीराज की कचहरी के नाम से प्रसिद्ध

7. सोहना का किला –

  • सोहना का किला गुरुग्राम में है।
  • महत्त्व – 18 वीं शताब्दी में राजा सोहनसिंह ने इसका निर्माण करवाया था।

8. जींद का किला

  • जीद का किला जीद में है।
  • महत्त्व – 1775 में गणपत सिंह ने जींद को जीतकर यहाँ विशाल किले का निर्माण कराया।

9. इब्राहिम लोदी का मकबरा पानीपत में है। 

  • महत्व- पानीपत के युद्ध में पराजित होकर इब्राहिम लोदी मृत्यु को प्राप्त हुआ और यहीं पर उसकी कब्र बना दी गई।

सग्रहालय

पुरातत्व संग्रहालय, झज्जर

  • यहां अनेक ऐतिहासिक सामनी जैसे शिक्के, प्रस्तर, मूर्तियाँ, पांडुलिपियाँ, मृणमूतियाँ, मृदमाण्डों आदि का संग्रह है।

संग्रहालय, पानीपत

  • पानीपत युद्ध स्मारक समिति ने सन् 2000 में पानीपत संग्रहालय की स्थापना की थी |

लीलाधर 'दुखी' स्मारक सरस्वती संग्रहालय सिरसा

धानेसर संग्रहालय

  • थानेसर स्थापना वर्ष 26 अप्रैल 2001

गुलजारी लाल नंदा संग्रहालय

  • कुरूक्षेत्र  हरियाणा का पहला व्यक्तिगत संग्रहालय है, जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा को समर्पित है।

श्रीकृष्ण संग्रहालय

  • कुरूक्षेत्र स्थापना वर्ष – सन् 1987

जयन्ती पुरातात्विक संग्रहालय

  • जींद इस संग्रहालय का उद्घाटन महामहिम राज्यपाल हरियाणा डॉ. ए.द्वार किदवई द्वारा 28 जुलाई 2007 को संपन्न हुआ।

आध्यात्मिक संग्रहालय, पानीपत

  • पानीपत नगर में आश्रम रोड पर स्थित प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का आकर्षक भव्य भवन निर्मित है।
  • यह तीन मंजिला भवन अत्यधिक सुंदर होने के कारण मनमोहक है ।
  • आमजन इस भवन को 5 मूर्तियों वाले आश्रम के नाम से जानते है क्योंकि इस भवन में फाइबर से निर्मित पांच प्रमुख धर्मो की भव्य मूर्तियां एक ही ज्योति बिंदु शिव की ओर इशारा कर रही है।

इब्राहिम खान का मकबरा, नारनौल

  • इस मकबरे का निर्माण शेरशाह सूरी ने अपने दादा इब्राहिम खान की याद में सन 1543-44 के आस पास करवाया था नारनौल नगर के दक्षिण में हानी आबादी के बीच स्थित इब्राहिम खान का मकबरा एक विशाल गुंबद के आकार का है लोदी शासनकाल में इब्राहिम खान नारनोल के जागीरदार रहे थे।
  • मकबरे के भीतरी भाग में इब्राहिम खान की कब्र है जिस पर शाही खानदान का निशान भी अंकित है।

इब्राहिम लोदी की मजार, पानीपत

  • एक ऐतिहासिक मकबरा पानीपत के तहसील कार्यालय के निकट स्थित है ।
  • 1526 में इब्राहिम लोदी ने बाबर के साथ युद्ध किया था जिसमें उसकी पराजय हुई और वह मारा गया था ।
  • युद्ध स्थल पर ही इब्राहिम लोदी को दफनाया गया था।
  • बाद में अंग्रेजों ने लाखोरी स्थान पर ईटी से एक बहुत बडा चबूतरा बनवाया तथा एक पत्थर पर उर्दू में इस कब के महत्व के बारे में लिखवाया।

काबुली बाग, पानीपत

  • पानीपत के निकट काबुली बाग में एक मस्जिद तथा तालाब बना हुआ है यह बाग बाबर ने पानीपत की प्रथम लडाई में विजय की खुशी तथा अपनी सबसे प्रिय रानी मुरुम्मत काबुली बेगम की याद में बनवाया था ।
  • भारत में मुगल वास्तु शिल्प कला की यह प्रथम इमारत है जिसका निर्माण कार्य सन 1529 में पूरा हुआ ।

