Entrepreneurship Concept

उद्यमिता (Entrepreneurship) क्या है ?

उद्यमिता जोखिम उठाने की इच्छा, आय एवं प्रतिष्ठा की चाह , चिन्तन, तकनीक एवं कार्यपद्धति है।

उद्यमिता औद्योगिक, आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति का आधारस्तम्भ है। उद्यमिता के सृजनशील विचार द्वारा ही राष्ट्र की निर्धनता, बेरोजगारी, आर्थिक असामनता आदि का निवारण सम्भव है।

इस तरह उद्यमिता व्यवसाय, समाज तथा वातावरण को जोड़ने का कार्य करती है।

यह जीवकोपार्जन का साधन ही नहीं वरन कौशल एवं व्यक्तित्व का विकास की महत्वपूर्ण तकनीकी भी है।

उद्यमिता एक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह की एक उद्देश्यपूर्ण क्रिया है जिसमें निर्णयों की एक एकीकृत श्रृंखला सम्मिलित होती है। यह आर्थिक वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन अथवा वितरण के लिए एक लाभप्रद व्यावसायिक इकाई का निर्माण, संचालन एवं विकास करता है।

उद्यमिता (Entrepreneurship) की विशेषताएँ क्या है ?

उद्यमिता की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ है :

    1. उद्यमिता की मूल प्रकृति नवप्रवर्तन है। यहाँ नवप्रवर्तन से मतलब कुछ नया परिवर्तन लाने से है। नया संसाधन, नया उत्पादन, नयी तकनीकी आदि से हैं। इस तरह उद्देश्यपूर्ण एवं व्यवस्थित नवप्रवर्तन उद्यमिता की मुख्य विशेषता है।

 

    1. जोखिम वहन करना उद्यमिता की मूल विशेषता है। यह अनिश्चितताओं एवं जोखिम को वहन करने की भावना एवं क्षमता है।

 

    1. उद्यमिता ज्ञान पर आधारित क्रिया है। उद्यमिता बिना ज्ञान के अर्जित नहीं होती एवं बिना अनुभव के उद्यमिता का कोई व्यवहार नहीं होता। ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर व्यक्ति में उद्यमिता का गुण जन्म लेता है।

 

    1. उद्यमिता किसी भी तरह से केवल आर्थिक संस्थाओं तक सीमित नहीं है, यह एक जीवनशैली है। मानव जीवन के प्रत्येक कर्म में उद्यम आवश्यक है। शिक्षा, राजनीति, खेलकूद आदि प्रत्येक क्रियाओं में नेतृत्व तथा उपलब्धि पाने के लिए उद्यमिता आवश्यक है।

 

    1. उद्यमिता एक अर्जित व्यवहार है और यह सदैव लक्ष्यों, उद्देश्यों एवं परिणामों को प्राथमिक मानती है, भाग्य को नहीं।

 

  1. उद्यमिता केवल आर्थिक घटना या क्रिया नहीं बल्कि वातावरण से संबंधित एक खुली प्रणाली है। सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक, तकनीकी आर्थिक एवं भौतिक वातावरण के घटकों एवं उनके परिवर्तनों को ध्यान में रखने से उद्यमी प्रवृत्तियों का विकास होता है।

उद्यमिता (Entrepreneurship) की महत्व क्या है ?

उद्यमिता केवल वस्तु का उत्पादन करने या उत्पाद तैयार करने तक ही सीमित नहीं होती बल्कि इसके अंतगर्त वस्तु का विक्रय व्यापार एवं बाजार का रुख और सेवा इत्यादि भी शामिल होती है।

किसी भी राष्ट्र के विकास में उद्यम की बहुत महत्ता है, खासकर भारत जैसे विकाशील देश में उद्यम न केवल आद्यौगिक क्षेत्र में बल्कि देश के कृषि एवं सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

संक्षिप्त रूप में उद्यमिता के निम्नलिखित महत्व हम देख सकते हैं :

    1. आज विश्व में प्रायः हर देश बेरोजगारी की भयानकता से गुजर रहा है। उद्यमिता इस अभिशाप को दूर करती है। उद्यमिता ‘ जियो औरों को भी जीने दो ‘ की नीति पर चलती है। उदमी एक नए सोच और नए विचार लेके व्यवसाय में प्रवेश कर अपना स्वरोजगार तो पता ही है साथ में अनेक लोगों को इस कार्य से जोड़कर उन्हें भी रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

