संसद { Parliament }
- भारत में संसदीय शासन व्यवस्था है, जिसके तहत कार्यपालिका के दो प्रकार हैं, कार्यपालिका का निर्माण व्यवस्थापिका में से होता है तथा कार्यपालिका का अस्तित्व व्यवस्थापिका पर निर्भर है।
- अनु. 79 लोकसभा व राज्यसभा शामिल हैं। में यह उल्लेखित है कि संसद में राष्ट्रपति, लोक-सभा, राज्य-सभा शामिल है |
राज्यसभा (अनुच्छेद 80)
1. इसे राज्यों की सभा, स्थायी सभा, निरन्तर चलने वाली सभा तथा उच्च सदन कहा जाता है।
2. राज्य सभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 हो सकती है, लेकिन वर्तमान में 245 सदस्य संख्या है।
- इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं।
- जबकि शेष 233 सदस्य भारत के 29 राज्यों तथा दिल्ली व पुदुचेरी की विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
- राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों की विधान सभा के सदस्यों द्वारा किये जाने के कारण इसे राज्य सभा कहते हैं।
- राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है, लेकिन इसके 1/3 सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में अवकाश प्राप्त कर लेते हैं।
नोट –
- 3 अप्रैल, 1952 को राज्यसभा का पहली बार गठन हुआ।
- 13 मई, 1952 को राज्यसभा की पहली बार बैठक हुई।
- इसे पहले Council of the State कहा जाता था।
- 23 अगस्त, 1954 को इसका नाम राज्यसभा किया गया।
अनु. 249 के तहत राज्य सूची पर कानून बनाने के लिए पहल राज्यसभा करती है।
- राज्यसभा राज्य के हितों को बेहतर तरीके से समझती है।
- राज्यसभा अपने 2/3 बहुमत से एक विशेष विषय को संघ या समवर्ती सूची में स्थानान्तरित कर सकती है। इस आधार पर कि उसका राष्ट्रीय महत्व हो गया है।
अनु. 67 –
- उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव पहले राज्यसभा पास करेगी, फिर लोकसभा द्वारा उसी प्रस्ताव का अनुमोदन होना चाहिए।
अनु. 312 –
- राज्यसभा अपने 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पास करके अखिल भारतीय सेवा का सृजन कर सकती है।
- यदि राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा करते हैं (अनु. 352, 356, 360) और उसकी अवधि बढ़ायी जानी है तथा लोकसभा भंग हो चुकी है तो इस स्थिति में राज्यसभा अवधि बढ़ा सकती है।
नोट :- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राज्यसभा के पहले सभापति थे जबकि डॉ. एस. वी. कृष्णमूर्ति राव राज्यसभा के पहले उपसभापति थे।
- राज्यसभा एकमात्र ऐसा सदन है जिसका अध्यक्ष उसका सदस्य नहीं होता है।
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए पहल सदैव राज्यसभा करती है।
लोकसभा
- पहले लोकसभा अध्यक्ष थे – गणेश वासुदेव मावलंकर
- वर्तमान में ओम बिड़ला
- यह संसद का पहला/छोटा / निचला लोकप्रिय सदन है।
- अनु. 81 :- में लोकसभा की संरचना का उल्लेख है।
- लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है। वर्तमान में 545 है।
- अनु. 330 :- के तहत लोकसभा में अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए स्थान आरक्षित है।
- नोट – 1951-52 में पहले आम चुनाव हुए थे।
- अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं।
- अनु. 75(3) :- मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है, इसलिए लोकसभा अविश्वास का प्रस्ताव पास कर सकती है।
- अनु. 109 :- धन विधेयक सिर्फ लोकसभा में ही पेश हो सकता है और राज्यसभा इसे गिरा नहीं सकती है।
- अनु. 108 :- के तहत राष्ट्रपति संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाते है तो उसमें लोकसभा की स्थिति बहुत मजबूत होती है क्योंकि स्पीकर अध्यक्षता करता है और वो बिल साधारण बहुमत से पास होता है। लोकसभा की सदस्य संख्या राज्यसभा से दुगुनी से अधिक है
