सल्तनत काल (1206-1526)

मामूलक/गुलाम वंश

इस वंश के सभी प्रमुख शासक गुलाम (मामूलक) वंश के थे इसलिए इसे गुलाम वंश कहा गया |

1. कुतुबद्‌द्दीन ऐबक (1206-1210)
  • वास्तव में 1192 से 1210 ई. तक पहले गवर्नर था, बाद में शासक बना ।
  • ऐबक का शाब्दिक अर्थ “चन्द्रमा का स्वामी”
  • 1208 ई. में गौरी के भतीजे ग्यासुदीन महमुद ने सेवक को दास मुक्ति पत्र देकर उसे सुल्तान कि उपाधि प्रदान की थी।
ऐबक की उपाधियाँ
  • कुरान खाँ
  • लाख बक्श (लाख)
  • हातिम द्वितीय
  • पील (हाथी) बक्श (बखस)
ऐबक की राजधानी – लाहौर
  • कुतुबु‌द्दीन ऐबक ने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की थी ।
  • अपने नाम के सिक्के नहीं चलाये ।
  • 1210 ई. में लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते समय घोडे से गिरकर मौत हो जाती है।
2. इल्तुमिश (1211-1236 ई.)
  • सुल्तान बनने से पहले बदायूं का गवर्नर था ।
  • मुईजजी एंव कुत्बी अमीरों का दमन करने के लिए’तुर्कान-ए-चिहलगानी’ (40-चालीसा दल) का गठन किया ।
  • इसे “सल्तनत का वास्तविक संस्थापक” कहा जाता है।
  • इल्तुतमीश ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनवाया और अपने नाम के सिक्के चलाए ।
  • तराईन का तीसरा युद्ध 1216 ई. इल्तुतमिश बनाम यल्दौज (पराजित व मारा जाता है)
  • 1221 ई. में जलालु‌द्दीन मंगबरनी का पीछा करते हुए चंगेज खान सल्तनत की तरफ आ रहा था इल्तुतमिश ने जला‌द्दीन मंगबरनी को सहायता न देकर नव स्थापित सल्तनत की रक्षा की।
  • इल्लतुतमीश ने कुंतुबमीनार के निर्माण कार्य को पुरा करवाया । उसे मकबरा शैली निर्माण का जन्मदाता भी कहा जाता है।
  • इसने दिल्ली में स्वयं का मकबरा भी बनवाया उसने बदायु में हौज-ए-खास का निर्माण करवाया ।
  • 1229 ई. में खलीफा से मान्यता प्राप्त की।
नई मुद्रा जारी की थी।
  1. चाँदी का टंका
  2. ताँबे का जीतल
  • 1236 ई. में मृत्यु
    ‘इक्ता प्रणाली’ को विकसित किया ।
रजिया सुल्तान (1236-40 ई.)
  • रजिया कुबा एवं कुलाह पहनकर दरबार में आती थी सिंहासन पर बैठती थी ।
  • प्रथम महिला शासक थी।
  • गैर तुर्क लोगों को महत्वपूर्ण पद प्रदान किए 🙂 अल्तुनिया -> तबर हिन्द का गवर्नर (भटिण्डा),याकूत ->  अमीर -ए-आखूर ( अरब शाला का प्रमुख ),  एतग्रीन -> समीर
  • कैथल (हरियाण) नामक स्थान पर डाकुओं ने रजिया की हत्या कर दी ।
  • रजिया कि असफलता का मुख्य कारण तुर्की गुलामों कि महत्वकांक्षाए थी ।
4. बलबन (1266-86)
  • चालीसा दल का सदस्य था ।
  • रजिया के समय बलबन अमीर-ए-आखुर (अश्वशाला) का प्रधान था ।
  • राजत्व का दैवीय सिद्धान्त
  1. जिल्ल- ए- इलाही (ईश्वर की छाया)
  2. नियामत- ए- खुदाई (ईश्वर का प्रतिनिधि)
  • यह रक्त की शुद्धता में विश्वास रखता था ।
  • इसका संबंध ईरान के आफराशियाब वंश से था
  • इसने ईरानी रीति – रिवाज एवं प्रथाएँ आरम्भकी।
  1. सिजदा
  2. पैबोस / पायबोस
  3. नोरोज / नवरोज त्यौहार
  4. तुलादान
  5. ताजिया
  • इसने सैनिक विभाग की स्थापना की -‘दीवान-ए-अर्ज’
  • गुप्तचर विभाग दीवान ए बरीद
  • बलवन ने लौह एवं रक्त की नीति का अनुसरण किया ।