    1. उद्यमिता एक लगातार विकास प्रक्रिया है जिसके अंतगर्त साहसी उद्योग में हमेशा नये-नये अविष्कार कर बाजार की परिवर्तित दशा के अनुसार वही उत्पादन करता है जिसकी मांग देश के आलावा विदेश में भी हो।

 

    1. आर्थिक विकास की तीव्र गति प्राप्त करना हम सभी की एक अहम कामना है जिसके लिए तीव्र औद्योगिक विकास की आवश्यकता है। और इस आवश्यकता की पूर्ति में उद्यमिता की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह साहसी को तराश कर उसमे ऐसा गुण भरता है कि वह उद्योग-जगत का सूत्रधार और इंजन बनकर देश के आर्थिक विकास में भागीदार साबित हो।

 

  1. उद्यमिता मानवीय संसाधन का सही और पूर्ण उपयोग करने की क्षमता है। मानवीय संसाधन राष्ट्र की एक अमूल्य धरोहर है किन्तु अगर इसका सही उपयोग नहीं हुआ तो यह देश और समाज के लिए एक बहुत बड़ा बोझ बन जाता है। उद्यमिता लोगों में साहसी होने की भावना जगाती है और उनमे नये अवसरों की जानकारी देकर उनमें आत्मविश्वास जगाती है। और जिसके चलते मानवीय संसाधन दायित्व के बदले सम्पत्ति बन जाता है।

उद्यमिता (Entrepreneurship) उद्यमीयता वर्ग का उद्भव क्या है ?

उद्यमी वर्ग के उद्भव के कुछ प्रमुख घटक निम्नलिखित है :

  1. उद्यमी वर्ग के उद्भव में पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने परिवार को ऊँचा उठाने, अत्यधिक धन कमाने, परिवार के सदस्यों को कार्य पर लगाने, प्रतिष्ठा अर्जित करने आदि जैसे प्रवृत्तियाँ ने उद्यमी वर्ग के उद्भव को अनेक तरह से प्रोत्साहित किया है।
  2. उद्यमी वर्ग के उद्भव में शिक्षा एवं तकनीकी ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आजकल स्कूलों, कॉलेजों तकनीकी संस्थाओं आदि से निकलकर व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे है।
  3. व्यक्तिगत घटक भी उद्यमी वर्ग के उद्भव में भूमिका निभाते है।
  4. उद्यमी वर्ग के उद्भव में धार्मिक तत्व भी काफी भूमिका निभाती है।

उद्यमिता विकास में आर्थिक पर्यावरण की भूमिका क्या है ?

उद्यमिता विकास में आर्थिक पर्यावरण का बहुत महत्व होता है । किसी भी व्यवसाय की सफलता मुख्य रूप से आर्थिक पर्यावरण पर निर्भर करती है । उद्यमिता विकास में आर्थिक पर्यावरण का योगदान इस तरह होता है :

  1. हमारे देश में औद्योगिक नीतियों की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है जोकि उद्योगों के विकास के लिए घोषित सरकार की नीतियों की व्यख्या करती है।
  2. सरकार ने विदेशी नीति के अन्तगर्त एक छोटी नकारात्मक सूची को छोड़कर सभी उद्योगों के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दे दी है। जिसके फलस्वरूप उद्योग विकास की ओर अग्रसर हुए हैं।
  3. उद्योगों के विकास हेतु पूंजी बाजार को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष घोषित अपने बजट के अंतगर्त समय-समय पर अनेक राजकोषीय प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है जिससे उद्यमियों को पूंजी जुटाने में भी सहायता मिलती है।
  4. सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक नीतियों के अंतगर्त लाइसेंस प्रणाली को अपनाया जाता रहा है जिसके द्वारा सरकार नवीन उद्योगों की स्थापना की क्षमता में वृद्धि को नियंत्रित करती रही है।

उद्यमिता विकास में सामाजिक पर्यावरण की भूमिका क्या है ?