काला अम्ब, पानीपत

  • पानीपत से 8 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में काला अंब में 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध अफगान सरदार अहमद शाह अब्दाली और मराठा सरदार सदा शिवराय भाऊ के मध्य हुआ था युद्ध में मराठों की पराजय हुई कहा जाता कि इस स्थान पर आम का एक वृक्ष था पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों का इतना खून बहा की धरती लाल हो गई आम का वृक्ष भी वृद्ध होने से काला पड गया था तभी से इस स्थान को काला अंब नाम से जाना जाता है इस स्थान पर हरियाणा सरकार ने वार हीरोज मेमोरियल विकसित किया यहां संग्रहालय भी स्थापित किया गया है।

महल एवं बाराखंभा छतरी, होडल

  • फरीदाबाद जिले के होटल नगर में स्थित महल हनुमा हवेली का निर्माण 1754 से 1764 ईस्वी के बीच भरतपुर के राजा सूरजमल के ससुर चौधरी काशीराम सोरीत ने करवाया था महारानी किशोरी राजा सूरजमल की धर्मपत्नी और चौधरी काशीराम की पुत्री थी सूरजमल से संबंध होने के उपरांत चौधरी काशीराम को सोरीतों के 24 गांव का चौधरी बना दिया गया और इन गांव से मिलने वाले राजस्व में उसे हिस्सा दिया जाने लगा इस तरह उतबा बढ़ जाने से चौधरी काशीराम ने एक शानदार हवेली और कचहरी भवन का निर्माण करवाया।

कुंजपुरा और तरावडी के किले

  • जिला करनाल में स्थित कुंजपुरा नामक स्थान पर छोटी-छोटी ईटों से बनी हुई एक हवेली थी जिसका अब प्रवेशद्वार ही बचा है। 
  • इसे कुंजपुरा के नवाब निजावत खान ने सन 1765 के आसपास बनवाया था दुर्ग का तो अब नामोनिशान भी नहीं रहा। 
  • करनाल के तरावडी नामक स्थान पर एक सराय है जिसका निर्माण शाहजहां के शासनकाल में हुआ था |
  • इसे भ्रमवश आज भी पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनवाया गया दुर्ग मानते है जबकि राजपूत काल में बनाए जाने वाले दुर्ग और मुगलकालीन सराय के वास्तुशिल्प में मौलिक भिन्नताएं होती है।

कोस मीनार, कोहण्ड

  • शेरशाह सूरी ने महामार्ग का निर्माण करवाया था जिसको ऐतिहासिक जीटी रोड के नाम से भी जाना जाता है उसने जनता की सुविधाओं के लिए मार्ग के प्रत्येक कोस पर एक मीनार खड़ी करवाई थी जिसको कोस मीनार कहा गया। 
  • शेरशाह सूरी के काल की मुंह बोलती तस्वीर के रूप में हरियाणा क्षेत्र में मौजूद सुदृढ ढांचे में निर्मित यह ऐसी मीनारे है जो ऊपर से पतली और नीचे से चौडी है शायद इस तरह के निर्माण के पीछे निर्मित निर्माताओं का उद्देश्य यह था कि महामार्ग से आते हुए दूर से ही ज्ञात हो जाए कि उनके अगले पडाव की दूरी अब कितनी शेष है अथवा वे कहां तक आ चुके हैं।

ख्वाजा की सराय, फरीदाबाद

  • फरीदाबाद जिले के गांव सराय ख्वाजा में लगभग 300 वर्ष पुरानी एक सराय है।
  • इस सराय के नाम पर ही गांव का नाम सराय ख्वाजा पडा यह सराय पीर ख्वाजा ने बनवाई थी।

तावडू का किला

  • सोहना से 17 किलोमीटर दूर पर्वतीय रास्ते से होते हुए हरियाणा राजस्थान मार्ग पर स्थित तावडू नामक ग्राम में स्थित एक प्राचीन किले के विभिन्न अवशेषों से तावडू के इतिहास की जानकारी मिलती है।
  •  इस किले के चारों कोर ऊंची-ऊंची दीवारें बनी हुई है। 
  • इस समय तावडू स्थित इस किले को वहां का थाना बना दिया गया है।

