Adjustments Concept

समायोजन (Adjustment) क्या है ?

Trial Balance से बाहर दिये गए सूचनाओं को समायोजन (Adjustment) कहा जाता हैं।

दूसरे शब्दों में, हम ऐसे भी कह सकते हैं कि बाहर में अवस्थित वह सुचना जिसे Final Account में शामिल किया जाता है उसे समायोजन (Adjustment) कहा जाता है। Adjustment का लेखा दो जगह होता है ।

समायोजना का उदाहरण :

व्यापारी 31 दिसंबर को अंतिम खाते तैयार करता है। एक कर्मचारी का दिसंबर माह का वेतन 1,500 रु. 5 जनवरी को चुकाया गया। अतः 31 दिसंबर को समाप्त होने वाले

वर्ष के लाभ-हानि खाते में इस व्यय को दिखाना होगा क्योंकि यह अदत्त व्यय उसी उसी अवधि से संबंधित है, न कि अगले वर्ष से।

समायोजना की विशेषताएँ :

  • सभी समायोजनाएँ दो खातों को प्रभावित करती है।
  • समायोजन तलपट के बाहर दिये होते हैं।
  • समायोजन प्रविष्टियाँ रोकड़ खाते को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करती हैं।
  • यदि समायोजन तल का कोई मद तलपट में दिया हो तो इसे सिर्फ स्थिति-विवरण में दिखाया जायेगा। क्रेडिट शेष को दायित्व भाग में और डेबिट शेष को सम्पत्ति भाग में।

समायोजन (Adjustment) की आवश्यकता एवं उदेश्य क्या है ?

समायोजन प्रविष्टियों की निम्नलिखित आवश्यकता एवं उद्देश्य है :

  • सही लाभ-हानि का पता लगाना।
  • व्यवसाय की सही आर्थिक स्थिति का पता लगाना।
  • बहियों में लेखा नहीं किया गया हो तो उसे करना।
  • पुस्तकों में मिली अशुद्धियों को दूर करना।
  • अपूर्ण लेन-देनों को पूर्ण करना।
  • समस्त आयों, चाहे प्राप्त हुई हो अथवा होनी हों, को शामिल करना।
  • समस्त व्ययों, चाहे उनका भुगतान हुआ हो अथवा करने हों, को शामिल करना।

महत्वपूर्ण समायोजनाएँ क्या है ?

महत्वपूर्ण समायोजनाएँ निम्नलिखित है :

  1. अंतिम रहतिया (Closing Stock)
  2. अदत्त व्यय (Outstanding Expenses)
  3. पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expense)
  4. ह्रास (Depreciation)
  5. पूंजी पर ब्याज (Interest On Capital)
  6. आहरण पर ब्याज (Interest On Drawing )
  7. ऋण पर ब्याज (Interest On Loan)
  8. उपार्जित आय (Accrued Income)
  9. अनुपार्जित आय (Unearned Income)
  10. ऋण पर ब्याज (Interest On Loan )
  11. बैंक ऋण पर ब्याज ( Interest On Bank Loan)
  12. आहरण पर ब्याज ( Interest On Drawing)
  13. निकृष्ट ऋणों के लिए संचिति (Reserve For Bad Debts)
  14. विनियोग पर ब्याज (Interest On Investment)

Closing Stock के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

वर्ष के अंत में जो वस्तुएं शेष बची रहती है उसे Closing Stock (अंतिम रहितिया)कहा जाता है।

इसका मूल्यांकन लागत या बाजार मूल्य, दोनों में जो कम हो, उस पर किया जाता है।

समायोजन लेखा :-

इसे Trading Account के Credit Side में तथा Balance Sheet के Current Assets में लिखा जाता है।

अंतिम स्टॉक का तलपट में दिया रहना – यदि तलपट में अंतिम स्टॉक दिया हो तो इसका लेखा सिर्फ आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में करेंगे, इसे व्यापार खाते के क्रेडिट खाते के पक्ष में नहीं दिखायेंगे।

अंतिम स्टॉक का समायोजन प्रविष्टिया – अंतिम स्टॉक के लिए जर्नल में निम्नलिखित समायोजन प्रविष्टि की जाती है :

Closing Stock A/cDr.
To Trading A/c

Depreciation के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

सम्पतियों के मुल्य में धीरे-धीरे जो कमी होती हैं उसे Depreciation (ह्रास ) कहा जाता है।