सामाजिक पर्यावरण के अंतगर्त देश में प्रचलित सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताएँ सम्मिलित की जाती है। किसी भी उद्यम का अस्तित्व एवं संचालन समाजिक पर्यावरण पर बहुत हद तक निर्भर करती है और इस तरह सामाजिक पर्यावरण का उद्यमिता विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है जोकि निम्न घटकों पर चिंतन से और अधिक स्पष्ट होगा :

  • व्यावसायिक उद्यमों के निर्माण में सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। एक उद्यमी समाज में नये नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों के माध्यम से अपनी नीतियों लक्ष्यों व आदर्शों की स्थापना करता है।
  •  
  • व्यवसाय का सामाजिक वातावरण समाज की मानवीय प्रवृतियों इच्छाओं, आकांक्षाओं शिक्षा एवं बौद्धिक स्तर, मूल्यों आदि घटकों से निर्मित होता है।
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  • सांस्कृतिक सामाजिक परिवेश का एक महत्वपूर्ण अंग होती है। यह व्यक्तियों के दृष्टिकोण एवं मानसिक विकास की व्याख्या करती है।
  •  
  • सामाजिक साझेदारी भी उद्यमी को बहुत हद तक सहायता करती है।

उद्यमी (Entrepreneur) क्या होता है ?

उद्यमी वह व्यक्ति है जो व्यवसाय में लाभप्रद अवसरों की खोज करता है। आर्थिक संसाधनों को संयोजित करता है नवकरणों को जन्म देता है तथा उपक्रम में निहित विभिन्न जोखिम एवं अनिश्चिताओं का उचित प्रबंध करता है।

उद्यमी किसी भी मृतक अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार करता है। वह उद्योग का कप्तान होता है। एक उद्यमी पूंजी की आपूर्ति करता है और व्यापार गतिविधियों पर नज़र रखता है और नियंत्रण करता है। कोई भी व्यक्ति जो कुछ नया बनाता है, जैसे कोई अवसर, कोई व्यवसाय या एक कंपनी, वह उद्यमी कहलाता है।

प्रसिद्ध विद्वान अल्फ्रेड मार्शल (Alfred Marshall) के अनुसार :

उधमी वह व्यक्ति है जो जोखिम उठाने का साहस करता है, जो किसी कार्य के लिए आवश्यक पूंजी एवं श्रम की व्यवस्था करता है, जो उसकी सूझ्म बातों का निरीक्षण करता है।

इस तरह उद्यमी से आशय ऐसे व्यक्ति से है जो किसी नवीन उपक्रम की स्थापना करने का जोखिम उठाता है, आवश्यक संसाधन एकत्रित करता है तथा उसका प्रबंध एवं नियंत्रण करता है।

एक उद्यमी के अनुसार वे लक्षण जो किसी व्यक्ति को उद्यमी की श्रेणी में लाते हैं, निम्नलखित हैं :

  • उद्योग की नवीनता
  • औद्योगिक स्थल एवं
  • नये प्रवेश

उद्यमी (Entrepreneur) व्यक्ति किसे कहते हैं ?

उद्यमी व्यक्ति वह है जो व्यवसाय में लाभप्रद अवसरों की खोज करता है, संसाधनों, तकनीक, सामग्री एवं पूंजी आदि को एकत्रित करता है, नवाचार को जन्म देता है जोखिम वहन करता है तथा अपने चातुर्य एवं तेज दृष्टि से असाधारण परिस्थितियों का सामना करता है एवं लाभ कमाता है।

उद्यमी व्यक्ति के कुछ प्रमुख गुण निम्नलिखित है :

  • कठोर परिश्रमी तथा सतत प्रयत्नशील रहता है।
  • सुविचारित जोखिम उठाता है।
  • अपनी सफलता का पक्का इरादा रखता है।
  • अपने कार्य को सदैव आगे बढ़ता रहता है।
  • सत्य निष्ठा में विश्वास रखता है।
  • समय को महत्व देता है।

एक उद्यमी व्यक्ति की क्या विशेषताएँ होती हैं ?

