राज्य की प्रमुख सभ्यताएँ
वैदिक सभ्यता/संस्कृति 1500-500 ई. पूर्व
- चित्रित धूसर मृदभाण्ड, वैदिक सभ्यता की प्रमुख विशेषता है।
- प्रमुख नदी- सरस्वती व दृषद्वती
- राज्य में वैदिक सभ्यता को सीसवाल सभ्यता के समकालीन माना गया है।
- प्रमुख ग्रंथ – ऋग्वेद
- राज्य में वैदिक सभ्यता के लगभग 300 स्थलों का पता चला है।
- चित्रकला में सर्वाधिक गिरावट।
- वैदिक सभ्यता में भरत सिंधु, तीर का निवासी था।
- वैदिक ग्रन्थों में कुरुओं का उल्लेख पांचालों के साथ मिलता है।
- राजा कुरु वीरसंचरण का पुत्र था व कौरव वंश का संस्थापक था।
- वैदिक सभ्यता के दो प्रमुख शहर- हस्तिनापुर व कुरुजागाल/कुरुक्षेत्र थे।
- हस्तिनापुर में चावल व गन्ने के अवशेष मिले हैं।
- दुष्यन्त के पुत्र भरत की राजधानी – हस्तिनापुर
- उत्तर वैदिक काल में राज्य का नाम मध्यप्रदेश
- कुरु गणराज्य राजा कुरु द्वारा स्थापित वैदिक सभ्यता के दौरान था।
- प्रतापी शासक शान्तनु के उत्तराधिकारी कौरव पाण्डव कहलाए।
- पाण्डव व भगवान कृष्ण वैदिक संस्कृति की विशेषता है।
- महाभारत युद्ध 900 ई. पूर्व उस काल की विशेषता है।
- वैदिक सभ्यता में हरियाणा का नाम ब्रह्मव्रत था व इस क्षेत्र को बहुधान्यक कहा गया है।
- उत्तर वैदिक काल में पाण्डवों ने हरियाणा में राजसूय यज्ञ किया था।
- पाण्डवों की मृत्यु के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित ने कुरु गणराज्य की दूसरी राजधानी (असंध) करनाल को बनाया।
सीसवाल सभ्यता/नवपाषाण सभ्यता (अन्य नाम उत्तर पाषाणकालीन सभ्यता)
- हरियाणा में कुल सम्बन्धित स्थल – 29
- सीसवाल सभ्यता में अल्प मात्रा में ताम्बे का प्रयोग होने लगा था।
- सीसवाल सभ्यता से ताम्बे के हत्थे वाला गंडासा मिला है।
- इस सभ्यता के लोग नीग्रो आस्ट्रेलियन जाति के थे।
- सीसवाल गांव (आदमपुर) हिसार जिले में पड़ता है।
- सीसवाल सभ्यता का विकास चेतांग नदी के किनारे हुआ है।
- खुदाई- पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सूरजभान द्वारा की गई (1968)।
- नवपाषाणकालीन कृषक बस्तिओं के प्रमाण- सीसवाल
- दो समान सभ्यताएं हैं- सीसवाल व वैदिक सभ्यता
- हरियाणा के किस सभ्यता के लोग खाल, ऊन व रूई से वस्त्र बनाने की कला से परिचित थे- सीसवाल
- यह राज्य की सबसे प्राचीन सभ्यता है।
- काले पर सफेद रंग के चित्र सीसवाल सभ्यता की विशेषता है।
सिन्धु घाटी सभ्यता (2500-1700 ई. पूर्व)
- (अन्य नाम हड़प्पा संस्कृति)
- हरियाणा में सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग द्रविड़ /आस्ट्रेलियन थे।
- सिन्धु घाटी सभ्यता किस युग की थी- कांस्य युग
- आर.सी. मजूमदार के अनुसार ये लोग आर्य थे।
- हरियाणा में सिन्धु घाटी सभ्यता स्थलों से घोड़े के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है।
- सिन्धु घाटी संग्रहालय की स्थापना राखीगढ़ी, हिसार में की गई है।
