मराठा शक्ति का उत्कर्ष
छत्रपति शिवाजी 1627 1680
- मध्यकाल के पार्ट में इस टॉपिक को पढाया जा चुका है।
- शिवाजी के उत्तराधिकारी
- छत्रपति शिवाजी 1627 1680
- शम्भाजी 1680-1689
- राजाराम – 1689 1700
- ताराबाई 1700 1707
- साहू 1707 1748
- राजाराम द्वितीय
1. राजाराम प्रथम
2. ताराबाई (1700-1707)
- मराठा संघ के सदस्य
- ग्वालियर के सिंधिय
- इन्दौर के होल्कर
- नागपुर के भोंसले
- बडौदा के गायकवाड
- पूना के पेशवा
3. बालाजी विश्वनाथ – (1713-1720 ई.):
4. बाजीराव प्रथम (1720 – 40)
पालखेडा का युद्ध
- बाजीराव प्रथम वर्सेज चिनकिलच खाँ (निजाम – उत्ल मुल्क) (मुंगी शिवगाँव की सन्धि)
- इस युद्ध में मराठों की जीत हुई तथा मुंगी शिवगाँव की संधि हुई ।
- मुहम्मद खाँ बंगश के खिलाफ औरछा के राजा छत्रसाल बुन्देला की सहायता की ।
5. बालाजी बाजीराव (1740-61)
पानीपत का तीसरा युद्ध (1761)
- मराठे व अहमद शाह अब्दाली
- अहमद शाह अब्दाली का यह भारत पर 5 वां आक्रमण था ।
- मराठे मुगल बादशाह की तरफ से लड रहे थे
- मराठों का औपचारिक सेनापति विश्वास राव वास्तविक सेनापति सदाशिव राव भाऊ तोपखाने का प्रमुख : इब्राहिम खां गार्दी
- इस युद्ध में मराठे बुरी तरह से पराजित हुये ।
- हार का समाचार सुनकर बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई ।
संगोला की संधि (1750)
- यह संधि छत्रपति राजाराम द्वितीय तथा पेशवा बालाजी बाजीराव के बीच हुई ।
- इसके द्वारा छत्रपति की सारी शक्तियाँ पेशवा को दे दी गई।
6. माधवराव प्रथम (1761-1772)
- ये 1761 ई. में पेशवा बने ।
- इसने मराठो कि खोई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया ।
7. नारायण राव (1772-1773 ई.)
- माधवराव के पश्चात् उसका भाई नारायणराव पेशवा बना परन्तु एक वर्ष बाद ही उसके चाचा रघुनाथ राव (राघोबा) ने पेशवा बनने के लिए इसकी हत्या कर दी।
8. माधवराव द्वितीय (1774-1795 ई.)
- पेशवा नारायण राव की मृत्यु के बाद उसकी विधवा गंगाबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया । जिसे 1774 में ही पेशवा बना दिया गया ।
- पेशवा की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देखरेख “बाराभाई” नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद् किया करती थी । इस परिषद् में सखाराम बापू, महादजी सिंधियाँ तथा नाना फडनवीस प्रमुख थे ।
प्रथम अंग्रेज -मराठा युद्ध :(1775-1782)
i. सूरत की संधि (1775)
(राघोवा पेशवा नहीं बनाये जाने पर बॉम्बे प्रेसिडेन्सी के पास चला गया)
- राघोबा तथा बॉम्बे प्रेसिडेन्सी के बीच अंग्रेज राघोबा को पेशवा बनाने में सैनिक सहायता देंगे । तथा राघोबा अंग्रेजों को सालसेट, बसीन व थाना देगा ।
ii. पुरन्दर की संधि (1776)
- पेशवा तथा बंगाल प्रेसिडेन्सी के बीच पेशवा की तरफ से नानाजी फडनवीस ने यह संधि की ।
iii. बडगाँव की संधि (1779)
- बडगाँव के युद्ध में हारने पर अंग्रेजो ने यह अपमानजनक संधि की ।
iv. सालबाई की संधि (1782)
- इस संधि द्वारा युद्ध समाप्त हो गया ।
- महादजी सिंधिया की मध्यस्ता से यह संधि हुई
- बंगाल के गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने इसे ‘आपत्तिकाल की सफल संधि वार्ता’ कहा