सम्पत्ति के प्रयोग होने के कारण अथवा उसकी टूट-फुट, घिसावट या समय व्यतीत होने आदि के कारण वर्ष के अंत में उसके मूल्य में जो कमी हो जाती है, उसे ही ह्रास कहा जाता है। कभी-कभी मूल्य में परिवर्तन व आविष्कार के कारण भी मूल्य में कमी होती है। प्रायः स्थायी सम्पत्तियों के लिए ह्रास का प्रावधान करना पड़ता है। साधारणतया एक निश्चित प्रतिशत से ह्रास का आगणन किया जाता है।

ह्रास की गणना (Calculation Of Depreciation )

 

ह्रास एक निश्चित दर से सम्पत्ति के पुस्तकीय मूल्य पर प्रयोग की अवधि के लिए लगाया जाता है।

 

Depreciation = Cost Of Assets * Rate / 100

यदि यह दिया गया हो कि ह्रास की गणना समय अवधि को ध्यान में रखते हुए की जायेगी।

 

Depreciation = Cost Of Assets * Rate * Months/ 100

समायोजन लेखा :-

इसे Fixed Assets में से घटाया जाता है तथा Profit And Loss A/c के Credit Side में लिखा जाता है।

Depreciation का समायोजन प्रविष्टिया :-

Depreciation A/c ……… Dr

To Assets A/c

(Being Depreciation Charged)

 

Profit & Loss A/c ……….. Dr.

To Depreciation A/c

(Being Depreciation Transferred To profit & Loss A/c)

Appreciation के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

सम्पत्तियों के मूल्य में धीरे-धीरे जो बढ़ोत्तरी होती है उसे Appreciation कहा जाता है।

समायोजन लेखा :-

इसे Fixed Assets में जोड़ा जाता है और Profit & Loss A/c के Credit Side में लिखा जाता है।

Outstanding Expenses के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

जिस खर्च का भुगतान किया जाना बाकि होता है उसे Outstanding Expenses (अदत्त व्यय ) कहा जाता है।

कुछ व्यय ऐसे होते हैं जो अंतिम खाते वाले वर्ष से संबंधित तो होते हैं पर उनका भुगतान नहीं होता है अथवा जिनकी प्रविष्टि खाते में नहीं हुई होती है। ऐसे व्यय को अदत्त व्यय कहा जाता है।

Outstanding Expenses (अदत्त व्यय ) का दूसरा नाम :

  • Unpaid Expense
  • Payable Expense
  • Accrued Expense
  • Owing Expense
  • Expense Due

 

समायोजन लेखा :-

इसे खर्च में जोड़ दिया जाता है और Balance Sheet के Liabilities Side में लिखा जाता है।

Outstanding Expenses का समायोजन प्रविष्टिया :-

Particular Expense A/c………………….. Dr.

To Outstanding Expenses

 

(Being Adjustment of Outstanding Expenses )

Prepaid Expense के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

जिस खर्च का भुगतान पहले ही कर दिया जाता है उसे Prepaid Expense (पूर्वदत्त व्यय ) कहा जाता है।

तो इस तरह पूर्वदत्त व्यय ऐसे व्यय होते हैं जो अग्रिम चूका दिए जाते हैं और अंतिम खाते बनाने की तिथि तक उनका उपयोग नहीं हो पाता हैं। पूर्वदत्त व्यय अगले वर्ष की अवधि से संबंधित व्यय होते हैं, पर वे इसी वर्ष खर्च कर दिये गये रहते हैं ।

Prepaid Expense (पूर्वदत्त व्यय ) का दूसरा नाम :

    • Advance Expense
    • Unexpired Expense

समायोजन लेखा :-

इसे खर्च में से घटा लिया जाता है और Balance Sheet के Current Assets में लिखा जाता है

का समायोजन प्रविष्टिया :-

Prepaid Expenses A/c ………………… Dr.

To Particular Expenses

(Being Adjustment For Prepaid Expenses)

तलपट में दिया रहने पर : यदि तलपट में पूर्वदत्त व्यय दिया हो तो इसका लेखा सिर्फ आर्थिक चिट्ठा के सम्पत्ति पक्ष में करेंगे।

Accrued Income के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

जो आमदनी प्राप्त होना बाकी होता है उसे Accrued Income (उपार्जित आय ) कहा जाता है।

विनियोग अथवा बैंक में जमा धन पर एक निश्चित दर से ब्याज प्राप्त होता है। यह ब्याज व्यावसायिक संस्था के लिए आय है। ऐसी आय जो अंतिम खाते बनाने के समय तक अर्जित तो कर ली गयी है, देय भी है परन्तु प्राप्त नहीं हुई है तो ऐसी ही आय को उपार्जित आय कहा जाता है।

Accrued Income (उपार्जित आय ) का दूसरा नाम :

