प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद् { Prime Minister and Council of Ministers }

  • पं. नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे। वे कुल 17 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे। वे देश के पहले विदेश मंत्री भी थे। वे 17 वर्षों तक विदेश मंत्री भी रहे।
  • पं. नेहरू को पंचवर्षीय योजनाओं, पंचायती राज लोक उद्यमों, पंचशील तथा भारत की विदेश नीति का जनक कहा जाता है।

नोट-

  • पं. नेहरू ने ही लोक उद्यमों तथा बाँधों को आधुनिक भारत के मंदिर की संज्ञा दी।

नोट :-

  • 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया। उस समय वी. के. कृष्णा मेनन देश के रक्षा मंत्री थे।

नोट –

  • राष्ट्रपति – सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।
अनु. 74
  •  राष्ट्रपति को सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा।

नोट :-

  • अनु. 74 में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद् के परामर्श पर कार्य करेगा। 44वें संविधान संशोधन द्वारा अनु. 74 में ये प्रावधान भी किया गया है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के परामर्श को एक बार पुनः विचार के लिए लौटा सकते हैं।
अनु. 75 –
  • राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा।
  • प्रधानंमत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा और उन्हें शपथ दिलाएगा।
  • मंत्री हमेशा पद व गोपनीयता की शपथ लेता है।
अनु. 75 –
  • राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा।
  • प्रधानंमत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा और उन्हें शपथ दिलाएगा। 
  • मंत्री हमेशा पद व गोपनीयता की शपथ लेता है।
अनु. 75 (3) –
  • में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होगी।
  • सभी मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
  • वे राष्ट्रपति को संबोधित करके ही इस्तीफा देते हैं।
अनु. 88 –
  • में यह उल्लेखित है कि मंत्री चाहे किसी भी सदन का सदस्य हो, वह दोनों सदनों की बैठकों में भाग ले सकता है। उसे संबोधित कर सकता है लेकिन मत उसी सदन में देगा जिस सदन का वह सदस्य हैं।
  • मंत्री के लिए संसद का सदस्य होना अनिवार्य है। यदि वह सदस्य नहीं है तो उन्हें 6 माह में सदस्यता हासिल करनी होती है।

नोट –

  • मनोनीत सदस्य भी मंत्री बनाए जा सकते हैं हालाँकि अब तक किसी को नहीं बनाया गया है।
अनु. 88
  • में यह भी प्रावधान है कि मंत्रिपरिषद् में अधिकतम सदस्य संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या का 15% हो सकती है। जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल है।

मंत्रिपरिषद् में चार स्तर के मंत्री होते हैं-

1. कैबिनेट मंत्री –
  • ये किसी मंत्रालय या विभाग के
  • प्रमुख होते हैं। अपने विभाग से संबंधित सभी निर्णय स्वयं लेते हैं तथा अपने विभाग से संबंधित सभी कार्यों के लिए वे ही उत्तरदायी होते हैं।
  • कैबिनेट मंत्रियों के समूह को ही मंत्रिमण्डल या कैबिनेट कहा जाता है।

नोट:- मूल संविधान में इस शब्द का उल्लेख नहीं था। वर्तमान में 352 में है।

2. राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  • इनका दर्जा तो राज्य मंत्री का ही होता है, लेकिन ये अपने विभाग के प्रमुख होते हैं। इस कारण से ये किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन नहीं होते हैं।
3. राज्यमंत्री राज्य मंत्रियों की दो श्रेणियाँ होती हैं ये किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन होते हैं। इनका मुख्य कार्य अपने कैबिनेट मंत्री को सहायता करना है।
4. उपमंत्री इनका दर्जा सबसे नीचे होता है। इनका कार्य अन्य मंत्रियों की सहायता करना है।

 

नोट- इन चारों स्तर के मंत्रियों के समूह को मंत्रिपरिषद् कहा जाता है। मंत्रिमण्डल मंत्रिपरिषद् का भाग है।

संसदीय सचिव

यह संसद का ही सदस्य होता है। इनका कार्य मंत्रियों की सहायता करना है। इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। ये मंत्रिपरिषद् का भाग नहीं होते क्योंकि

1. इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है।

2. प्रधानमंत्री इन्हें शपथ दिलाते हैं।

3. ये प्रधानमंत्री के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं।

नोट :- संविधान में ‘कार्यवाहक प्रधानमंत्री’ पद का उल्लेख नहीं है।

  • 1964 में गुलजारी लाल नन्दा कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने।
  • नन्दा कुल 2 बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। 1964-1966 तक लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री रहते हैं। 1965 में ‘कच्छ कारण क्षेत्र को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध हुआ। 
  • अयूब खान उस समय पाक के राष्ट्रपति थे।
  • जनवरी 1966 में भारत-पाक में सोवियत संघ के तत्कालीन राष्ट्रपति कोर्सिगिन की मध्यस्थता में ‘ताशकंद (उज्बेकिस्तान)’ समझौता हुआ था।