गऊ कर्ण तालाव, रोहतक

  • गऊ कर्ण नामक तालाब रोहतक नगर में स्थित है। 
  • सन् 2004-2005 में इस तालाब का नवीकरण किया गया प्राचीन तालाब पर उत्तर में जनाना घाट एवं पश्चिम तथा पूर्व में 6 मर्दाना घाट और पूर्व में गौ घाट था।
  • यहां स्थित डेरा बाबा लक्ष्मण पुरी इस तीर्थ की देखभाल करते हैं इसका निर्माण 1558 ईश्ची में करवाया गया था।

चोर गुम्बद, नारनौल

  • नारनोल नगर कि उत्तर पश्चिम दिशा में एक ऊंचाई वाले स्थान पर निर्मित ऐतिहासिक स्मारक चोर गुंबद का निर्माण जमाल खान नामक एक अफगान ने अपने ही समाधि स्थान के रूप में करवाया था ।

चनेटि स्तुप, जगाधरी

  • जगाधरी नगर से 3 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में स्थित स्तूप का प्रथम विवरण चीन के विद्वान यात्री हेनसांग के यात्रा संस्मरण से प्राप्त होता है। 
  • वे यहां सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में आाए थे। 
  • हेनसांग ने लिखा है कि यह स्तूप शत्रुधन गांव से पश्चिम की वीर यमुना के दाएं तट प्रदेश में स्थित है और यहां इसके अलावा दसियों अन्य स्तुप भी है यह भी लिखा है कि शत्रुधन में एक बहुत बडा बौद्ध मठ भी है जिसमें सैकडों भिक्षुक निवास करते हैं इसका निर्माण संभव है सम्राट अशोक के समय किया गया था।

तोशाम की बारादरी

  • भिवानी जिले में स्थित तो शाम की पहाडीपर यह बारादरी स्थित है। 
  • लोकमानस में यह बारादरी पृथ्वीराज की कचहरी के नाम से प्रसिद्ध है इस बारादरी के निर्माण में चुने और छोटी ईटों का प्रयोग किया गया है।
  •  इस भवन की विशेषता यह है कि इसमें एक भी चौखट का प्रयोग नहीं किया गया है और इसमें 12 द्वार इस तरह से स्थापित किए गए है कि केंद्रीय कक्ष में बैठा हुआ व्यक्ति चारों ओर देख सकता है। 
  • प्रत्येक कक्ष द्वार 5 मीटर ऊंचा है और इसके चारों और बैठने के लिए एक चबूतरा बना हुआ है।

जल महल, नारनौल

  • ऐतिहासिक स्मारक जल महल नारनौल नगर के दक्षिण में आबादी से बाहर स्थित है |
  •  इसका निर्माण सन 1591 में नारनौल के जागीरदार शाह कुली खान ने करवाया था । 
  • पानीपत के ऐतिहासिक प्रसिद्ध द्वितीय युद्ध में शाह कुली खान ने हेमू को पकडा था ।
  •  इसी उपलक्ष में अकबर ने प्रसन्न होकर शाह कुली खान को नारनौल की जागीर सौंपी थी। 
  • जल महल का निर्माण लगभग 11 एकड के विशाल भूखंड पर किया गया ।

जींद का किला

  • सन 1775 में जगपत सिंह ने जींद की जीतकर यहां पर एक विशाल किले का निर्माण करवाया।
  •  विजयनगर के पहले राजा बने थे |
  • आज भी इस ऐतिहासिक किले के भग्नावशेष मीलों दूर से दिखाई देते हैं।

तावडू के मकबरे

  • तावडू ग्राम में अनेक मकबरे पश्चिम छोर पर बने हुए है। 
  • जिनका निर्माण उत्तर इस्लामिक काल में संभवत सन् 15 सौ के आसपास हुआ था । 
  • इनमें से एक मकबरे का जीर्णोद्धार सन 2007 में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्बरल हेरीटेज नामक संस्था ने किया है। 
  • इस परिसर में सात-आठ मकबरे है जो संरक्षित घोषित नहीं हुए है।