- इन स्थलों की प्रथम खोज डॉ. दयाराम साहनी ने 1921 में की थी।
- हरियाणा में सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी (हिसार) है।
- हरियाणा में सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे प्राचीन स्थल भिरडाना (फतेहाबाद) को माना जाता है।
- सिन्धु घाटी की मुद्राओं पर बकरे, हिरण व दरियाई घोड़े का अंकन है।
राखीगढ़ी (हिसार)
- स्थित – नारनौंद (हिसार)
- क्षेत्रफल – 550 हैक्टेयर ।
- कुल टीलों की संख्या – 9
- दुनिया का सबसे प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता स्थल है।
- दृषद्वती नदी के दाएं तट पर स्थित था।
- राज्य का सबसे बड़ा सिन्धु घाटी स्थल है।
- खुदाई 1997 डॉ. अमरेन्द्रनाथ द्वारा की गई।
- यहां पर राज्य स्तरीय सिन्धु घाटी संग्रहालय स्थित है।
- गेहूं, जौ व चावल के दाने मिले हैं।
- ईंटों के बने अन्नागार मिले हैं।
- वर्ल्ड हैरिटेज की सूची में सम्मिलित सिन्धु घाटी सभ्यता स्थल है।
- सोने के मनके मिले हैं।
- 5000 साल पुराना प्रेमी जोड़ा मिला।
- राज्य के इस पुरातात्विक स्थल को इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ जीनोमिक जर्नल ने नाइन ब्रेक थ्रू रिसर्च की सूची में सम्मिलित किया है।
- राज्य के इस पुरातात्विक स्थल को प्रतिष्ठित जर्नल साइंस ने टाप टेन की सूचि में सम्मिलित किया है।
- राखीगढ़ी उत्खनन व शोध का नायक देश के प्रख्यात पुरातत्वविद प्रो. वसंत सिदे को कहा जाता है।
- राज्य के इस पुरातात्विक स्थल को विश्व के सर्वश्रेष्ठ 10 शोध स्थलों में 9वां स्थान मिला है।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा यहां शोध किया जा रहा है।
फरमाणा खास (साम्यण गांव-महम, तह. रोहतक)
- अन्य नाम- दक्ष खेड़ा
- यह राज्य का राखीगढ़ी के बाद दूसरा सबसे बड़ा सिन्धु घाटी सभ्यता स्थल है।
- यहां सेलखड़ी से बनी चार हड़प्पाकालीन मोहरें मिली हैं।
- यहां से सबसे बड़ा कब्रिस्तान 5 एकड़ में बना प्राप्त हुआ है।
- बड़ी संख्या में कब्रगाहें भी मिली हैं
वनावली (फतेहाबाद)
- खोज – 1973-1974 (आर. एस. बिष्ट द्वारा), क्षेत्र- 25 वर्ग मीटर
- मिट्टी के खिलौने मिले हैं।
- हल का टेराकोटा मिला है।
- बैलगाड़ियों के पहियों के निशान मिले हैं।
- जौ के साक्ष्य मिले हैं।
- अग्निवेदियों व मातृदेवियों के साक्ष्य मिले हैं।
- यहां से एक विचित्र मुद्रा पर विचित्र पशु मिला है जिसका धड़ शेर की तरह है व सींग बैल की तरह है।
- जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
- शतरंज के जाल के आकार की नगर योजना बनाई गई थी।
- वर्तमान में इसका उत्खनन डेक्कन विश्वविद्यालय पूना के द्वारा किया जा रहा है
मिताथल (भिवानी)
- मिताथल से 1.50 से 3.10 मीटर चौड़ी सड़कें प्राप्त हुई हैं।
- खुदाई 1967-1968 डॉ. सूरज भान द्वारा।
- ताम्बे के तेरह छल्ले मिले हैं।
- यहां से दो भाले भी मिले हैं।
- यहां से गुप्त तथा कुषाणकालीन सोने के सिक्के भी मिले हैं।