एक उद्यमी की निम्नलखित प्रमुख विशेषताएँ है :

    1. उद्यमी व्यक्ति सदैव जोखिम में ही जीना पसंद करते हैं परन्तु इनके द्वारा लिए गए जोखिम सदैव सुविचारित होते हैं।

 

    1. उद्यमी केवल साधनों का एकीकरण ही नहीं करता है बल्कि नए उपकरणों की स्थापना भी करता है तथा औद्योगिक क्रियाओं को विस्तृत रूप प्रदान करता है।

 

    1. उद्यमी आत्म-संतुष्टि को अधिक प्राथमिक उद्देश्य मानते हैं जबकि मौद्रिक लाभों को गौण मानते हैं। उद्यमियों के लिए उनका कार्य ही अपने आप में लक्ष्य एवं संतुष्टि का बड़ा स्त्रोत होता है।

 

    1. उद्यमी के अंदर सदैव एक सृजनात्मक असंतोष छिपा रहता है जिसके द्वारा वह नए-नए व्यावसायिक अवसरों की खोज करता है तथा उसका विदोहन करके लाभ अर्जित करता है।

 

    1. उद्यमी अपने उपक्रमों में सदैव नवीन परिवर्तनों एवं सुधारों को जन्म देता है।

 

    1. उद्यमी व्यक्तियों का स्वभाव स्वतन्त्र प्रकृति का होता है। वे प्रत्येक कार्य को अपने ढंग से करने में ज्यादा विश्वास रखते है।

 

    1. उद्यमी स्वयं में एक संस्था है क्योंकि यह विभिन्न संस्थाओं को जन्म देता है।

 

  1. उद्यमी हमेशा कुछ असम्भव प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं तथा समाज में अलग पहचान बनाना चाहते हैं। इसलिए उद्यमी सदैव कठोर परिश्रम एवं दृढ संकल्प के द्वारा उच्च प्राप्तियों में विश्वास रखते हैं।

उद्यमी (Entrepreneur) कितने तरह के होते हैं ?

उद्यमी के निम्नलिखित कुछ प्रकार है :

    1. नव-प्रवर्तक उद्यमी : यह वह उद्यमी होते हैं जो अपने व्यवसाय में निरंतर खोज एवं अनुसन्धान करते रहते हैं और इन अनुसंधानों व प्रयोगों के परिणामस्वरूप व्यवसाय में परिवर्तन करके लाभ अर्जित करते हैं।

 

    1. जागरूक उद्यमी : यह वह उद्यमी होता है जो अनुसंधान व खोज पर कोई धन खर्च नहीं करते हैं। यह सफल उद्यमियों द्वारा किये गए सफल परिवर्तनों को अपनाते हैं।

 

    1. पूंजी संचय करने वाले उद्यमी : ये उद्यमी पूंजी संचय करने वाले कार्य जैसे कि बैंकिंग व्यवसाय, बीमा कम्पनी आदि में संलग्न होते है।

 

  1. आदर्श उद्यमी : इस प्रकार के उद्यमी स्वयं के हित के साथ-साथ सामाजिक हित पर भी ध्यान देते हैं। इनका उद्देश्य केवल अधिकतम लाभ कमाना ही नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व को पूरा करना भी है।

एक उद्यमी के कार्य क्या सब होता है ?

उद्यमी के निम्नलिखित कार्य हैं :

  1. नव निर्माण :- एक उद्यमी मूल रूप से नई रीति चलाने वाला होता है तथा वह अर्थव्यवस्था में कुछ न कुछ नया ही लाता है।
  2. संगठन तथा प्रबंध : एक उद्यमी को विभिन्न आर्थिक व मानवीय तत्त्वों को संगठित करना व प्रबंध करना होता है।
  3. उत्पादन-इकाई के आकर का निर्धारण : उद्यमी को यह भी निश्चित करना होता है कि उत्पादन-इकाई का आकार क्या होना चाहिए। मांग के कम होने पर उत्पादन-इकाई का आकार छोटा रखना पड़ता है जबकि मांग के अधिक होने पर इकाई का आकार बड़ा रखा जा सकता है।
  4. उत्पादन के पैमाने का निर्धारण : उद्यमी को इस बारे में भी निर्णय लेना पड़ता है कि वस्तु का उत्पादन छोटे पैमाने पर किया जाए अथवा बड़े पैमाने पर किया जाए।
  5. बिक्री की व्यवस्था उद्यमी का कार्य केवल वस्तुओं का उत्पादन करना ही नहीं बल्कि तैयार माल की बिक्री का प्रबंध करना भी है।
  6. सरकार से संबंध : आजकल कुशल उद्यमी का सरकार के सम्पर्क में रहना आवश्यक होता है। इस संबंध में उद्यमी अनेक कार्य करता है जैसे सरकार से लाइसेंस लेना, सरकार को करों का भुगतान करना आदि।

पूंजीपति (Capitalist) किसे कहते है ?