मटिया किला, पलवल

  • मुगल काल में पलवल में मटिया किला बनवाया गया था यह किला अब खंडहर में परिवर्तित हो चुका है। 
  • शेरशाह सूरी के समय में पलवल तहसील के ग्राम बुलवाना में बनवाई गई मीनार तथा ग्राम अमरपुर में 150 वर्ष पुराना गोल मकबरा अफगान कला का घोतक है।
  •  इस तहसील के ग्राम जैनपुर में पक्की ईंटों से बना एक तालाब भी है।

बैठक भवन, डीहाल

  • प्रसिद्ध साहूकार लाला फतेह चंद ने डीघल गांव में सन 1880 के आसपास एक कलात्मक बैठक भवन का निर्माण करवाया। 
  • इसी आज भी उसकी कलात्मक अभिरुचि और उसके खानदान की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  •  इसमें एक गद्दी कक्ष, एक पार्थ कक्ष, 2 ओबरे और एक जमींदोज भोरे के अलावा पूर्व मुख शानदार बरामदा बनवाया गया।

रंगमहल, बुडिया यमुनानगर

  • यमुनानगर से 3 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में बुडिया नामक प्राचीन कस्बे के समीप शाहजहां के शासनकाल में आबादी से दूर जंगलों में रंग महल का निर्माण करवाया था |
  •  जो उस समय आमोद-प्रमोद का प्रमुख स्थान रहा होगा, उसकी दीवारों पर बनाए गए भित्तिचित्र धूमिल हो रहे है।

बागवाला तालाब, रेवाडी

  • इस तालाब का निर्माण सन 1807 में राय गुर्जर मल ने करवाया था ।
  • वर्तमान में यह तालाब शुष्क हो चुका है।

महम की बावडी

  • रोहतक जिले के महम करने के दक्षिण पूर्वी छोर पर एक बावडी बनी हुई है।
  •  यह मुगल स्थापत्य कला का नमूना है। 
  • यह बावडी शाहजहां के शासनकाल में सैदू कलाल ने 656 ईसवी में बनाई थी।
  •  इस बावडी की लंबाई 275 फुट तथा चौडाई 95 फुट है, इसकी 4 मंजिलें है तथा अंदर जाने के लिए 108 सीढियां है इसके बाद चौक आता है और उसके बाद कुआं है।

राव तेजसिंह तालाब, रेवाडी

  • यह रेवाडी के पुराने टाउन हॉल के समीप स्थित है। 
  • यह कलात्मक तालाब का निर्माण राव तेज सिंह द्वारा सन 1810 से सन 1815 के बीच करवाया गया था।

महल, डीघल

  • रोहतक से झज्जर मार्ग के पूर्व में बसे हुए डिघल ग्राम में बहुत साल पहले द्वारका और चौकी सेठ भाइयों ने एक दो मंजिला हवेली का निर्माण करवाया, जो आज भी मौजूद है।
  •  महल के नाम से प्रसिद्ध इस हवेली में ऊंची महरुब देकर किले जैसी शैली का प्रवेश द्वार बनाया गया है।

माधोगढ़ का किला, महेन्द्रगढ

  • महेंद्रगढ़ से 15 किलोमीटर दूर सतनाली सडक मार्ग पर अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाडियों के बीच सबसे ऊंची चोटी पर माधोगढ का ऐतिहासिक किला स्थित है।
  •  पर्वत की तलहटी में माधोगढ ग्राम बसा है ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के सवाई माधोपुर के शासक माधोसिंह ने करवाया था। 
  • इस समय यह किला अत्यंत जीर्णो अवस्था में है। 
  • लगभग 800 वर्ग गज के दक्षेत्र में फैले इस किले में 30 कोठियां बनी हुई है। 
  • मुख्य किले से कुछ नीचे 12 कोठिया है |
  • जो चोटी पर स्थित तालाब के अंगोर में ग्रीष्म ऋतु में शरण लेने के लिए बनाई गई थी।

मिर्जा अली जो की बावडी, नारनौल

  • नारनौल नगर को बावडी और तालाबों का नगर कहा जाता है। 
  • यद्यपि नगर की प्राचीन बावडीयों का अस्तित्व अब नहीं रहा परंतु मिर्जा अली जाँ की बावडी आज भी जिर्णो अवस्था में विद्यमान है।
  •  इस ऐतिहासिक बावडी का निर्माण मिर्जा अली जौँ द्वारा 1650 ईस्वी के आसपास करवाया गया था।