- अनु. 107 :- गैर धन विधेयक को पास करने का तरीका – ऐसा बिल किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है और साधारण बहुमत से पास होता है, फिर राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसकी अनुमति पाकर कानून बन जाता है।
- अनु. 110 :- धन विधेयक की परिभाषा दी गई है।
- कोई कर लगाना, हटाना, घटाना, बढ़ाना है।
- भारत सरकार की संचित निधि में रूपया जमा करना या निकालना।
- अनु. 118 :- संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता हमेशा लोकसभा अध्यक्ष करता है।
- नोट – राष्ट्रीय आपातकाल लगा हो तो लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। (1 साल के लिए )
संसदीय प्रक्रिया
- अनु. 118 में संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लेख है।
- अनु. 120 के तहत कोई भी संसद सदस्य हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है।
- अनु. 121 – में यह उल्लेखित है कि न्यायाधीशों को हटाने के सिवाय उनके किसी भी आचरण पर संसद में कोई टीका-टिप्पणी नहीं की जायेगी।
- अनु. 122 संसद के किसी व्यवहार के सन्दर्भ में कोई टीका-टिप्पणी नहीं करेगी। में यह उल्लेखित है कि न्यायपालिका
नोट – अनु. 32 तथा अनु. 226 के तहत न्यायपालिका संसद या राज्य विधान मण्डल के विरूद्ध किसी भी प्रकार की याचिका जारी नहीं कर सकती है।
संसदीय समितियाँ (ये तीन होती हैं)
- लोक लेखा समिति
- अनुमान / प्राक्कलन समिति
- लोक उद्यम समिति
1. लोक लेखा समिति
- 1921 में पहली बार इसकी स्थापना हुई।
- इसमें कुल 22 सदस्य होते हैं।
- इनमें से 15 लोकसभा तथा 7 राज्यसभा से होते हैं।
- 1967 से इस समिति का अध्यक्ष अनिवार्य रूप से विपक्ष का सांसद होता है।
- इस समिति का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है।
- यह समिति नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा संसद में रखी गयी रिपोर्ट की जाँच करने का कार्य करती है।
- वर्तमान में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष श्री अधीर रंजन चौधरी।
2. अनुमान/प्राक्कलन समिति
- इसकी स्थापना 1959 में हुई।
- इसमें कुल 30 सदस्य होते हैं। ये सभी लोकसभा से होते हैं।
- यह समिति सरकार द्वारा लोकसभा में रखे गये बजट के अनुमानों की जाँच करती है।
नोट:-
- इसे सतत मितव्ययता समिति भी कहते हैं।
नोट –
- बजट एक धन विधेयक है, इस कारण इसे हमेशा पहले लोकसभा में रखा जाता है।
3. लोक उद्यम समिति
- 1964 में इस समिति का गठन कृष्णा मेनन समिति की सिफारिश पर किया गया था।
- इनमें कुल 22 सदस्य होते हैं। इनमें 15 लोकसभा से तथा 7 सदस्य राज्यसभा से होते हैं।
- यह समिति CAG द्वारा लोक उद्यमों पर संसद में रखी गई रिपोर्ट की जाँच करती है।
नोट :-
- इन तीनों समितियों का कार्यकाल 1 वर्ष होता है।
- इन तीनों समितियों में कोई भी मंत्री सदस्य नहीं होता है।
- अध्यक्षों को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया जाता है।
विभागीय समितियाँ
- 1992-93 में इसकी स्थापना की गई।
- इनकी कुल संख्या 24 हैं।
- इनमें से 16 समितियों के अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तथा 8 समितियों के अध्यक्ष राज्यसभा के सभापति द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।
- प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं।
- इनमें से 21 लोकसभा से तथा 10 राज्यसभा से होते है।
- इन समितियों के निम्न कार्य हैं
- (i) अपने विभागों से संबधित अनुमानों की जाँच करना
- (ii) विधेयकों की जाँच करना
- (iii) रिपोर्ट की जाँच करना आदि
संयुक्त संसदीय समितियाँ