अमीर खुसरो

  • ये अलाउद्‌दीन खिलजी के दरबार में रहते थे ।
  • महान कवि, जन्म-परियाली, ईटा (यू.पी.) में ।
  • “भारत का तोता” तथा “तुती ए हिन्द” के नाम से भी जाना जाता था ।
  • एकमात्र ऐसे कवि थे जिन्होने दिल्ली शासनकाल के 8 राजाओं का शासन देखा था
  • ये निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था ।
  • तम्बूरा वाद्य यंत्र भी इन्होने ही बनाया ।
  • ‘कव्वाली का जनक” भी कहा जाता है।

खिलजी वंश

खिलजी वंश की स्थापना खिलजी क्रान्ति कहलाती है।

1. जलालुद्‌दीन खिलजी (1290-96) (जलालुद्दीन फिरोज तुगलक)
  • किलोवरी को 1 वर्ष तक अपना केन्द्र बनाकर रखा
  • यह लालमहल के सिंहासन पर कभी नहीं बैठा
  • रणथम्भौर पर आक्रमण किया । जलालु‌द्दीन खिलजी ने रणथम्भौर के बारे में कहा- “मेरे सैनिक के एक बाल की कीमत इस किले से कही ज्यादा है”।
    जलालुदीन के समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना अलाऊदीन का देवगीरी का आक्रमण था । रामचन्द्र देवगिरी का शासक था ।
  • अमीर खुसरो और हसन देहलवी जलालुद्दीन के दरबारी थे ।
  • ‘दीवान ए वकूफ’ की स्थापना । (व्यय विभाग)
  • इसके भतीजे अलाउद्‌दीन खिलजी ने कड़ा (इलाहाबाद) में इसकी हत्या कर दी ।
2. अलाउद्‌दीन खिलजी (1296-1316 ई.)
  • बचपन का नाम- अली गुरुशास्य/गुर्शास्प सुल्तान बनने से पूर्व कडा (इलाहाबाद) का सूबेदार था कडा का सूबेदार रहते समय इसने दक्षिण भारत अभियान किया था । ” सिकन्दर सानी “उपाधि धारण की ।
  • सुल्तान बनने से पहले अलाऊदीन अमीर-ए-तुजुक के पद पर था ।
  • सेना को नगद वेतन देने एवं स्थाई सेना रखने कि प्रथा अलाऊदीन खिलजी ने ही प्रारम्भ की थी।
  • दिल्ली के शासको में सबसे विशाल सेना इसकी ही थी।
  • भारत में मंगोल के द्वाक्रमण अलाऊदीन खिलजी के समय हुये थे ।
सैनिक अभियान

1. 1299 ई. (गुजरात)

  • यहाँ का शासक कर्ण था । कर्ण अपनी बेटी देवलरानी के साथ देवगिरी भाग गया ।

2. 1300 ई. (जैसलमेर)

3. 1301 ई. (रणथम्भौर)

  • यहाँ का शासक हम्मीर देव था । नुसरत खान इस युद्ध में मारा गया ।

4. 1303 ई. (चित्तौड) 

  • चित्तौड को जीतकर इसका नाम खिजाबाद रख दिया तथा खिज खाँ को सूबेदार बनाया ।

5. 1305 ई. (मालवा)