  • Out Standing Incomes
  • Owing Income
  • Receivable Income
  • Income Due

समायोजन लेखा :- इसे आमदनी में जोड़ दिया जाता है और Balance Sheet के Current Assets में लिखा जाता है ।

Advance Income के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

जो आमदनी पहले ही प्राप्त हो जाती है उसे Advance Income (अग्रिम आय) कहा जाता है।

इसे Unexpired Incomes भी कहते है।

समायोजन लेखा :- इसे आमदनी में से घटा लिया जाता है और Balance Sheet के Liabilities में लिखा जाता है।

Interest On Capital के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

पूंजी पर लगने वाले ब्याज को Interest On Capital कहा जाता है।

व्यापारी द्वारा वयापार में जो पूंजी लगायी जाती है, उस पर एक निश्चित दर से ब्याज दिया जाता है। यह व्यापर के लिए आगम व्यय है, पर व्यापारी के लिए यह लाभ है।

समायोजन लेखा :- इसे Capital में जोड़ दिया जाता है और Profit & Loss A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

का समायोजन प्रविष्टिया :-

Interest On Capital A/c …….. Dr.

To Capital A/c

(Being Interest On Capital @…….. %)

Interest On Loan के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

लिए गए कर्ज पर लगने वाले ब्याज को Interest On Loan कहा जाता है।

समायोजन लेखा :- इसे Loan में जोड़ दिया जाता है और Profit & Loss A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Interest On Bank Loan के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

बैंक से लिए गए कर्ज पर लगने वाले ब्याज को Interest On Bank Loan कहा जाता है।

समायोजन लेखा :- इसे Bank Loan में जोड़ दिया जाता हैं तथा P/L a/c के Debit Side में लिख दिया जाता है।

Interest On Mortgage Loan के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

बंधक के आधार पर लिये गए ऋण पर लगने वाले ब्याज को Interest On Mortgage Loan कहा जाता है।

समायोजन लेखा :- इसे Mortgage Loan में जोड़ दिया जाता हैं और Profit & Loss A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Interest On Bank Overdraft के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

बैंक से अधिक निकाले गए राशि पर लगने वाले ब्याज को Interest On Bank Overdraft (बैंक अधिविकर्ष पर ब्याज) कहा जाता है।

 

समायोजन लेखा :- इसे Interest On Bank Overdraft में जोड़ दिया जाता है और Profit & Loss A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Interest On Investment के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

लगाए गए धन से मिलने वाले ब्याज को Interest On Investment (विनियोग पर ब्याज )कहा जाता है।

 

समायोजन लेखा :- इसे Investment में जोड़ दिया जाता है और Profit & Loss A/c के Credit Side में लिखा जाता है।

Interest On Drawing के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

निकाले गए राशि पर मिलने वाले ब्याज को Interest On Drawing (आहरण पर ब्याज ) कहा जाता है।

समायोजन लेखा :- इसे Drawing में जोड़ दिया जाता है और P/L A/c के Credit Side में लिखा जाता है।

Bad Debts के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

ग्राहकों से जो राशि वसूली नहीं हो पाती है उसे Bad Debts (निकृष्ट ऋण )कहा जाता है।

समायोजन लेखा :- इसे Debtors में से घटा दिया जाता है और P/L A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Reserve For Bad Debts के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

ग्राहकों से जो रकम वसूल होने की संभावना नहीं रहती है उसे Reserve For Bad Debts (निकृष्ट ऋणों के लिए संचिति )कहा जाता है।

Reserve For Bad Debts (निकृष्ट ऋणों के लिए संचिति ) का दूसरा नाम :-

  • Reserve For Bad Doubt Full Debts
  • Reserve For Debtors
  • Provision For Bad Debts
  • Provision For Doubts Full Debts
  • Provision For Bad And Doubts Full Debts
  •  

समायोजन लेखा :-

इसे Debtors में से घटाया जाता है और P/L A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Reserve For Discount On Debtors के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

को दिया जाने वाली छूट के संभावित राशि को Reserve For Discount On Debtors कहा जाता है।

इसे Provision For Discount On Debtors भी कहा जाता है।

समायोजन लेखा :-

इसे Debtors में से घटाया जाता है तथा P/L A/c के Debit Side में लिखा जाता है।

Reserve For Discount On Creditors के लिए समायोजन (Adjustment) क्या है ?

Creditors से मिलने वाले छूट के संभावित राशि को Reserve For Discount On Creditors कहा जाता है।

समायोजन लेखा :-

इसे Creditor में से घटाया जाता है तथा P/L A/c के Credit Side में लिखा जाता है ।

इसे Provision For Discount On Creditors भी कहा जाता है।

Topic

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।

किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।

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