नोट – शास्त्री देश के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जिनका निधन विदेशी धरती पर हुआ।

  • शास्त्री पहले व्यक्ति हैं जिनको मरणोपरान्त भारत रत्न प्राप्त हुआ था।
  • 1966-1977 तथा 1979-1984 लगभग 16 वर्ष तक इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री रही।
  • 1969 में इंदिरा सरकार द्वारा 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाता है।
  • अप्रैल 1972 में भारत व पाक के बीच ‘शिमला समझौता’ होता है। उस समय ‘जुल्फिकार अली भुट्टो’ पाक के राष्ट्रपति थे।
  • 12 June 1975 को राजनारायण v/s UP राज्य के मामले में इंदिरा गाँधी का चुनाव अवैध घोषित कर दिया गया। (इन्दिरा का वकील नानी पालकीवाला)
  • 25 जून की रात्रि में आंतरिक असंतोष के आधार पर आपात काल लगाया गया।
  • 42 वाँ संविधान संशोधन इसे ‘लघु संविधान’ तथा ‘इंदिरा संविधान’ भी कहा जाता हैं। इस संशोधन के द्वारा संविधान के 58 अनुच्छेदों में परिवर्तन किया गया। इस कारण से इसे सबसे बड़ा संशोधन भी कहा जाता है।
  • इसके द्वारा संविधान में भाग 4 (A) तथा अनु. 51 (A)  जोड़ते हुए मूल कर्तव्यों का प्रावधान किया गया।
  • जनवरी 1980 में इंदिरा गाँधी पुनः प्रधानमंत्री बनती हैं।
  • 1983 में दिल्ली में गुट निरपेक्ष राष्ट्रों का सातवाँ सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया जाता है।
  • अप्रैल 1984 में सियाचीन की पुनः प्राप्ति हेतु भारतीय फौज द्वारा ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाया जाता है।

नोट  31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गाँधी की हत्या।

  • महासभा को हिन्दी में संबोधित करने वाले पहले व्यक्ति अटल बिहारी वाजपेयी ही हैं।
  • चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में 1979 में दूसरी गठबन्धन सरकार बनी।
  • पहली मोरार जी देसाई के समय मार्च 1977 में।
  • तीसरी 1989 में वी. पी. के नेतृत्व में।
  • चौथी 1990 में चन्द्रशेखर के नेतृत्व में।

नोट – चरण सिंह देश के एक मात्र प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में लोकसभा का एक बार भी सामना नहीं किया।

  • 31 अक्टूबर, 1984 को राजीव गाँधी देश के नये प्रधानमंत्री बनते हैं। राजीव गाँधी को भारत का सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री कहा जाता है।
  • 1987 में राजीव जयवर्द्धने समझौता हुआ। इस समझौते के तहत भारतीय शांति-सेना श्रीलंका के LTTE आतंकवादी के विरूद्ध कार्यवाही के लिए श्रीलंका पहुँची।

यहाँ भारतीय सेना द्वारा दो ऑपरेशन चलाये गये –

  1. LTTE आतंकवादियों के विरूद्ध ऑपरेशन पवन तथा,
  2. जाफना में तमिलों की सहायता हेतु ऑपरेशन पुरलाई चलाया गया।
  • LTTE आतंकवादियों से मालदीव को छुड़वाने हेतु 1988 में ऑपरेशन कैक्टस चलाया गया।
  • 1989 में पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने हेतु 64 वाँ संविधान संशोधन विधेयक लाया गया। इस विधेयक के कारण राजीव गाँधी को आधुनिक पंचायती राज का जनक कहा जाता है।
  • 1991 से 1996 तक पी. वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री रहते हैं।

नोट – 21 मई, 1991 को राजीव गाँधी की हत्या कर दी जाती है।

  • अटल बिहारी वाजपेयी लगभग 6 वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री रहते हैं।
  • 1996 में वाजपेयी पहली बार केवल 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री रहते हैं।

