हरियाणा के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे

  • प्रमुख दरगाह और मजार                            स्थान 
  • पीर मुबारक शाह की दरगाह                    चरखी दादरी
  • बाबा साहब कमाल की मजार                    कैथल
  • पीर जमाल की मजार                                गोहाना (सोनीपत)
  • मामा भांजा की दरगाह                             सोनीपत
  • बू अली शाह कलंदर दरगाह                      पानीपत
  • गौस अली शाह की मजार                          पानीपत
  • प्रमुख दरगाह और मजार                            स्थान 
  • अल्ताफ हुसैन हाली की दरगाह                 पानीपत
  • शेख आतम अल्ला की मजार                     पानीपत
  • शेख जुनैद की मजार                                 हिसार
  • चार कुतुब की दरगाह                               हांसी (हिसार)
  • शेख चिल्ली का मकबरा                            कुरुक्षेत्र
  • शेख मूसा की मजार                                 मेवात

हिसार के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे

1. शेख जुनैद की मजार :- 

                             हिसार के रहने वाले शेख जुनैद भी सूफीसंत परंपरा की एक महत्वपूर्ण कडी थे । इनकी मजार नागौरी गेट के दक्षिण में स्थित है।

2. चार कुतुब दरगाह :-

                                   हरियाणा के हिसार में स्थित चार कुतुब दरगाह का अर्थ है। वह विद्वान जो समाज का मार्गदर्शन करें एवं लोगों को सही दिशा प्रदान करें। हांसी में स्थित इन चार कुतुब दरगाह में प्रमुख चार सूफी संतों की मजार स्थित है।

      वह चार सूफी संत इस प्रकार है।

                   1. शेख कुतुब जलालुदीन अहमद (1188-1263)

                   2. शेख कुतुब मौलाना बुरहानुद्दीन (1261-1300)

                   3. शेख कुतुबदीन मुनव्वर (1352)

                  4. हजरत कुतुबुद्दीन नूरुद्दीन (1325-1397)

3. मीरा साहब की मजार :- 

                              बाबा मीरा साहब का पूरा नाम “हजरत नियमित उल्लाह वली उर्फ मीरा साहब” था । हरियाणा के हांसी के प्राचीन दुर्ग के ऊपर उत्तर दिशा में स्थित बाबा मीरा साहब की मजार लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है।

रोहतक के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे

1. लाल मस्जिद:-

                        रोहतक नगर की एक मनोहर व प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक लाल मस्जिद है। भिवानी स्टैंड पर स्थित इस मस्जिद की 1939 में नगर की एक बहुत ही प्रसिद्ध व्यापारी हाजी अली के द्वारा बनवाया गया था ।

2. सीसे वाली मस्जिद:-

                                 इस मस्जिद का प्रवेश द्वार संगमरमर के द्वारा निर्मित किया गया है। रोहतक की चमेली बाजार में रिश्थत यह एक विशाल मस्जिद है।

3. दीनी मस्जिद:-

                             रोहतक की दीनी मस्जिद एक ऐतिहासिक प्राचीन मस्जिद है। अलाउद्दीन के शासनकाल में इस मंदिर को मस्जिद का रूप दे दिया गया था परंतु सन 1947 के बाद इसको फिर से मंदिर का रूप दे दिया गया ।

4. काजी की मस्जिद:-

                               रोहतक से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मस्जिद है। इस मस्जिद की मीनार 60 फुट की है जिसमें गोल सीढियां कुतुब मीनार की तरह बनी हुई है। इस मस्जिद को सफेद पत्थरों से बनाया गया है

कुरुक्षेत्र के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे

शेख चिल्ली का मकबरा:-

                                  यह मकबरा सूफी संत शेख चिल्ली का है जो मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में ईरान से चलकर भारत में हजरत कुतुब अलाउदीन से मिलने थानेसर आए थे । उन्होंने यहां पर अलाउद्दीन से भेंट की। थानेश्वर नगर के उत्तर पश्चिम कोण पर संगमरमर से बना हुआा यह मकबरा बहुत ही खूबसूरत मकबरा माना जाता है। शेखचिल्ली की मृत्यु थानेसर में ही हो गई और उन्हें यहां दफना दिया गया । इसी कारण शेखचिल्ली के मकबरे को हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है

पानीपत के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे

1. बू-अली शाह कलंदर दरगाह :-

                                                 हरियाणा में चिश्ती संप्रदाय की स्थापना शेख फरीद ने की थी। बू अली शाह कलंदर भी चिश्ती संप्रदाय के प्रमुख सूफी संत थे । पानीपत में स्थित बू अली शाह कलंदर की दरगाह शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाता है।