पूंजीपति का कार्य केवल पूंजी उधार देना है।

पूंजीपति किसी व्यवसाय में पूंजी प्रदान करता है और इस तरह वह व्यवसाय का ऋणदाता होता है। पूंजीपति को केवल ब्याज मिलता है चाहे व्यवसाय से लाभ हो या हानि।

पूंजीपति को व्यवसाय के लाभ-हानि से कोई संबंध नहीं होता है। उसे तो बस ब्याज सहित अपनी पूंजी लेने का अधिकार होता है।

संगठनकर्त्ता (Organiser) किसे कहते है ?

विभिन्न उत्पादनों में अनुकूलतम संयोग व सहयोग स्थापित करने वाले व्यक्ति संगठनकर्त्ता कहलाता है।

संगठनकर्त्ता का कार्य व्यवसाय का कुशलता से संगठन तथा प्रबंध करना है।

संगठनकर्त्ता उद्यमी अथवा व्यावसायिक संस्था का वैतनिक कर्मचारी होता है। संगठनकर्त्ता को अपनी सेवाओं के बदले निश्चित वेतन मिलता है।

संगठनकर्ता को वेतन पूर्व-निर्धारित अवधि के बाद प्राप्त होता है।

यह उद्यमी द्वारा निर्धारित नीतियों के अनुसार कार्य करता है। व्यवसाय में हानि होने पर भी इसे वेतन मिलता है।

श्रमिक (Labourer) किसे कहते है ?

श्रमिक वो व्यक्ति होते हैं जिसको किसी विशिष्ठ कार्यों के लिए ही नियुक्त किया जाता है।

श्रमिक का कार्य मुख्यतः शारीरिक होता है। यह व्यवसाय का वेतनभोगी कर्मचारी होता है।

श्रमिक को व्यवसाय संबंधी कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ता। श्रमिक को व्यवसाय संबंधी कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ता।

श्रमिक को उसकी सेवाओं के बदले मजदूरी मिलती है। इनका मजदूरी पूर्व-निश्चित तथा धनात्मक होती है, चाहे व्यवसाय को लाभ हो या हानि।

इनको अपना मजदूरी एक निश्चित अवधि के बाद प्राप्त हो जाती है चाहे माल की बिक्री हुई हो या नहीं।

श्रमिक अधिक गतिशील होता है। वह अपने काम को तथा स्थान को अधिक आसानी से बदल सकता है।

उद्यमी व्यक्ति का क्या महत्व रहता है ?

जोखिम तथा अनिश्चितता वहां करने के लिए एक साहसी तथा दूरदर्शी व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है जो भूस्वामियों से भूमि और पूंजीपतियों से पूंजी प्राप्त करके श्रमिकों तथा संगठनकर्त्ताओं की सहायता से उत्पादन आरम्भ कर सके। आजकल यह कार्य उद्यमी द्वारा किया जाता है।

 

वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन उद्यमियों के बिना हो ही नहीं सकता। इसलिए विशाल औद्योगिक इकाइयों की स्थापना तथा संचालन की दृष्टि से उद्यम उत्पादन का अनिवार्य साधन है।

 

आजकल लोगों की रुचियों और फैशन में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं।
इससे व्यावसायिक क्रियाओं में अनिश्चितता अत्यधिक बढ़ गयी है। उद्यमियों के योग्य तथा जागरूक होने पर ही आधुनिक उपभोक्ताओं की रुचियों के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है।

 

किसी भी देश की तीव्र आर्थिक विकास के लिए योग और कुशल उद्यमी का होना आवश्यक होता है।

 

देश में रोजगार-अवसरों में वृद्धि में भी उद्यमी का होना जरूरी है।

आन्तरिक उद्यमी (Intrapreneur) किसे कहते हैं ?