नोट – चौधरी चरण सिंह का कार्यकाल सबसे छोटा रहा।

  • जुलाई 2001 में वाजपेयी और पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच आगरा शिखर वार्ता हुई।
  • 1996 से 1998 के बीच H.D. देवगौड़ा तथा इन्द्र कुमार गुजराल देश के प्रधानमंत्री होते हैं।
  • 1996-1997 के बीच विदेश मंत्री के रूप में इन्द्रकुमार गुजराल द्वारा पड़ोसी राष्ट्रों के साथ पहल करके सम्बन्ध बनाने की जो नीति अपनायी उसे गुजराल सिद्धान्त’ कहा जाता है।
  • 2004-2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बनते हैं।
  • 93 वाँ संविधान संशोधन के द्वारा अनु. 15 (5) के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था की गई।

नोट- 25 दिसम्बर को वाजपेयी का जन्म दिवस है। इसे ‘गुड गवर्नेस डे ‘अच्छा अधिशासन’ के रूप में मनाया जाता है। 

सूचना का अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर, 2005

नरेगा-2 फरवरी, 2006

घरेलू हिंसा कानून-26 अक्टूबर, 2006 को लागू हुआ।

  • 26 मई, 2014 से अब तक नरेन्द्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री हैं।

राजनीतिक दल (भाजपा)।

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री 

कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

प्रधानमंत्री कौन है?
  • संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है। भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह लोकसभा में बहुमत वाली राजनीतिक पार्टी का नेता होता है। प्रधानमंत्री देश में सर्वोच्च कार्यकारी पद पर होता है। वह सरकार का नेतृत्व करता है, नीतिगत निर्णय लेता है और कानून और कार्यक्रमों को लागू करता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करता है। वह देश के शासन और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति
  • संसदीय परम्पराओं के अनुसार राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।
  • प्रधानमंत्री के चयन और नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं है।
  • अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य
  • राष्ट्रपति को सलाह देना: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों जैसे कि CAG, UPSC के अध्यक्ष, चुनाव आयुक्तों आदि की नियुक्ति या इस्तीफे के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
  • विभागों का आवंटन: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के विभागों के स्थान निर्धारण और फेरबदल के लिए जिम्मेदार होता है।
  • मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच संचार चैनल के रूप में कार्य करना: वह प्रशासनिक मामलों से संबंधित जानकारी राष्ट्रपति तक पहुंचाता है।
  • अध्यक्ष के रूप में कार्य: प्रधानमंत्री विभिन्न परिषदों जैसे नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी), अंतर्राज्यीय परिषद (आईएससी) और राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
  • प्रधान के रूप में कार्य करना: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है और संसद के सदनों में सरकारी नीतियों की घोषणा करता है।
  • अन्य कार्य: विदेश नीतियों को आकार देना, पार्टी का नेता, राजनीतिक प्रमुख आदि।
प्रधानमंत्री पद की पात्रता
  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • शपथ लेने के समय उन्हें राज्य सभा या लोक सभा का सदस्य होना चाहिए अथवा नियुक्ति के छह महीने के भीतर किसी भी सदन का सदस्य होना चाहिए।
  • यदि वह राज्यसभा का सदस्य है तो उसकी आयु 30 वर्ष होनी चाहिए, लेकिन यदि वह लोकसभा का सदस्य है तो उसकी आयु 25 वर्ष हो सकती है।
प्रधानमंत्री से संबंधित अनुच्छेद 

भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद

अनुच्छेद

विवरण

अनुच्छेद 74

यह विधेयक राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद की शक्ति से संबंधित है। यह सलाह न्यायालय की समीक्षा के अधीन नहीं है।

अनुच्छेद 75

  • प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • मंत्री राष्ट्रपति की इच्छानुसार कार्य करते हैं।
  • मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं और सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

अनुच्छेद 77

  • राष्ट्रपति की ओर से कार्यकारी कार्यवाहियाँ।
  • राष्ट्रपति सरकार के लिए नियम बनाता है।

अनुच्छेद 78

  • प्रधानमंत्री के कर्तव्य: मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच संचार संपर्क।
  • नियुक्तियों पर राष्ट्रपति को सलाह देता है।
भारतीय प्रधानमंत्रियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
  • 1947 में स्वतंत्रता के बाद से भारत में 19 प्रधानमंत्री हुए हैं।
  • सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले जवाहरलाल नेहरू थे। उन्होंने 17 साल और 286 दिन तक सेवा की।
  • सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति चरण सिंह थे, जो 208 दिनों तक प्रधानमंत्री रहे।
  • इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने दो कार्यकालों में कुल 16 साल तक पद संभाला।
  • राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे। जब उन्होंने पदभार संभाला तब उनकी उम्र 40 वर्ष थी।
  • नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। वे 2014 से इस पद पर हैं।
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने 9 जून, 2024 को शपथ ली। वर्तमान मंत्रिपरिषद में प्रधान मंत्री, 30 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं।
क्या होती है मंत्रिपरिषद