2. कबीर-उल-औलिया हजरत शेख जलालुदीन की दरगाह:- 

                                      शेख जलालुद्दीन पानीपत के प्रमुख सूफी संत हुए है। यह बू अली कलंदर के समकालीन ही थे।

3. सैयद रोशन अली साहिब की दरगाह:-

                                                        सैयद रोशन अली शाह साहब की दरगाह भाईचारे की मिसाल है। यहां पर हर धर्म के लोग भाईचारे के लिए दुआ करने पहुंचते है।

4. अल्ताफ हुसैन हाली की कब:- 

                                       अल्ताफ हुसैन हाली उर्दू, फारसी, अरबी एवं अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे । उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए कई हजार रुपए इकठ्ठे करके एक पुस्तकालय बनवाया था साथ ही बाद में एक छोटा सा स्कूल शुरू करने में जुट गए । जो बाद में हाली हाई स्कूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

5. इब्राहिम लोदी की कब:- 

                                यह ऐतिहासिक मकबरा पानीपत के तहसील कार्यालय के निकट स्थित है। सन 1526 में इब्राहिम लोदी ने बाबर के साथ युद्ध किया था। जिसमें उसे पराजय हुई थी और वह मारा गया था । युद्ध स्थल पर ही इब्राहिम लोदी को दफना दिया गया और यहां पर ही उसकी कब बना दी गई थी ।

6. काबुली बाग मस्जिद:-

                               हरियाणा के पानीपत के निकट काबुली बाग में एक मस्जिद तथा तालाब बना हुआ है। यह बाग बाबर ने पानीपत की प्रथम लडाई में विजय की खुशी तथा सबसे प्रिय रानी मुरुम्मत मत काबुली बेगम की याद में बनवाया था |

7. जामा मस्जिद:-

                        इस नगर की मुख्य मस्जिद की जामा मस्जिद कहते है। यह नगर के मध्य में और नगर की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है।

8. हजरत ख्वाजा समसुदीन का मकबरा:-

                                   यह पानीपत के प्रमुख संत हुए है। जो बू अली कलंदर के समकालीन थे । तथा साथ ही शेख अलीमुदीन सावरी के अनुयाई थे ।

9. सलार फकरुदीन व हाफिज जमाल का मकबरा:-

                                                                             यह मकबरा बू अलीकलंदर के माता-पिता का मकबरा है।

10. मुकर्रब खान का मकबरा

मुकर्रब खान का वास्तविक नाम शेख हसन था। यह जहांगीर के समय के प्रसिद्ध हकीम हुआ करते थे ।

11. शेख अनाम अल्लाह की मजार
12. हाली की दरगाह
13. ख्वाजा अस्ताक अली की दरगाह
14. गौस अली शाह की मजा

सोनीपत के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. ख्वाजा खिज का मकबरा:-

                                       सोनीपत शहर में स्थित ख्वाजा खिज का मकबरा इब्राहिम लोदी ने अपनी शासनकाल में ख्वाजा खिज की याद में बनवाया था ।

2. पीर जमाल की मजार:-

                                सोनीपत के गोहाना में स्थित पीर जमाल की मजार हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मानी जाती है।

3. मामा-भांजा दरगाह :-

                                  हरियाणा के सोनीपत में स्थित मामा भांजा की दरगाह में इमाम नसरुद्दीन और उनके भांजे इब्राहिम अब्दुल्ला की मजारे स्थित है। यह दरगाह एक शिव मंदिर में स्थित है। जो की हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक अनूठी मिसाल पेश करती है

रेवाडी के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. इब्राहिम 12 हजारी की मस्जिद:-

                                             इब्राहिम 12 हजारी मोहम्मद गौरी का एक जनरल था । उसने रेवाडी के चौहान सरदार को हराकर यहां पर मुस्लिम धर्म का आाधिपत्य कायम किया था ।

2. लाल मस्जिद:-

                             रेवाडी की पुरानी कचहरी के समीप एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मस्जिद स्थित है। 1570 के आसपास इसका निर्माण अकबर के शासन काल में कराया गया था ।

3. मुफ्ती निजामुद्दीन मुफ्ती निजामुद्दीन:-

                                                       रेवाडी कुतुबपुर के रहने वाले थे। सन 1857 की क्रांति के दौरान राजा राव तुलाराम की सेना की पलटन नंबर 1 एजुकेटेड थे । अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए नसीबपुर के युद्ध में 16 नवंबर को यह वीरगति को प्राप्त हो गए 