आंतरिक उद्यमी वह व्यक्ति है जो उद्यमियों के अधीन कार्य करता है तथा उन पर ही आश्रित रहता है।

आंतरिक उद्यमी पूंजी का निर्माण नहीं करता है। यह एक आश्रित व्यक्ति है अतएव इसमें स्वतंत्रता का आभाव होता है।

आंतरिक उद्यमी जोखिम वहन नहीं करता है लेकिन यह नवीन विचारों की उतपत्ति करता है।

आंतरिक उद्यमी व्यवसाय का प्रबंधक होता है। अंतएव स्वयं प्रबंध करता है। इनके अंदर पेशेवर योग्यता का होना आवश्यक है। आंतरिक उद्यमी शब्द की उतपत्ति सबसे पहले अमेरिका में हुई थी।

Women Entrepreneurs (महिला उद्यमी) क्या है ?

महिला उद्यमी से आशय महिला जनसंख्या के उस भाग से है जो औद्योगिक क्रियाओं में साहसिक कार्य में संलग्न। महिला उद्यमी उस उद्यमी को कहा जाता है जो किसी उपक्रम की स्वामी होते हुए उसका नियंत्रण करती है तथा उपक्रम की पूंजी में 51 प्रतिशत का अंश धारण किए हुए है तथा उपक्रम में कार्यरत महिला कर्मचारियों की संख्या न्यूनतम 51 प्रतिशत हो।

अतः एक महिला उद्यमी व्यवसाय को आरम्भ करती है तथा उसका गठन एवं संचालन करती है।

महिला उद्यमियों के अहम योगदान के निम्नलिखित कारण रहे है :

  • वे स्व-विकास के लिए नयी चुनौतियों तथा अवसरों को ज्यादा पसंद करती हैं।
  • वे नव-प्रवर्तक तथा प्रतिस्पर्धी जॉब्स में अपनी योग्यता सिद्ध करना चाहती हैं।
  • वे अपनी घरेलू जिम्मेदारी तथा व्यावसायिक जीवन में संतुलन के द्वारा नियंत्रण को बदलना चाहती हैं।

Women Entrepreneurs (महिला उद्यमी) के लक्षण क्या होती है ?

महिला उद्यमी में जोखिम को वहन करने की दृढ इच्छा शक्ति होती है तथा अपनी योग्यता के द्वारा वह बेहतर पूर्वानुमान, निर्णयन, नियोजन तथा गणना का कार्य कर सकती है।

महिला उद्यमी में मौलिक कल्पना शक्ति होती है। बेहतर कल्पना शक्ति के कारण वह प्रतिस्पर्धी बाजार में नये विचारों तथा अवसरों की बेहतर तलाश कर सकती है तथा सही संगठन के चयन एवं निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकती है।

महिला उद्यमी में अपने स्वप्नों को पूरा करने या क्रियान्वित करने की दृढ इच्छा शक्ति होती है।

महिला उद्यमी में कठोर परिश्रम की प्रवृत्ति पायी जाती है। कल्पनाशील विचारों के कारण वह उचित खेल खेल सकती है तथा कठोर परिश्रम की प्रवृत्ति के कारण उद्यम को सफल बना सकती है।

महिला उद्यमियों की कुछ समस्याएं क्या हैं ?

महिला उद्यमियों द्वारा अनुभव की जाने वाली कुछ समस्याएं निम्नलिखित हैं :

  1. महिला उद्यमियों को विशेषकर अपने उत्पादों के विपणन करने में निरंतर बाधाएं उठानी पड़ती है क्योंकि विपणन क्षेत्र में पुरूषों का बाहुल्य है जिसके कारण महिलाएं पर्याप्त अनुभव होने पर भी विशेष स्थान नहीं प्राप्त कर सकती।
  2. महिला उद्यमी को बड़े जोखिम-वहन करने की क्षमता अत्यंत कम होती है क्योंकि वे सुरक्षित जीवन-यापन करने की आदि होती है।
  3. पुरुषों की तरह महिलाएं एक स्थान से दूसरे स्थान तक उतनी आसानी से यात्रा नहीं कर सकती। उन्हें विपणन के संबंध में देर रात बाहर रहने, दूरस्थ स्थानों में जाना अति मुश्किल प्रतीत होता है।
  4. महिला उद्यमी के विकास एवं विस्तार में उच्च उत्पादन लागत भी बाधक होती है।

उद्यमिता विकास कार्यक्रम क्या है ?