संवैधानिक प्रावधान 

  • अनुच्छेद 74 : राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
    • राष्ट्रपति मंत्रि-परिषद से ऐसी सलाह पर साधारणतया या अन्यथा पुनर्विचार करने की अपेक्षा कर सकता है और राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के पश्चात्‌ दी गई सलाह के अनुसार ही कार्य करता है।
    • मंत्रिपरिषद् द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह पर किसी न्यायालय में जांच नहीं की जा सकती है।
  • अनुच्छेद 75 : 
    • मंत्रियों की नियुक्ति : अनुच्छेद 75 (1) के अनुसार, प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों को प्रधान मंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
    • कार्यालय की अवधि : अनुच्छेद 75 (2) के अनुसार, मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करते हैं।
    • सामूहिक उत्तरदायित्व : अनुच्छेद 75 (3) में यह प्रावधान है कि, मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
    • वेतन एवं भत्ते : अनुच्छेद 75 (6) के अनुसार,  मंत्रियों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
मंत्रिपरिषद की संरचना
  • मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री, राज्य मंत्री या उप मंत्री शामिल होते हैं।
    • मंत्री को लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना चाहिए और यदि वह संसद का सदस्य नहीं है, तो अपनी नियुक्ति के छह महीने के भीतर सदस्य बन जाना चाहिए।
  • कैबिनेट मंत्री : जो सांसद सबसे अनुभवी होते हैं, उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाता है।
    • कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। उन्हें जो मंत्रालय दिया जाता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी होती है। 
    • कैबिनेट मंत्री के पास एक से अधिक मंत्रालय भी हो सकते हैं। 
    • कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट मंत्री का शामिल होना अनिवार्य होता है। सरकार अपने सभी फैसले कैबिनेट की बैठक में लेती है।
  • राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)कैबिनेट मंत्री के बाद राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का नंबर आता है। ये भी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं।
    • मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी इनकी होती है। स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री कैबिनेट मंत्री के प्रति उत्तरदायी नहीं होते हैं, लेकिन ये कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं।
  • राज्यमंत्री : राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्रियों के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। ये प्रधानमंत्री को नहीं, बल्कि कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं।
    • एक कैबिनेट मंत्री के अधीनस्थ एक या दो राज्यमंत्री बनाए जाते हैं, जो कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में काम करते हैं।
    • कैबिनेट मंत्री की अनुपस्थिति में मंत्रालय का सारा काम-काज सँभालते हैं।
मंत्रिपरिषद की भूमिका और जिम्मेदारी
  • सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण : मंत्रिपरिषद आर्थिक नीतियों, रक्षा, विदेशी मामलों और आंतरिक सुरक्षा सहित विभिन्न मुद्दों पर कार्यकारी निर्णय लेती है।
  • सरकार की नीति बनाने वाली मुख्य संस्था : मंत्रिपरिषद देश के लिए नीतियां और कार्यक्रम तैयार करने के लिए जिम्मेदार है।
    • यह राष्ट्र को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा, विचार-विमर्श और निर्णय लेती है।
  • सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकरण : प्रत्येक मंत्री उसे सौंपे गए विभाग के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है।
    • वह सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करताहै।
  • केंद्र सरकार का मुख्य समन्वयक : प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति के कार्यों में सहायता और सलाह देती है।
    • राष्ट्रपति अपने कार्यों के अभ्यास में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करता है। 
  • विधि निर्माण : मंत्रिपरिषद विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मंत्री विधेयक पेश करते हैं, बहस में भाग लेते हैं और संसद में कानूनों का पारित होना सुनिश्चित करते हैं।
  • बजट एवं वित्तीय मामले : मंत्रिपरिषद केंद्रीय बजट तैयार करती है और सदन में प्रस्तुत करती है, जिसमें वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के राजस्व और व्यय की रूपरेखा होती है। 
  • विदेश नीति : मंत्रिपरिषद सरकार की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, जो आवश्यक निर्देश देकर भारत के विदेशी संबंधों की दिशा निर्धारित करती है।
किचन कैबिनेट या आंतरिक कैबिनेट
  • मंत्रिपरिषद के एक छोटे और अनौपचारिक निकाय को किचन कैबिनेट या आंतरिक कैबिनेट के रूप से संबोधित किया जाता है। इसमें प्रधान मंत्री और उसके कुछ प्रभावशाली सहयोगी ही शामिल होते हैं। 
  • इसमें मत्रिपरिषद के बाहर से प्रधानमंत्री के विश्वासपात्र व्यक्ति भी शामिल हो सकते हैं।  