- भारत में अब तक 5 बार J.P.C. का गठन किया गया है। पहली बार 1987 में बोफोर्स तोप घोटाले की जाँच हेतु बी. शंकरानंद की अध्यक्षता में किया गया था।
- अन्तिम J.P.C. का गठन मनमोहन सरकार के खिलाफ वर्ष 2010 में 2G स्पैक्ट्रम घोटाले की जाँच हेतु पी.सी. चाको की अध्यक्षता में किया गया था।
- लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति मिलकर इसका गठन करते हैं।
- J.P.C. का कोई कार्यकाल नहीं।
- J.P.C. की सदस्य संख्या निर्धारित नहीं है।
संसद के अधिवेशन
- अनु. 100 में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि एक वर्ष में दो सत्र होने अनिवार्य हैं। क्योंकि दो अधिवेशनों के बीच छः माह से अधिक का अन्तराल नहीं हो सकता।
- अनु. 100 में ही यह भी उल्लेखित है कि गणपूर्ति (कोरम) सदन की कुल सदस्य संख्या का 1/10 होगा।
नोट:- इस सूत्र के आधार पर लोकसभा में 55 तथा राज्यसभा में 25 गणपूर्ति होती है।
- संसद के अधिवेशन राष्ट्रपति बुलाते हैं।
- राष्ट्रपति संसद को संबोधित करते हैं, उसे सन्देश भेज सकते हैं तथा सत्रावसान करते हैं।
- एक वर्ष में संसद के सामान्यतः तीन सत्र होते हैं |
1. बजट सत्र/बजट अधिवेशन (फरवरी से मई तक)।
- (a) अवधि के हिसाब से यह सबसे बड़ा सत्र है।
- (b) राष्ट्रपति इसे अनिवार्य रूप से संबोधित करते हैं।
- (c) ये एकमात्र ऐसा सत्र हैं जो हमेशा दो चरणों में होता है।
2.मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त तक)।
3.शीतकालीन सत्र (दिसम्बर)।
संसद के कार्य
- कानूनों का निर्माण करना।
- विधेयक रखने के दो प्रकार होते हैं –
- 1. सरकारी विधेयक – यह किसी मंत्री के द्वारा रखा जाता है।
- 2. गैर सरकारी किसी भी अन्य सांसद के द्वारा रखा जाता है।
विधेयक में निहित तत्वों के आधार पर बिल 3 प्रकार का होता है –
सामान्य विधेयक (विशेष बहुमत से पारित)
- इस प्रकार के विधेयक किसी भी सदन में रखे जा सकते हैं।
- इन विधेयकों का दोनों सदनों से पारित होना अनिवार्य है। (अनु. 108 के अनुसार)
- अनु. 108 के अनुसार संयुक्त अधिवेशन में कोई भी प्रस्ताव उपस्थित व मतदान करने वालों के बहुमत से पारित किया जायेगा। (सामान्य बहुमत)
- अनु. 118 के तहत लोकसभा अध्यक्ष संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करता है।
- संयुक्त अधिवेशन – सामान्य बहुमत से पारित (50% +1)।
नोट – इन नियमों के तहत यदि लोकसभा अध्यक्ष अपने पद पर नहीं है तो लोकसभा उपाध्यक्ष तथा यदि वह भी पद नहीं है तो राज्यसभा के उपसभापति संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करेंगे।
- इस बात का उल्लेख संविधान के किसी भी अनुच्छेद में नहीं है।
- भारत में अब तक तीन बार संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा चुका है।
- 1961 (दहेज निरोधक अधिनियम)
- 1978 (बैंकिंग अधिनियम)
- 2002 (आतंकवाद निरोधक अधिनियम / POTA)
Trick – DBA
नोट – अटल बिहारी वाजपेयी एकमात्र व्यक्ति हैं जो तीनों संयुक्त अधिवेशनों में शामिल रहे।
वित्त विधेयक (विशेष बहुमत से)
- इस विधेयक को भी किसी भी सदन में रखा जा सकता है।
- इस विधेयक को भी दोनों सदनों से पारित होना अनिवार्य है।
- वित्त विधेयक पर भी संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा सकता है।
- धन विधेयक वित्त विधेयक का भाग होता है।
नोट :- धन विधेयक तथा संविधान संशोधन विधेयक पर कभी भी संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता है।
नोट :- अनु. 111 में स्पष्ट उल्लेखित है कि राष्ट्रपति धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकते हैं, लेकिन इस प्रकार के विधेयक पर भी पॉकेट वीटो का इस्तेमाल किया जा सकता है।
संविधान संशोधन विधेयक
तीन प्रकार से संशोधन-
- (i) सामान्य बहुमत से