कैथल के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. रजिया सुल्तान का मकबरा :- 

                                                  कैथल नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरूर रोड पर रजिया सुल्तान का मकबरा स्थित है। इल्तुतमिश की पुत्री रजिया और उनके पति का कत्ल उसी के सरदारों के द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था ।

2. बाबा शाह कमाल की मजार
3. पीर वेतन शाह की मजा

फतेहाबाद के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. फतेहाबाद की मस्जिद:-

                                              शेरशाह सूरी से पराजित होकर हुमायूँ अपनी जान बचाने के लिए फतेहाबाद- सिरसा मार्ग से अमरकोट जा रहा था। उसी समय फतेहाबाद में शुक्रवार को इबादत करते हुए यहां पर एक मस्जिद बनाने की घोषणा की थी यह वही मस्जिद है

2. मीर शाह मजार:-

                                    फतेहाबाद में तूफी संत मीर शाह की मजार स्थित है। इस मजार के प्रांगण में एक पत्थर पर बादशाह हुमायूं का अभिलेख भी उत्कीर्ण है।

3. बाबा फरीद टोम्ब:-

                                   ऐसी अवधारणा मानी जाती है कि सूफी संत बाबा फरीद ने फरीदावाद नगर की स्थापना की थी। यह गुबंद स्थानीय लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल है।

फरीदाबाद के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. ख्वाजा की सराय:-

                                  फरीदाबाद जिले के गांव सराय ख्वाजा के लगभग 300 वर्ष पुरानी एक सराय है। इस सराय के नाम पर ही गांव का नाम सराय ख्वाजा पड गया था। यह सराय पीर ख्वाजा के द्वारा बनवाई गई थी

महेंद्रगढ़ के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. इब्राहिम खान का मकबरा:-

                                                  नारनौल शहर के दक्षिण में हानी आबादी के बीच स्थित इब्राहिम खान का मकबरा एक विशाल गुंबद के आकार का है। इसका निर्माण इतिहास के प्रसिद्ध सम्राट शेरशाह सूरी ने अपने दादा इब्राहिम खान की याद में करवाया था ।

2. शाह विलायत का मकबरा:-

                                                   शाह विलायत का मकबरा इब्राहिम खान के मकबरे की एक और स्थित है। यह मकबरा आकार में बडा कौर इसे तुगलक से लेकर ब्रिटिश काल तक की परंपरागत वास्तु कला से सजाया गया है। फिरोजशाह तुगलक के शासन काल में यह मकबरा और इसके निकट के स्थल बनाए गए थे।

3. हमजा पीर दरगाह:-

                                        नारनौल से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम घर में स्थित संत हमजा पीर की दरगाह भी काफी प्रसिद्ध मानी जाती है। हमजा पीर का पूरा नाम हजरतथाह कलमुदीन हमजा पीर हुसेन था । यहां पर रुढीवादी मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का प्रवेश वर्जित माना जाता है।

करनाल के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. कच्ची समाधि:-

यहां पर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कच्ची समाधि स्थित है। जो शुरुवाती समय से आज तक भी कच्ची ही है। यह स्थल बाबा सिमरण दाल की दशकों पुरानी कच्ची समाधि है।

2. दरगाह कलंदर शाह:-

इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के सुपुत्र की खिजान खान और शादी खान के द्वारा कराया गया था। बू अली शाह कलंदर, सलाद फकिठदिन का पुत्र था । एक अनुमान के अनुसार उनका जन्म 1190 ईश्वी में हुआ था ।

3. पांच पिरों की मजार
4. मीरा साहब की मजा

मेवात के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. शेख मूसा की मजार:-

                                  मेवात की धरती पीर फकीर तथा ऋषि मुनियों की हानी भी रही है। हजरत शेख मूता का संबंध ईरान से बताया जाता है। दिल्ली के प्रतिद्ध यूफी हजरत निजामुद्दीन औलिया के मुरीद थे। इडारंत शेख भूता की दरगाह पल्ला गांव में पहाड़ी की तलहटी पर रिश्थत है। यह दरगाह मुगल बादशाह अकबर के द्वारा बनवाई गई थी

झज्जर के प्रमुख दरगाह, मस्जिद, मकबरे​

1. कांच की मस्जिद:-

                                 रोहतक से 22 किलोमीटर की दूरी पर झज्जर मार्ग पर स्थित ग्राम दुजाना में निर्मित यह प्राचीनतम मस्जिद है। आज से लगभग 200 साल पहले सैयद हाफिजजुद्दीन नामक एक काजी ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था 

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