गुण 

  • यह एक छोटी इकाई होती है अतः एक बड़े मंत्रिमंडल की तुलना में अधिक कुशलता से निर्णय लिए जा सकते हैं। 
  • यह एक बड़े मंत्रिमंडल की तुलना में अधिक बार और शीघ्र बैठक आयोजित कर सकते हैं तथा कार्यों को अधिक तेजी से निपटा सकते हैं।
  • नीतिगत निर्णयों में गोपनीयता बनाए रखने में अधिक मदद मिलती है। 

दोष

  • सम्पूर्ण मत्रिपरिषद के अधिकार हतोत्साहित होते हैं और निर्णय लेने की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया सिमित होती है। 
  • चूँकि इसमें मंत्रिपरिषद के बाहर के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं, जिससे संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया बाधित हो सकती है। 
मंत्रिपरिषद के विस्तार में संवैधानिक सीमा 
  • स्वतंत्रता के समय पहली मंत्रिपरिषद में प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में केवल 15 मंत्री थे।
  • 1952 में पहले आम चुनाव के बाद, प्रधान मंत्री नेहरू ने लगभग 30 मंत्रियों को अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल किया था।
  • समय के साथ मंत्रिपरिषद का आकार धीरे-धीरे बढ़कर 50-60 सदस्यों तक पहुंच गया। 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उनकी मंत्रिपरिषद में 74 मंत्री थे। 
  • न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग (2000) ने केंद्र/राज्य स्तर पर मंत्रियों की संख्या के लिए लोकसभा/विधानसभा की कुल संख्या का 10% की सीमा का सुझाव दिया।
  • 91वां संवैधानिक संशोधन (2003) ने प्रधान मंत्री/मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या को लोकसभा/राज्य विधान सभा की कुल ताकत के 15% तक सीमित कर दिया।
    • केंद्रीय स्तर पर कोई न्यूनतम आवश्यकता नहीं है, लेकिन छोटे राज्यों में कम से कम 12 मंत्री होने चाहिए।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लिए, अधिकतम सीमा इसकी विधानसभा की कुल ताकत का 10% है।
मंत्रिपरिषद से जुड़ी विसंगतियां 
  • संसदीय सचिवों की नियुक्ति: राज्य 91वें संशोधन द्वारा लगाई गई मंत्रियों की संख्या की सीमा को दरकिनार करने के लिए संसदीय सचिवों (PS) की नियुक्ति करते हैं।
      • संसदीय सचिव का कार्यालय ब्रिटिश प्रणाली से उत्पन्न हुआ है। यह पद पहली बार 1951 में बनाया गया था।
      • केंद्र सरकार में 1990 के बाद से संसदीय सचिव पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है।
  • संसदीय सचिव के संबंध में न्यायिक हस्तक्षेप
      • पंजाब और हरियाणा, राजस्थान, बॉम्बे, कलकत्ता, तेलंगाना, कर्नाटक आदि के उच्च न्यायालयों ने अप्रत्यक्ष रूप से मंत्रिपरिषद पर अधिकतम सीमा का उल्लंघन करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र के तहत राज्यों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर किया है या उस पर सवाल उठाया है। 
      • जुलाई 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति के लिए असम सरकार द्वारा 2004 में पारित कानून को असंवैधानिक घोषित किया है।
      • जनवरी 2024 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में है राज्य में नियुक्त छह संसदीय सचिवों को मंत्री के रूप में कार्य करने या मंत्रियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने से रोक दिया था।
  • कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं 
      • भारत में, मंत्री की विधिक जिम्मेदारी की व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि सार्वजनिक कार्य के लिए राष्ट्रपति के आदेश को किसी मंत्री द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाए।
      • इसके विपरीत ब्रिटेन में, किसी भी सार्वजनिक कार्य के लिए राजा के आदेश को संबंधित मंत्री द्वारा प्रतिहस्ताक्षर किया जाता है।

भारतीय सविधान Group C and D

राज्य सरकार

पंचायती राज

जिला परिषद

शहरी स्थानीय स्वशासन

चुनाव आयोग

संघ लोक सेवा आयोग

कन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण

नियन्त्रण एंव महालेखा परिक्षिक

C.B.I. ( सी.बी.आई. )

केन्द्रीय सतर्कता आयोग

लोकायुक्त

लोकपाल

Haryana CET for C & D { All Haryana Exam }

सामान्य अध्ययन Group C and D

Haryana General Knowledge

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Haryana Common Entrance Test GROUP C & D

सामान्य विज्ञान

कम्प्यूटर

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हिन्दी

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