राजा नाहर सिंह की हवेली, बल्लभगढ

  • यह हवेली बल्लभगढ में दुर्ग प्राचीर के भीतर स्थित इस किले को बनवाने की योजना राजा बल्लू के शासनकाल में बनवाई गई थी।
  • जिसे उनके पुत्र किशन सिंह ने पूरा किया।

राय मुकुन्द दास का छत्ता (बीरबल का छत्ता), नारनौल

  • नारनौल की सघन आबादी के बीच स्थित इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण शाहजहां के शासनकाल में नारनौल के दीवान राय मुकुंद दास माथुर ने करवाया था । 
  • यह स्मारक नारनौल के मुगलकालीन ऐतिहासिक स्मारकों में सबसे बड़ा है। 
  • यद्यपि यह बीरबल के छत्ते के नाम से भी प्रसिद्ध है किंतु इसके निर्माण में बीरबल से इसका कोई संबंध नहीं है।

श्रीकृष्ण संग्रहालय, कुरूक्षेत्र

  • श्री कृष्ण संग्रहालय की स्थापना कुरुक्षेत्र में की गई जो वर्ष 1991 में अपने वर्तमान भव्य और दर्शनीय स्वरूप में बनकर तैयार हुआ |
  • श्री कृष्ण संग्रहालय कुरुक्षेत्र पेहवा मार्ग पर ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर के मध्य काली कमली वाले मैदान में स्थित है। 
  • यह मुख्यतः श्री कृष्ण एवं महाभारत के चरित्रों के माध्यम से जनसाधारण में आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण के साथ- साथ श्री कृष्ण के आदेशों के प्रति लोकर्षण उत्पन्न करता है।

सलारजंग गेट, पानीपत

  • पानीपत नगर के मध्य स्थित यह त्रिपोलिया दरवाजा प्राचीन आबादी का प्रवेश द्वार है जिसका निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। 
  • प्राचीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना कहलाने वाला यह दरवाजा नवाब सालारजंग के नाम से जाना जाता है।

सोहना किला

  • जिला गुरुग्राम में स्थित सोना नगर 18 वीं शताब्दी में सोहन सिंह नामक राजा द्वारा बसाया गया था । 
  • भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के समय यहां पर एक किले का निर्माण करवाया गया जो खंडहर के रूप में आज भी विद्यमान है।

होडल की सराय, तालाव और बावडी

  • होटल में भरतपुर के राजा सूरजमल ने एक सुंदर सराय तालाब और एक बावडी बनवाई थी । 
  • आज भी इनके खंडहर (मॉडल) यहां देखने को मिलते है |
  • रानी राती तालाब के समीप बलराम की स्मारक छतरी और दादी सती जसकोर की समाधि भी मौजूद है।

बुआ का तालाब, झज्जर

  • झज्जर में दिल्ली झज्जर मार्ग पर 300 साल पुराना बुआ का तालाब काफी प्रसिद्ध है। 
  • यह जगह दो प्रेमियों के मिलने और बिछडने की दास्तां की गवाह है। 
  • इस तालाब नेबुआ नाम की एक लड़की के प्रेम को परवान चढ़ते हुए भी देखा और उसे अपने प्रेमी के विरह की भाग में जलते हुए भी देखा।

गरम जल का चश्मा, सोहना

  • अरावली पर्वतीय श्रृंखला की गोद में बसा है। 
  • हरियाणा के गुडगांव जिले का विश्वविख्यात स्थान सोहना अपने गरम जल के स्रोतों के कारण यह स्थान आज अपनी पहचान दूर-दूर तक कायम कर चुका है।

पुण्डरीक सरोवर, पुण्डरी

  • यह सरोवर हरियाणा के पुण्डरी नामक कस्बे में स्थित है।
  •  ऐसी मान्यता है कि सतयुग से भाज तक इस विशाल सरोवर का जल कभी समाप्त नहीं हुआ।

हरियाणा सामान्य ज्ञान

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