हरियाणा के प्रमुख नृत्य
हरियाणा के लोक नृत्य अपनी संस्कृति और परम्परा के अनुसार अनेक तीज त्योहारों द्वऔर फसलों से जुडे हुए हैं। इन नृत्यों में कोई नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है तो कोई पुरुषों द्वारा ।
1. लूर नृत्य:-
यह नृत्य फाल्गुन के महीने में लडकियों द्वारा किया जाता है इस नृत्य को पुरुष नहीं देख सकते। इस नृत्य में गाने सवाल जवाब के रूप में होते हैं।
2. धमाल नृत्य:-
1. यह नृत्य विवाह में खुशी के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।
2. यह महेंद्रगढ़, रेवाडी, झज्जर का प्रमुख नृत्य है।
3. यह महाभारत काल से चला आ रहा नृत्य है। यह चाँदनी रात में खुले मैदान में होता है।
3. घोडा-घोडी नृत्य:-
1. यह शादियों में किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य है जो घुडचढी के अवसर पर किया जाता है।
2. इस नृत्य में गत्ते और रंगीन कागज से बनाया हुआ घोडे का मुखौटा प्रयोग करते हैं |
4. फाग नृत्य:-
1. यह नृत्य फाल्गुन के महीने में फसल पककर तैयार होने की खुशी में और फसल घर आने की खुशी में किसानों द्वारा यह नृत्य किया जाता है।
2. यह स्त्री और पुरुषों दोनों द्वारा किया जाता है
5. खोडिया नृत्य:-
लडके के विवाह के अवसर पर रित्रयों द्वारा बारात के जाने के बाद किया जाता है।
6. डफ नृत्य:-
1. यह नृत्य श्रृंगार तथा वीर रस प्रधान होते हुए “ढोल नृत्य” के नाम से भी जाना जाता है।
2. इस नृत्य को बसंत ऋतु के आगमन पर किया जाता है।
3. डफ नृत्य 1969 में पहली बार गणतंत्र दिवस पर प्रस्तुत किया गया था।
7. सांग नृत्य:-
1. यह नृत्य 10-12 व्यक्तियों द्वारा मंच पर एक साथ किया जाता है।
2. इस नृत्य को करने के लिए पुरुष स्त्रियों का रूप धारण करते हैं।
3. यह नृत्य काफी देर तक (5 घंटे) चलता है।
8. छठी नृत्य:-
शिशु के जन्म के छठे दिन रित्रयों द्वारा रात में किया जाता है।
9. छडी नृत्य:-
भादो माह की नवमी के दिन गोगा पीर की पूजा के बाद पुरुषों द्वारा किया जाता है।
10. गोगा नृत्य:-
1.यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है।
2.हिंदू तथा मुसलमान दोनों गोगा पीर की पूजा करते हैं।
3.इस नृत्य में गोगा पीर के भक्त स्वंय को जंजीरों से पीटते हैं।
11. खेडा नृत्य:-
1. यह नृत्य स्त्रियों द्वारा परिवार में किसी बुजुर्ग की मृत्यु पर किया जाने वाला नृत्य है।
2.कैथल, करनाल, जींद में यह प्रसिद्ध है।
12. झूमर नृत्य:-
1.इसे हरियाणा का गिद्दा भी कहते हैं।
2.यह नृत्य स्त्रियों द्वारा विशेष रूप से विवाह, त्योहार तथा खुशी में किया जाने वाला नृत्य है |
13. तीज नृत्य:-
तीज त्योहार के अवसर पर रित्रयों द्वारा किया जाता है।
14. मंजीरा नृत्य:-
मेवात में बडे-बडे नगाडो, डफ और मंजीरों के साथ किया जाता है।
15. सवाई नृत्य:-
1.यह नृत्य राज्य के मेवाती क्षेत्रों का सुप्रसिद्ध नृत्य है |
2.जिसका आयोजन वर्षा ऋतु में स्त्री पुरुर्षो द्वारा किया जाता है।
16. रास नृत्य:-
1.यह नृत्य जन्माष्टमी के अवसर पर महिलाओं व पुरुषों द्वारा किया जाता है।
2.इस नृत्य के दो प्रकार है- तांडव और लाश्या।
3.तांडव पुरुष प्रधान नृत्य है और लाख्या स्त्री प्रधान नृत्य है।
4.यह नृत्य राज्य के फरीदाबाद, होडल, पलवल तथा वल्लभगढ आदि इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है।
17. गणगौर नृत्य:-
1.यह नृत्य मुख्य रूप से हिसार और फतेहाबाद में प्रसिद्ध है।
2.यह गणगौर के त्योहार पर चैत्र माह में किया जाता है।
18. डमरू नृत्य:-
यह नृत्य महाशिवरात्रि के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
स्वाँग हरियाणा
- स्वाँग में किसी प्रसिद्ध रूप की नकल की जाती है जिसमें लोककथाओं को लोकगीत, संगीत, नृत्य आदि से नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- स्वाँग की शुरुआत करने का श्रेय मेरठ के किशन लाल भट्ट को दिया जाता है।
- इस विद्या में हरियाणा के पंडित लखमी चंद का नाम बडे ही सम्मान से लिया जाता है उन्हें “सांग-सम्राट” तथा हरियाणा का “सूर्य कवि” कहा जाता है।
- हरियाणा में सर्वाधिक प्रख्यात नाम दीपचंद बहमन का है जो शेरी खोदां (सोनीपत) में रहने वाले थे। इसे ‘हरियाणा का कालिदास’ और शेक्सपियर भी कहते है।
- धर्मवीर सिंह हरियाणा के वर्तमान राजकीय सांगी है।
- राजेंद्र खरकिया को हरियाणा का सरस्वती पुत्र बोलते है
हरियाणा के प्रसिद्ध सांगी तथा स्वाँग
- पंडित लखमीचंद – द्रोपदी चीरहरण, शकुंतला, सत्यवान-सावित्री, नल-दमयंती, कीचक विराट मांगेराम दुष्यंत-शकुंतला, नवरत्न, ध्रुव भक्त धनपत सिंह – पूरणमल, वर्णदेवी व सीली चमन बंसीलाल – ध्रुव भक्त, राजा नल, गुरु गोगा
- अहमद बख्श – कंस लीला, रामायण, सोरठ, जयमल
- दीपचंद – ज्यानी चोर, नल दमयंती, हरीश चंद्र
- पं. शंकर लाल – पद्मनी, भूरा बादल, मोरध्वज व प्रहलाद
हरियाणा के प्रमुख सांगी व उनके गुरु
- बाजे भगत – हरदेव
- धनपत सिंह – जमुवापीर
- चंदगीराम – धनपतसिंह
- धर्मवीर – चंदगीराम
- वीरभान – उदयदास
महत्वपूर्ण
- आल्हा ऊंचे स्वर में गाया जाता है और इसमें वीर रस की प्रधानता होती है।
- आल्हा गीतों की खोज सर्वप्रथम चार्ल्स इलियट द्वारा की गई जो उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद का कलेक्टर था।
- चंदेल राजा परमल के दरबार में जगनिक नाम के एक भाट ने (आल्हा और उदल) के वीरतापूर्ण कार्यों का चित्रण आल्हा खंड (1230 विक्रम संवत्) में किया था।
- आल्हा अधिकतर वर्षा ऋतु के दौरान गाया जाता है।
हरियाणा सामान्य ज्ञान
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