उद्यमिता विकास कार्यक्रम एक व्यापक कार्यक्रम है जो उद्यमियों के विकास पर बल देता है ताकि उद्योग का विकास हो सके।

दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी कह सकते है कि उद्यमी विकास योजना एक ऐसी योजना है जो एक उद्यमी की भूमिका को प्रभावशाली बनाने के लिए जो आवश्यक गन चाहिए उन्हें हासिल करने में सहयोग करती है।

यह उद्यमी के औद्योगीकरण का एक अस्त्र है तथा ये उद्यमिता के विकास में आने वाली बाधाओं व समस्याओं का समाधान करता है।

एक उद्यम का विकास उद्यम विकास योजनाओं द्वारा किया जाता है। उद्यम विकास योजनाएँ इस सोच पर आधारित है कि व्यक्तियों का विकास करके उनके दृष्टि कोण को बदला जा सकता है ताकि वह अपने विचारों को एक संगठन की शक्ल दे सकें।

उद्यमिता विकास कार्यक्रम क्यों आवश्यक है ?

किसी भी राष्ट्र चाहे विकसित हो या विकासशील के आर्थिक व औद्योगिक विकास में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।

उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों को विकसित करके उन्हें उद्योग अपनाने के लिए प्रेरित करके एक संगठन स्थापित करने के लिए काबिल बनाता है।

निम्नलिखित कुछ प्रमुख बातें से जिससे यह स्पष्ट होता है कि उद्यमिता विकास कार्यक्रम क्यों आवश्यक है :

    • लगातार बढ़ती बरोजगारी ख़ास तौर से अविकसित देशों में एक बहुत बड़ी समस्या है। उदय विकास योजनाएँ लोगों को अपने उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित करती हैं तथा उन्हें स्वरोजगार स्थापित करने के लिए सक्षम बनाती हैं। इससे न केवल नए उद्यमियों को रोजगार मिलता है अपितु वे दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।

 

    • उद्यमिता विकास कार्यक्रम परियोजना के प्रारूप बनाने में सहायता करते हैं। यह कार्यक्रम परियोजना से संबंधित यंत्र एवं सामग्री कच्चा माल, संरचनात्मक सुविधाओं, श्रम स्त्रोत, वित्तीय स्रोत आदि के बारे में आवश्यक सूचना प्रदान करता है।

 

    • उद्यमिया विकास कार्यक्रम अपने विभिन्न कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षण व प्रशिक्षण देकर सहायता देकर उद्यमियों को स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग करने में मदद करती है।

 

  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम उद्यमियों को समय-समय पर तकनीकी बाजार वित्त, सरकारी कार्यक्रमों आदि की सूचनाएँ उपलब्ध कराते है ताकि वे उन सूचनाओं से लाभ उठा सकें।
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम देश व विदेश में नए-नए बाजारों की खोज करने में सहायता करते हैं।

उद्यमिता विकास कार्यक्रम के कुछ मुख्य उदेश्य क्या है ?

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के उद्देश्य निम्नलिखित है :

  1. उद्यमियों की पहचान करके उन्हें प्रशिक्षण देना।
  2. सही परियोजना से संबंधित पर्यावरण का विश्लेषण करना।
  3. नए उद्यमिता अवसरों का विकास करना।
  4. सरकार से मिलने वाली सहायता और प्रेरणाओं का पता लगाना।
  5. स्वरोजगार की भावना जागृत करना।
  6. उद्यमियों की प्रबन्धकीय क्षमताओं को सुधारना।

भारतीय विनियोग केन्द्र (Indian Investment Centre) क्या है ?

भारतीय विनियोग केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित एक संस्था है।

इसका मुख्य कार्य भारतीय उद्यमियों को विदेशी सहयोग बढ़ाने में सहायता करना है तथा दूसरी तरफ विदेशी उद्यमियों को आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करना है।

अखिल भारतीय लघु उद्योग बोर्ड (All India Small Scale Industries Board) क्या है ?