कुणाल (फतेहाबाद)
- उल्टे वी (A) आकार के वाणाग्र मिले हैं।
- भाले का अग्रभाग मिला है।
- चपटी कुल्हाड़ी व मछली पकड़ने के कांटे मिले हैं।
- सोने का मुकुट मिला है।
- यहां एक मकान से सोने वा चांदी के गहनों का एक खजाना मिला है।
- प्रथम खुदाई 1986 J.S. खत्री व एम. आचार्य द्वारा
- यहां से हाकड़ा संस्कृति के प्रमाण भी मिले हैं।
- यहां से मानव की सबसे पुरानी बस्ती मिली है।
- रीगल क्राउन कहलाता है।
- राजा का मुकुट मिला है।
- 6000 साल पुराने पत्थर के मणके मिले हैं।
भिरड़ाना (फतेहाबाद)
- राज्य का सबसे प्राचीन सैन्धव घाटी स्थल है।
- खुदाई 2003-2004 – एल.एस. राव द्वारा
भगवानपुर (कुरुक्षेत्र)
- उत्खनन : जी.पी. जोशी
- यहां से सफेद, काले तथा आसमानी रंगी कांच की चूड़ियां व ताम्बे की चूड़िया मिली हैं।
तिगड़ना (भिवानी)
- खोज – 1974-1975
- खुदाई में फियांस की चूड़िया व मनके मिल हैं।
- खुदाई में प्राचीन दिवार मिली है।
- इस सिन्धु घाटी/हड़प्पाकाल की वर्तमान में खुदाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के पुरातत्व विभाग द्वारा की गई है।
- इस कार्य में डेक्कन कॉलेज, पुणे, केरल व हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थी भी भाग ले रहे हैं।
- तिगड़ाना पुरातात्विक उत्खनन के निर्देशक डॉ. नरेन्द्र परमार हैं।
- इस हड़प्पाकालीन स्थल में खुदाई से हरीबंगा नामक औद्योगिक केन्द्र (हरे रंग की फियांस की चूड़ियां मिलने के कारण) के साक्ष्य मिले हैं।
- नोट: फियांस की चूड़ियों का निर्माण क्वाटर्स पत्थर के पेस्ट, फ्लक्स और कोलोरेंट पत्थर के मिश्रण से किया जाता है।
- इस पुरातात्विक स्थल में खुदाई से 5000 साल पहले गेहूं, जौ और दाल की खेती के साक्ष्य मिले हैं।
- इस स्थल पर खुदाई से स्टेटाइट की बनी एक चार अक्षर की मोहर मिली है।
- इस स्थल पर खुदाई से हड़प्पन लिपी के 500 से ज्यादा अक्षर भी मिले हैं।
- तिगड़ाना पुरातात्विक उत्खनन, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय जंतपाली के निर्देशक डॉ. नरेन्द्र परमार हैं।
- राज्य के इस पुरातात्विक स्थल से प्रारंभिक हड़प्पा काल, विकसित हड़प्पा काल और उत्तर हड़प्पा काल में क्रमबद्ध विकास मिलता है।
- राज्य का यह पुरातात्विक स्थल अरावली की पहाड़ियों के नजदीक पड़ता है।
- राज्य के इस पुरातात्विक स्थल में गणेश्वर जोधपुरा संस्कृति और हड़प्पन संस्कृति के बीच में व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।
अन्य स्थल
- गिरावड़ – रोहतक
- बालू – कैथल – लहसुन के अवशेष मिले हैं।
- मदीना – रोहतक
हाकड़ा संस्कृति
- आरम्भिक कृषक संस्कृति – हाकड़ा संस्कृति
- प्रमुख नदी – घग्घर (घग्घर नदी को पाकिस्तान में हाकड़ा नदी कहते हैं।)
- इस संस्कृति के सर्वप्रथम प्रमाण हरियाणा में कुणाल नामक स्थान से मिले हैं।
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