- (ii) विशेष बहुमत से
- (iii) विशेष + आधे राज्यों से अधिक मंत्री
अनु. 38 में सिर्फ 2 प्रकार से –
- (i) संविधान संशोधन विधेयक किसी भी सदन में रखा जा सकता है।
- (ii) दोनों संविधान से इस विधेयक को पारित होना अनिवार्य है। इस प्रकार के विधेयकों पर कभी भी संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाये जाते हैं।
बजट पारित करना
- बजट बनाना कार्यपालिका का कार्य है जबकि व्यवस्थापिका बजट को पारित करती हैं।
- अनु. 265 में यह उल्लेखित है कि संसद की अनुमति के बिना कोई भी कर नहीं लगया जा सकता हैं।
- अनु. 266 उल्लेख हैं। में संचित निधि तथा लोक निधि का
- अनु. 267 – में आकस्मिक निधि का उल्लेख हैं।
नोट :- संविधान में ‘बजट के लिए बजट शब्द का उल्लेख नहीं हैं।
- अनु. 112 में बजट को ‘वार्षिक वित्तीय -कविवरण कहा गया हैं।
- बजट फरवरी माह के अन्तिम कार्य दिवस को रखा जाता है, जबकि 1 अप्रैल से वित्तीय वर्ष प्रारम्भ होता हैं।
- अनु. 116 में लेखा अनुदान का उल्लेख हैं।
- 1 अप्रैल से बजट प्रक्रिया पूर्ण होने तक संसद में बिना किसी बहस के सरकार को दिया गया अग्रिम अनुदान, लेखा अनुदान कहलाता हैं।
- मार्च के महीने में Rule of the Lapse बिना सोचे-विचारे सरकार द्वारा धन खर्च करने की प्रवृत्ति March Rush कहलाती है।
कटौती प्रस्ताव
ये प्रस्ताव केवल लोकसभा में लाये जाते हैं।
कटौती प्रस्ताव 3 प्रकार के होते हैं-
(i) सांकेतिक कटौती
- सरकार द्वारा माँगे गये धन में 100 रु. की कमी करने के लिए लाया गया प्रस्ताव।
(ii) मितव्ययता कटौती
- सरकार द्वारा माँगे गये धन में एक निश्चित मात्रा में कटौती करने हेतु लाया गया प्रस्ताव मितव्ययता कटौती कहलाती है।
(iii) नीति कटौती –
- पूरी नीति के खराब होने के कारण केवल 1 रुपया दिये जाने हेतु ये प्रस्ताव लाया जाता है।
गिलोटीन
संसद में बजट सत्र के अन्तिम दिनों में बजट की माँगों पर गंभीरता से विचार विमर्श न कर बिना बहस के ही बजट को पारित करने की प्रवृत्ति गिलोटीन कहलाती है।
नोट :- अनु. 112 में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय का उल्लेख है।
इसके अंतर्गत निम्न बातें शामिल हैं
- राष्ट्रपति
- राज्यसभा के सभापति व उपसभापति
- लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन
- CAG
- भारत सरकार का उधार
निर्वाचन संबंधी कार्य
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करना।
पदाधिकारियों को हटाने संबंधी कार्य
- राष्ट्रपति को हटाने संबंधी (महाभियोग)।
- उपराष्ट्रपति को हटाना (राज्यसभा द्वारा पहल करना)।
- सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों . को हटाना।
- नियंत्रक व महालेखा परीक्षक को हटाना।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हटाना।
संसदीय प्रक्रिया
1. प्रश्नकाल
- संसद की बैठक का पहला घंटा प्रश्नकाल कहलाता है।
- इसमें तीन प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
A. तारांकित प्रश्न –
- इन पर तारा (*) अंकित होता है, ये मौखिक प्रकार के प्रश्न होते हैं, इनके जवाब भी मौखिक दिये जाते हैं तथा इन पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इसके अन्तर्गत 20 प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- 15 दिन पहले इस बात की सूचना दी जाती है कि मैं प्रश्न पूछना चाहता हूँ।
B. अतारांकित प्रश्न-
- इन पर तारा अंकित नहीं होता है। ये लिखित प्रश्न होते हैं, लिखित जवाब दिये जाते है तथा इन पर अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं।
- इनके प्रश्नों की संख्या – 230
- इनमें अधिक से अधिक 25 प्रश्न और जोड़े जा सकते हैं।
- जो राष्ट्रपति शासन वाले राज्यों से संबंधित हों।
