Rectification Of Errors Concept

अशुद्धियों (Rectification) क्या है ?

अशुद्धियाँ करना मानव का स्वभाव है और इसी तरह लेखांकन में हुए किसी तरह के अशुद्धियाँ को लेखांकन अशुद्धियाँ कहा जाता है।

यही कारण है की सावधानी बरतने के बावजूद और कभी असावधानीवश लेखपाल से विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ हो जाती है।

कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती है जिनका प्रभाव तलपट के योग पर नहीं पड़ता है पर कुछ त्रुटियाँ ऐसी होती हैं जो तलपट के योग को प्रभावित करती हैं।

व्यापर को सही स्थिति प्रकट करने के लिए आवश्यक है कि त्रुटियाँ का पता लगाया जाय और सुधार हेतु आवश्यक लेखे किये जायें।

अशुद्धियों (Rectification) का वर्गीकरण क्या है ?

लेखांकन की अशुद्धियाँ के प्रकार निम्नलिखित है :

    • एकपक्षीय अशुद्धियाँ (One-Sided Error)

      जब अशुद्धियाँ केवल एक ही खाते में हो अथवा अशुद्धि केवल एक खाते के एक ही पक्ष को प्रभावित करती हो तो ऐसी अशुद्धि को एकपक्षीय अशुद्धियाँ कहा जायेगा। इस प्रकार की अशुद्धि का सुधार प्रभावित लेखे की स्थिति के अनुसार डेबिट या क्रेडिट करके किया जाता है।

 

    • द्विपक्षीय अशुद्धियाँ (Double-Sided Error)

      द्विपक्षीय अशुद्धियाँ दो खातों पर प्रभाव डालती हैं। अतः इनका संशोधन जर्नल प्रविष्टियों के द्वारा किया जाता है। द्विपक्षीय अशुद्धियाँ को सुधरने के लिए एक खाते को डेबिट तथा दूसरे को क्रेडिट किया जाता है।

 

    • योग की अशुद्धियाँ (Error Of Casting)

      सहायक बही के योग लगाने में गलती हो सकती है। योग कम हो सकता है अथवा अधिक। योग कम लगाने अथवा अधिक लगाने को ही योग की अशुद्धि कहा जायेगा।

 

    • खतौनी की अशुद्धि (Error Of Posting)

 

    • पूर्णतया छूट जाने वाली अशुद्धियाँ (Errors Of Complete Omission)

      यदि किसी सौदे का जर्नल या पुस्तक में लेखा ही न किया जाय तो इसे पूर्णतया छूट जाने वाली अशुद्धि कहा जाता है।

 

    • आंशिक रूप से छूट जाने वाली अशुद्धियाँ (Error Of Partial Omission)

      कभी-कभी सौदे का लेखा संबंधित सहायक बही में कर दिया जाता है परन्तु उसे दूसरे खाते में नहीं खतियाया जाता है तो इसे आंशिक रूप से छूट जाने वाली अशुद्धि कहा जाता है। इस तरह की गलती को सुधारने के लिए उचन्त खाता अथवा भूल-चूक खाता का प्रयोग किया जाता है।

 

  • क्षतिपूरक अशुद्धियाँ (Compensatory Errors)

     

अशुद्धियों के सुधार (Rectification Of Errors) का अर्थ क्या है ?

लेखांकन में हुए गलतियों के ठीक करने के क्रिया को Rectification Of Errors कहा जाता है।

व्यापर को सही स्थिति प्रकट करने के लिए आवश्यक है कि त्रुटियाँ का पता लगाया जाय और सुधार हेतु आवश्यक लेखे किये जायें। इसी क्रिया को अशुद्धियों या त्रुटियों का सुधार कहा जाता है।

अशुद्धियों (Rectification ) का सुधार कैसे किया जाता है ?

लेखांकन के गलतियों को निम्नलिखित दो तरह से सुधारा जा सकता है :

  1. काटकर सुधारा जाना :

    इस तरीका में लेखांकन में जहाँ गलती हुआ रहता है वहाँ एक रेखा खींचकर काट दिया जाता है और उचित में जो होना चाहिए उसे लिख लिया जाता है।

    इस विधि का चयन नहीं है क्योंकि एक गलती को सुधारने के लिए कई जगह काटने होते हैं जिसके कारण लेखांकन देखने में खराब लगने लगता है।

  2. रोजनामचा के द्वारा सुधारा जाना :

    इस विधि में गलती को वैसे ही रहने दिया जाता है और एक ऐसा रोजनामचा तैयार किया जाता है। जो आगे चलकर गलती के प्रभाव को नष्ट कर देता है।

    रोजनामचा के द्वारा सुधारने के लिए निम्नलिखित नियमों को याद करना चाहिए :

      • जो होना चाहिए यदि हो गया है तो उसे छोड़ देंगे। जो होना चाहिए यदि नहीं हुआ हो तो उसे लिख लेंगे और जो नहीं होना चाहिए तब भी हो गया हो तो उसे उल्टा लेखा कर सुधार लेंगे।

      • किसी A/c में कम लिखा हो तो उसे बढ़ाकर सुधार कर लेंगे और किसी A/c में यदि अधिक लिखा हो तो घटाकर सुधार कर लेंगे। बढ़ाने के लिए Debit Item को और Debit कर लेंगे तथा Credit Item को और Credit कर लेंगे परन्तु घटाने के लिए Debit Item को Credit और कर लेंगे कर लेंगे Credit Item को और Debit कर लेंगे ।

      • किसी A/c में Debit तरफ लिखने के बदले यदि Credit तरफ लिखा गया हो तो दोनों राशियों को जोड़कर उसे Debit कर लेंगे। इसी तरह यदि Credit तरफ लिखने के बदले Debit तरफ लिखा गया हो तो दोनों राशियों को जोड़कर Credit करलेंगे।

    • Purchase A/c में लिखे जाने के बदले यदि Sales A/c में लिखा गया हो तो Purchase A/c के साथ-साथ Sales A/c को भी Debit करलेंगे। इसी तरह यदि Sales A/c में लिखे जाने के बदले यदि Purchase में लिखा गया हो तो Sales A/c के साथ-साथ Purchase A/c को भी Credit कर लिया जाता है।

Topic

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।

किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।

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