6. 1308 ई. (सिवाणा) :- खैराबाद

7. 1311 ई. (जालौर)

  • जालौर को जीतकर (जलालाबाद) नाम रखा ।
चार खाँ
  1. जफर खाँ – मंगोलो से लडता हुआ मारा गया
  2. नुसरत खाँ – रणथम्भौर युद्ध में मारा गया ।
  3. उलूग खाँ
  4. अल्प खाँ
अन्य सेनापति
  1. गाजी मलिक
  2. मलिक काफूर :- यह हिन्दू था बाद में इस्लाम स्वीकार किया ।
  • 1000 दीनार से खरीदने के कारण इसे “हजार दिनारी” कहा जाता है।
  • दक्षिण के अभियानों का नेतृत्व मलिक काफूर ने ही किया था ।
दक्षिण भारत के अभियान

(i) देवगिरी आक्रमण

  • रामचन्द्र देव (यादव वंश) अलाउद्‌दीन की अधीनता स्वीकार कर ली।

(ii) बारंगल (तेलंगाना)

  • प्रतापरुददेव ने अधीनता स्वीकार कर ली। मलिक काफूर को कोहिनूर का हीरा भेंट में दिया ।

(iii) द्वारसमुद्र :- 

  • वीर बल्लाल देव (होयसल वंश)

(iv) मदुरै :- वीर पाण्डेय एवं सुन्दर पाण्डेय

  • मलिक काफूर का सबसे सफल अभियान ।
  • वीर पाण्डेय ने अधीनता स्वीकार नहीं की ।
सैनिक सुधार
  1. इसने विशाल एवं नियमित सेना का गठन किया
  2. सैनिकों को नियमित वेतन देना प्रारम्भ किया ।
  3. खुम्स (लूट) में सैनिकों की भागीदारी मात्र 20% कर दी गई।
  • खुम्स            सेना            सुल्तान
  • पहले            80             20
  • अब              20             80

 

  • सैनिकों का हूलिया लिखना प्रारम्भ किया । “दीवान ए खारिज” हुलिया लिखता था ।
  • घोडो को दागने की प्रथा प्रारम्भ की ।
बाजार को तीन भागों में बाँटा गया ।
  1. सराय ए अदल (सराय-अदल सरकारी सहायता प्राप्त बाजार था जहाँ वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था ।)
  2. मण्डी/खाद्यान बाजार
  3. दास, घोडे, एवं पशुओं का बाजार
  • शहना ए मण्डी नामक अधिकारी नियुक्त किया गया यह मण्डी में पुलिस अधिकारी होता था ।
3. मुबारक खिलजी (1316-1320 ई.पू.)
  • अलाउद्‌दीन खिलजी का पुत्र था । खिलजी वंश का अन्तिम शासक था, इसके बाद इसके मित्र ने राज किया ।

तुगलक वंश

  • सर्वाधिक 94 वर्ष शासन किया । (सल्तनत काल में)

1. गयासु‌द्दीन तुगलक (1320-25 ई. पू.)

  • वास्तविक नाम गाजी मलिक
  • प्रथम सुल्तान था जिसने अपने नाम के आगे “गाजी” (धर्मयोद्धा) शब्द का प्रयोग किया ।
  • इसकी राजस्व पद्धति रस्म ए मियानी के नाम से जाना जाता है।
  • गियासुदीन ने उदारता की नीति अपनाई थी । उदारता की नीति से किसानों और राज्यों कि आर्थिक नीति में सुधार हुआ ।
  • इसके कार्यकाल में डाक व्यवस्था श्रेष्ठ थी ।
  • इसने न्याय व्यवस्था में भी सुधार किये ।
  • इसने तुगलकाबाद नामक शहर की स्थापना की थी।
  • ये पहला शासक था जिसने कैनाल का निर्माण करवाया |

2. मुहम्मद बिन तुगलक (1325-51)