C. अल्प सूचना वाले प्रश्न
- कम अवधि वाले प्रश्न होते हैं।
- ये 10 दिन से ये लिखित व मौखिक दोनों हो सकते हैं।
- सदन के अध्यक्ष द्वारा अनुमति देने पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
2. शून्यकाल
- नोट – संसदीय नियमों व प्रक्रिया में उल्लेख नहीं है।
- प्रश्नकाल के ठीक बाद किसी भी सांसद द्वारा किसी भी मंत्री से बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी प्रकार का सवाल पूछना शून्यकाल कहलाता है।
- यह केवल भारत में ही प्रचलित है।
स्थगन प्रस्ताव / काम रोको प्रस्ताव
- इसके अन्तर्गत सदन की चल रही कार्यवाही को रोककर किसी एक मुद्दे की ओर सदन का ध्यान आकर्षण करने हेतु इसे लाया जाता है।
- लाने के लिए कम-से-कम 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
- सदन की चल रही कार्यवाही को रोककर किसी एक मुद्दे की ओर मंत्री विशेष का ध्यान आकर्षित करने हेतु यह प्रस्ताव लाया जाता है। (50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक)
- इसकी शुरूआत 1954 में हुई
विश्वास/अविश्वास प्रस्ताव
- ये दोनों प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाये जाते हैं।
- अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु कम-से-कम 50 निर्वाचित सदस्यों का समर्थन होना आवश्यक है।
- प्रस्ताव के पारित हो जाने पर सरकार को इस्तीफा देना होता है।
- अगर पारित नहीं होता है तो अगले 6 माह तक वापस नहीं लाया जा सकता है।
- नोट अब तक 28 बार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है।
- इनमें से 15 बार इंदिरा गाँधी के विरूद्ध लाया गया है।
- पहली बार अविश्वास प्रस्ताव 1963 में पं. जवाहर लाल नेहरू के विरूद्ध ‘आचार्य जे. बी. कृपलानी’ ने लाया था।
- अन्तिम बार अविश्वास प्रस्ताव 2008 में मनमोहन सरकार के विरूद्ध लाया गया था।
निन्दा प्रस्ताव
- यह केवल लोकसभा में ही लाया जाता है।
- यह पारित होने पर यह माना जायेगा कि सरकार लोकसभा में अपना बहुमत खो चुकी है।
- महासचिव:- लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में यह पदाधिकारी होता है।
- यह भारतीय सचिवालय सेवा का अधिकारी होता है।
- लोकसभा अध्यक्ष द्वारा लोकसभा में तथा राज्यसभा के सभापति द्वारा राज्यसभा में इनकी नियुक्ति की जाती है।
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में ये बारी-बारी से पीठासीन अधिकारी होते हैं।
नोट – धन विधेयक / कटौती प्रस्ताव / निंदा प्रस्ताव -केवल लोकसभा में।
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
भारतीय सविधान Group C and D
राज्य सरकार
पंचायती राज
जिला परिषद
शहरी स्थानीय स्वशासन
चुनाव आयोग
संघ लोक सेवा आयोग
कन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण
नियन्त्रण एंव महालेखा परिक्षिक
C.B.I. ( सी.बी.आई. )
केन्द्रीय सतर्कता आयोग
लोकायुक्त
लोकपाल
Haryana CET for C & D { All Haryana Exam }
सामान्य अध्ययन Group C and D
Haryana General Knowledge
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Haryana Topic Wise
Haryana Common Entrance Test GROUP C & D
अंग्रेजी
हिन्दी
Haryana CET Mock Exam Phase Group C and D
Haryana GK PDF for Group C and D
This section provide General Knowledge/ General Studies Question that may be useful for General Awareness part of Prelims Examination of Haryana State Civil Services exams, Haryana CET, HSSC Clerk, Haryana Police, Haryana Patwari, Haryana Gram Sachiv, HSSC Haryana Police Constable, HSSC Canal Patwari, HSSC Staff Nurse, HSSC TGT, HSSC PGT, Haryana Police Commando, HSSC SI & Various Other Competitive Exams.