अखिल भारतीय लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों व कार्यक्रमों के बारे में फैसला लेता है।

तो इस प्रकार हम कह सकते है कि यह एक सलाहकार समिति के रूप में कार्य करता है जिसका अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होता है।

अखिल भारतीय लघु उद्योग बोर्ड की स्थापना 1954 में हुई।

भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (Entrepreneur Development Institude) क्या है ?

भावी उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह संस्थान विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की प्रगति व स्त्रियों में उद्यमिता विकास के लिए कार्यरत है।

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में यह संस्थान एक विशिष्ट स्थान रखता है।

हमारे देश में प्रचलित उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में प्रमुख कमियाँ क्या सब है ?

हमारे देश में प्रचलित उद्यमिता विकास कार्यकमों में प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित है :

    • उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत में सरकारी सुविधाओं व प्रेरणाओं का आभाव है।

 

    • भारत में उद्यम में जो शिक्षण व प्रशिक्षण दिया जाता है वो मात्र सैद्धान्तिक होता है व जिसका व्यवहार में ज्यादा महत्व नहीं होता।

 

    • उद्यमिता विकास कार्यक्रम चलने वाले संसथान गुणवत्ता के स्थान पर उद्यमियों की संख्या बढ़ाने पर बल देते हैं जिससे काबिल उद्यमी तैयार नहीं होते व उद्यम के क्षेत्र में आते ही असफलताओं का सामना करते हैं।

 

  • भारत में अखिल भारतीय स्तर, राज्य स्तर तथा निजी स्तर पर अनेक संस्थाएँ हैं जिनमें समन्वय की कमी है जिसके फलस्वरूप बहुत-सी क्रियाएं फाइलों तक सीमित रहती हैं।

भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के सुधार के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव क्या है ?

भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रमों की कमियों को दूर करने के कई विकल्प हो सकते हैं जिनमे उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को सुचार रूप से चलाना भी है ताकि नये उद्यम पनप सकें, स्वरोजगार की भावना जागृत हो और जिसके फलस्वरूप दूसरों को भी रोजगार मिल सकें।

भारत में उद्यमिता कार्यक्रमों को सुधारने व अधिक प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं :

 

    • उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को चलाने वाली संस्थाओं की समय-समय पर जाँच-पड़ताल होनी चाहिए।

 

    • सरकार को बड़े नियम बनाकर उन संस्थाओं पर रोक लगानी चाहिए जो मात्र धन कमाने हेतु कागजों पर ही सीमित हैं।

 

    • शिक्षा पद्धति में बदलाव करते हुए उसे उद्यमिता अधिमुखी बनाया जाना चाहिए। इसके लिए तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं की सख्या बढ़ाने पर बल दिया जाना चाहिए।

 

    • कर ढांचे को उद्यमियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

 

    • उद्यमिता विकास कार्यक्रम संचालित करने वाली संस्थाओं को सार्थक परियोजनाएं बनाने पर बल देना चाहिए।

 

  • पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक बस्तियों का निर्माण करके आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए।

आर्थिक विकास (Economic Dvelopment)क्या होता है ?

किसी देश के द्वारा अपनी वास्तविक आय को बढ़ाने के लिए सभी उत्पादक साधनों का कुशलतम प्रयोग आर्थिक विकास कहलाता है।

यह एक लगातार या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया कारण साधनों की पूर्ति एवं वस्तु संबंधी मांग समय-समय पर बदलती रहती है।

आर्थिक विकास में सामन्य जनता के जीवन-स्तर में सुधार होता है तथा सरकार द्वारा कल्याणकारी कार्यों में वृद्धि की जाती है।

आर्थिक विकास से वास्तविक राष्ट्रीय व प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।

आर्थिक विकास में वृद्धि आकस्मिक न होकर दीर्घकालीन होनी चाहिए।

Topic

लेख एवं अंकन दो शब्दों के मेल से वने लेखांकन में लेख से मतलब लिखने से होता है तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है । किसी घटना क्रम को अंकों में लिखे जाने को लेखांकन (Accounting) कहा जाता है ।

किसी खास उदेश्य को हासिल करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखे जाने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । यहाँ घटनाओं से मतलब उस समस्त क्रियाओं से होता है जिसमे रुपय का आदान-प्रदान होता है ।

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