  • सल्तनत काल का सबसे विद्वान शासक था ।
  • इसको रक्तपिपासु पागल आदि कहा जाता था
  • वास्तविक नाम जौना खाँ
  • यह एक प्रयोगधर्मी एवं सनकी शासक था ।
  • इसे बुद्धिमान मूर्ख कहा जाता है।
  • विरोधाभाषों का पिटारा कहा जाता है।
  • सल्तनत का सर्वाधिक विस्तार इसके समय हुआ
  • यह अपनी राजधानी देवगिरी लेकर गया ।
  • देवगिरी का नाम दौलताबाद रखा ।
  • इनका साम्राज्य 23 प्रांतों में बटा हुआ था ।

कराचिल अभियान

  • यहाँ से मात्र 3 सैनिक जीवित लौटे ।
  • तुगलक ने किसानों को “तकावी” ऋण प्रदान कियें
  • सांकेतिक मुद्रा चलाई ।

दीवान ए अमीर कोही

  • यह कृषि विभाग था ।
  • फसल चक्र अपनाया गया ।
  • इब्नबतुता :- यह मोरक्को (अफ्रीका) का निवासी था ।
  • 1333 ई. में दिल्ली द्वाया था ।
  • तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया
  • तुगलक ने इसे अपना दूत बनाकर 1342 ई. में चीन भेजा ।
  • अपनी पुस्तक रेहला (अरबी भाषा में) की रचना की

3. फिरोज तुगलक (1351-88 ई.)

यह बिन तुगलक का चचेरा भाई था ।

  • राज्याभिषेक थट्टा में ही हुआ ।
  • दूसरा राज्यभिषेक दिल्ली मे
  • इसने शरियत में उल्लेखित चार करों को लागू किया।
  1. खुम्स -> लूट का माल
  2. खराज -> भूमि कर
  3. जजिया -> यह एक गैर धार्मिक-राजनीतिक कर था इसको देने वाले जिम्मि कहलाते थे 
  4. जकात -> मुसलमान अपनी आय का 40वाँ हिस्सा देते थे ।
  • हक ए शर्ब नामक नया कर सिंचाई पर लगता था
  • “उश्र” नामक भूमि कर मुसलमानों से लिया जाता था । मुसलमानों की जमीन को “उश्री” कहते थे
नये सिक्के जारी किए
  1. शंशगनी
  2. अद्‌दा
  3. बिश्व
इसने लगभग 300 शहर बसाये :-
  • फिरोजशाह कोटला (पाँचवी दिल्ली)
  • जोनपुर (अपने भाई जोना खाँ की याद में बंगाल अभियान से लौटते समय)
  • फिरोजापुर फतेहाबाद, हिसार फिरोज
  • लगभग 1200 उद्यानों का निर्माण करवाया । 
  • नहरों का निर्माण । दो प्रसिद्ध राजावाही, उलुगखानी
कुछ विभाग स्थापित किए-
  • दीवान- ए- बन्दगान – यह दासीं (गुलामों) के लिए था। फिरोज के पास 1 लाख 80 हजार गुलाम थे
  • दार-उल- शफा मरीजों के लिए अस्पताल
  • दीवान-ए- खैरात – दान विभाग
  • दीवान- ए- इश्तिहाक – पेंशन विभाग
  • पहला शासक जिसने ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया
  • फिरोज की आत्मकथा फुतुहात- ए- फिरोजशाही
  • जियाऊ‌द्दीन बरनी की पुस्तके तारीख ए फिरोजशाही एवं फतवा – ए- जहाँदारी
  • शम्स- ए- सिराज अफीफ की पुस्तक- तारीख ए – फिरोजशाही
  • फिरोज के समय रेशमकीट पालन आरम्भ हुआ ।

4. नासिरुद्‌दीन मोहम्मद तुगल (1394-1412)