- इस संधि के द्वारा माधव नारायण राव को पेशवा मान लिया गया ।
- राघोवा को पेंशन दे दी गई ।
- अंग्रेजों को सालसेट तथा ऐलीफेंटा दिया गया
9. पेशवा बाजीराव – द्वितीय (1795-1818)
- विनायक राव को पेशवा बनाने से नाराज राघोवा का पुत्र बाजीराव – द्वितीय अंग्रेजों के पास जाकर 1802 में बसीन की संधि कर लेता है इस संधि के तहत उसे पेशवा बना दिया गया । यह एक अयोग्य, स्वार्थी एवं महत्वाकांक्षी था । अपनी सर्वोच्चता सिद्ध करने के लिए यह मराठों को आपस में लडवा रहा था
- दौलतराव सिन्धिया एवं जसवन्तराव होल्कर की आपसी प्रतिद्वन्द्विता में इसने सिन्धिया का साथ दिया इस पर होल्कर की सेना ने इनकी संयुक्त सेना को हरा दिया । बाजीराव द्वितीय ने भागकर अंग्रेजो से 1802 में बसीन की संधि कर ली।
प्रमुख प्रावधान
- बाजीराव – द्वितीय ने अंग्रेजी संरक्षकता स्वीकार कर लीं।
- बाजीराव की राजधानी पुनः पूना में स्थापित की जायेगी
- दोनो एक दूसरे के शत्रु को अपना शत्रु मानेंगे ।
- अंग्रेजो ने लगभग 60,000 सैनिक पेशवा की रक्षा हेतु देने का वायदा किया । बदले में अंग्रेजो को पेशवा 26 लाख वार्षिक आय वाले क्षेत्र देगा ।
- सूरत नगर कम्पनी को दे दिया गया ।
- पेशवा ने निजाम से चौथ प्राप्ति कर अधिकार कम्पनी को दे दिया ।
द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध (1803-1806)
- बाजीराव को अधीन कर लेने के बाद अंग्रेजों की नजर होल्कर, भोंसले तथा सिंधिया को अपने अधीन कर लेने की थी। मराठों की आपसी फूट का लाभ उठाकर वेलेजेली ने 1803 में युद्ध की घोषणा कर दी । पराजित सिन्धिया ने 30 दिसम्बर 1803 को सुर्जी अर्जुन तथा भोंसले ने देवगाँव की संधि कर ली ।
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध (1817-1818)
- अंग्रेजो ने 1817 में सिंधिया के साथ “ग्वालियर की संधि” की जिसके तहत सिन्धिया पिण्डारियों के दमन में अंग्रेजो का साथ देगा ।
- जून 1817 को पेशवा से संधि की जिसके तहत पेशवा ने मराठा संघ की अध्यक्षता त्याग दी ।
- “नागपुर की संधि” भोंसले से की गई ।
- कालान्तर में इन सभी ने इन संधियों का उल्लंघन करके अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर डाली । लेकिन अंग्रेजो ने इन्हें हरा दिया । इससे इनकी शक्ति समाप्त हो गयी ।
लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि
- भारत में सर्वप्रथम फ्रांसीसी गवर्नर जनरल डूप्ले द्वारा सहायक संधि का प्रयोग किया गया ।
- लेकिन व्यवस्थित एवं विस्तृत रूप से इसकी शुरुआत 1798 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली द्वारा की गई।
- वेलेजली ने सर्वप्रथम हैदराबाद, मैसूर एवं तंजौर से सहायक संधि की ।
देशी राज्यों के प्रति अंग्रेजो की नीति
- घेरे की नीति (1765-1813)
- अधीनस्थ पार्थक्यवाद की नीति (1813-1858)
- अधीनस्थ संघ की नीति (1858-1935)
- बराबर के संघ की नीति (1935-1947)
नरेन्द्र मण्डल
- नरेन्द्र मण्डल की स्थापना 1921 में हुई। यह एक परामर्शदात्री संस्था थी। इसके पास किसी भी प्रकार के अधिकार नहीं थे।
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