हरियाणा का प्राचीन इतिहास
- हरियाणा शब्द का अर्थ “भगवान का निवास” होता है जो दो शब्दों से मिलकर बना है हरि (विष्णु भगवान) + अयण (निवास) अर्थ विष्णु का निवासा
- कुछ विद्वानों के अनुसार हरियाणा शब्द की उत्पत्ति हरि (संस्कृत हरित) और अरण्य (जंगल) से हुई है।
- अधिकांश वैदिक साहित्य (जैसे वेद, ब्राह्मण उपनिषद, आदि) की रचना हरियाणा प्रदेश से हुई अतः इन ग्रंथों में हरियाणा के भौगोलिक, आर्थिक, ऐतिहासिक और समाज की जानकारी मिलती है।
- ऋग्वेद से हरियाणा प्रदेश की भौगोलिक जानकारी मिलती है
- ऋग्वेद में हरियाणा के कुछ स्थानों का वर्णन किया गया है जिसमें सरयणवत मुख्य है।
- शतपथ ब्राह्मण में बताया गया है कि पहले हरियाणा क्षेत्र में रहने वाले कुरुओ का शासन था, जिनके नाम पर कुरूक्षेत्र पडा।
- हरियाणा का पहला प्रादेशिक नाम ब्रह्मवर्त था।
महाभारत काल में राजा कुरु के नाम पर ब्रह्मखर्त को कुरूक्षेत्र और आर्यावर्त कहा गया है।
- हरियाणा के प्राचीन नाम – ब्रह्मवर्त, ब्राह्मर्षि, ब्रह्म का उत्तरवेदी
- स्कन्दपुराण में कुमारिका खंड में हरियाणा के लिए ‘हरियाला’ शब्द का उल्लेख है।
- दसवीं सदी में पुष्पदंत ने महापुराण में पहली बार हरियाणाऊ शब्द का प्रयोग किया।
- वामन पुराण में हरियाणा में प्रवाहित होने वाली नदियों एवं वन क्षेत्रों का उल्लेख है।
- प्राचीन समय में हरियाणा सरस्वती नदी के किनारे स्थित था लेकिन वर्तमान में यमुना नदी के किनारे स्थित है।
- ऋग्वेद में हरियाणा को रज हरियाणे, मनुस्मृति में ब्रह्मवर्त तथा पुष्पदंत रंथित महापुराण में हरियाणऊ कहा गया है।
विभिन्न विद्वानों द्वारा हरियाणा को दिए गए
- महाटाज कृष्ण – हरना (लूटपाट)
- राहुल सांकृत्यायन – हरिधानक्या डॉ
- बुद्ध प्रकाश -अभिय्याणा
- यदुनाथ सरकार – हरियाल
- डॉ एच. कार. गुप्ता – आर्यना (आर्यों का घर) जी.सी.
- अवस्थी – ऋग्वेद से उत्पन्न
- बाणभट्ट रचित हर्ष चरित में – श्री कण्ठ जनपद
बौद्ध साहित्य
- बौद्ध साहित्य से पता चलता है कि महात्मा बुद्ध ने हरियाणा में भ्रगण किया था।
- दिव्यादान तथा माज्झिमनिकाय गाडिझमनिकाय आदि बौद्ध ग्रंथों से हरियाणा के जनजीवन का उल्लेख मिलता है।
- दिव्यादान में उल्लेखित ‘अग्रोहा और रोहतक’ बौद्ध धर्म के प्रचार केंद्र थे।
जैन साहित्य
- श्रीधर और पुष्पदंत दो प्रमुख जैन काव्यधारा के कवि थे |
- जैन मूर्तियाँ हाँसी व रानियाँ से प्राप्त हुई है।
- जैन साहित्य में अग्रोहा (हिसार) प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र था।
- प्रथम सदी के ‘लोहाचार्य’ नामक जैन विद्वान यही रहते थे।
सिंधु घाटी की सभ्यता
- बनावली, सिंधु घाटी सभ्यता के राज्य में पाए गए क्षेत्रों में सर्व प्रमुख है|
- यह क्षेत्र राज्य के फतेहाबाद जिले में प्राचीन सरस्वती की घाटी में स्थित है।
- इसकी खोज 1973-74 ई. में आर. एस. विष्ट ने की थी।
- यहाँ से मिट्टी का खिलौना (हल) मिला है। तथा सड़कों पर बेलगाडी के पहियो के निशान मिले है।
- यहाँ से काफी मात्रा में जौ के साक्ष्य मिले है।
- बनावली एकमात्र स्थल है जहाँ से मातृदेवी की दो मृण्मूर्तियाँ मिली है।
- बनावली से प्राप्त एक मुद्रा पर विचित्र पशु अंकित है जिसकी घड़ सिंह की तरह और सिंग बैल की तरह है।
- पुरापाषाण काल के बाद यहाँ नवपाषाण काल की संस्कृति विकशित हुई जितके अवशेष सीसवाली (हिलार) 1968 से प्राप्त हुए है।
- सीतवाल में अल्प मात्रा में ताँबे का प्रयोग होने लगा था
- नाम सीतवाल होने के कारण इसे सीसवाल सभ्यता भी कहते हैं।
- अब तक की सभ्यता के तमी स्थलों का हरियाणा में पता चल चुका है जिनमें प्रमुत्व है- राखीगडी (हिसार), बनावली (फतेहाबाद), सीसवाल (हिसार), मिताथल (भिवानी) प्रमुख है।
- सीसवाल चोटांग नदी के किनारे स्थित है यहां चित्रकला काले रंग से संबंधित है कहा जाता है कि उनके पास एक काला रंगवी था ।