  • इनका शासन दिल्ली तक ही सीमित था ।
  • इसके समय सल्तनत दिल्ली से पालम तक थी ।
  • 1398 ई. में तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया था ।
  • नासिरूद्‌दीन दिल्ली छोडकर भाग गया ।

सैय्यद वंश (1414-1451)

खिज खॉ

  • सैय्यद वंश का संस्थापक
  • इसने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की ।
  • यह स्वयं को शाहरूख का प्रतिनिधि मानता था
  • “रैय्यत ए आला” की उपाधि धारण की ।
  • इसने यमुना के किनारे मुबारकाबाद बसाया
  • मुबारकाशाह सैयद् शासको में योग्यतम शासक था ।
  • सैयद वंश का शासन केवल 37 वर्ष रहा ।
  • अलाउद्‌दीन आलम शाह (1445-51 ई.)
  • यह सल्तनत को बहलोल लोदी को सौंपकर बदायूं चला गया ।

लोदी वंश (1451-1526 ई.)

  • यह अफगानिस्तान/अफगानों के गिलजई कबीले की शाहूखेल शाखा के थे ।
  • इनके पूर्वज घोडों के व्यापारी थे ।

बहलोल लोदी (1451-1489 ई.)

  • अमीरों को “मसनद-ए-आली” कहकर पुकारता था |
  • यह अपनी पगडी अमीरों के पैरो में रख देता था |
  • इसने बहलोली सिक्के चलाये, जो मुगल काल तक चलते रहे।
  • बहलोल लोदी ने 1451 ई. में आलमशाह को हटाकर कर दिल्ली पर लोदी वंश की स्थापना की ।
  • इसकी महत्वपूर्ण सफलता जैनपुर राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिलाना था ।

सिकन्दर लोदी (1489-1517)

  • इसने सिंहासन का प्रयोग आरम्भ किया ।
  • “गुलरूखी” उपनाम से लिखता था ।
  • इसने आगरा शहर की स्थापना की (1504) एवं 1506 में इसे राजधानी बनाया ।
  • इसने सिकन्दरी गज का प्रयोग किया ।
  • एकमात्र सुल्तान जिसने खुम्स में हिस्सेदारी नहीं ली।
  • इसने आगरा को बसाया जहाँ पर बादलगढ़ का किला का निर्माण कराया ।
  • सिकंदर ने अनाज पर जकात लेना बंद करवाया ।
  • इसने ब्रह्माणों से जजिया कर लेना पुनः शुरू कर दिया ।
  • सिकंदर लोदी कि मुत्यु 21 नवम्बर 1517 ई को आगरा में हुई ।
  • इसने अनाज से चुंगी कर हटा दिया ।
  • पसंदीदा वाद्य यंत्र = शहनाई
  • लज्जत ए सिकन्दरशाही = संगीत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद ।
  • फरहंग ए सिकन्दरी = आयुर्वेद ग्रन्थों का फारसी

इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.)

  • राणा सांगा ने इसे 2 बार पराजित किया ।
  • आलम खाँ लोदी एवं दौलत खाँ लोदी (पंजाब का सूबेदार) ने बाबर को भारत में आक्रमण करने के लिए बुलाया था ।
  • पानीपत का प्रथम युद्ध इब्राहिम लोदी बनाम बाब २
  • इब्राहिम लोदी युद्ध में लड़ता हुआ मारा गया ।
  • दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान जो युद्ध में मरा ।
सल्तनतकालीन प्रमुख विभाग एवं उनके प्रमुख
  • दीवान-ए-इंशा          ==>           पत्रााचार विभाग
  • दीवान-ए-बरीद          ==>           गुप्तचर विभाग
  • दीवान-ए-अर्ज          ==>           सैनिक विभाग प्रमुख- आरिज ए मुमालिक
  • दीवान-ए-वकूफ          ==>           व्यव विभाग
  • दीवान-ए-नजर          ==>           उपहार विभाग
  • दीवान-ए-रसालत          ==>           विदेश विभाग
  • दीवान-ए-मुस्तखराज          ==>          राजस्व विभाग
  • दीवान-ए-अमरीकोही          ==>           कृषि विभाग

सल्तनतकालीन प्रमुख इमारतें

1. कुतुबु‌द्दीन ऐबक
कुतुब मीनार :-
  • कुतुबु‌द्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में बनवायी ।
  • इसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश ने पूर्ण करवाया ।
  • पुनर्निर्माण फिरोज तुगलक ने
 कुवत उल इस्लाम मस्जिद
  • सल्तनत काल की पहली मस्जिद
  • इस मस्जिद में “लौह स्तम्भ स्थापित है।
अढाई दिन का झोपडा –
  • अजमेर पहले यहाँ संस्कृत पाठशाला थी ।
2. इल्तुतमिश :-
  • इसे “मकबरों का जन्मदाता” कहा जाता है।
  1. सुल्तान गढी भारत का पहला मकबरा अपने पुत्र नासिरूद्‌दीन के लिए
  2. तारीकीन का दरवाजा – नागौर (RAJ)
  3. स्वयं का मकबरा (कुतुब Complex में) इते मकबरे का निर्माण “स्कीच शैली” में किया गया 12
  4. बदायूँ की इमारते :- जामा मस्जिद
3. बलबन
  1. लाल महल
  2. स्वयं का मकबरा

खिलजी वंश

अलाउद्दीन खिलजी
  1. नवनगर / नौनगर
  2. सिरी फोर्ट
  3. हजार सितुन का महल
  4. हौजखास
  5. अलाई मीनार
  6. अलाई दरवाजा – वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निर्मित प्रथम गुम्बद
जमातखाना मस्जिद :-
  • शुद्ध इस्लामिक शैली में निर्मित प्रथम इमारत

तुगलक वंश गयासुद्दीन

  1. तुगलकाबाद
  2. तुगलकाबाद का किला
  • इसे छप्पनकोट भी कहा जाता है।

गयासुद्दीन तुगलक का मकबरा

  • यह एक कृत्रिम झील मे बना हुआ है।
  • इस पर हिन्दू प्रभाव दिखाई देता है।

मोहम्मद बिन तुगलक

  1. जहाँपनाह
  2. आदिलाबाद का किला
  3. बाराखम्भा : – इसे धर्मनिरपेक्ष इमारतें कहा जाता है

फिरोज तुगलक

  1. फिरोजशाह कोटला (5th दिल्ली)
  2. शिखरकी मस्जिद – ASI को यहाँ से सिक्के मिले है
  3. बेगमपुरी मस्जिद
  4. काली मस्जिद
  5. कला मस्जिद
  6. कुश्क ए शिकार मस्जिद -> इसके समय को मस्जिदों का काल कहा जाता है।
  7. खान ए जहाँ तेलंगानी का मकबरा -> 
  • यह भारत का प्रथम अष्टाकोणीय मकबरा है। 
  • इसका निर्माण जौना खाँ (पुत्र) ने करवाया ।
  • अशोक के टोपरा व मेरठ स्तम्भों को दिल्ली में स्थापित करवाया ।

सैय्यद वंश

  • सैय्यद व लोदी काल को “मकबरे का काल ”  कहते हैं।

लोदी काल

  • बहलोल लोदी का मकबरा
  • सिकन्दर लोदी का मकबरा
  1. भारत पहला दोहरा गुम्बद
  2.  इसे ताजमहल का पूर्वगामी कहा जाता है।
  • मौठ की मस्जिद बयाना
  1. सिकन्दर लोदी के सेनापति मियाँ भूवा ने बनवाई ।
  • बडे खाँ का मकबरा
  • छोटे खाँ का मकबरा
  • दादी का मकबरा
  • पोती का मकबरा
  1. कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसका वास्तविक नाम “पोली” था ।

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